कयासों का दौर खत्म हुआ । दिल्ली विधानसभा चुनावों की घोषणा हो गई साथ ही साथ अब सत्ता का असली चरित्र भी जनता के सामने आना शुरू होगा । केजरीवाल के लिए अब सफर आसान नहीं है क्योंकि पिछली बार केजरीवाल जनलोकपाल मुद्दे को ढाल बनाकर चुनावी समर में कूदे थे किन्तु उन्होंने चुनाव जीतते ही वो ढाल छोड़ दी और मोदी विरोध में कुछ ऐसे काम कर गए को उन्हें नहीं करना था जैसे आतिशी मर्लोनी को लोकसभा चुनाव में गौतम गंभीर के पीछे लगाना और नकली पर्चे छापकर गौतम गंभीर को परेशान करना , कन्हैया कुमार के खिलाफ चार्टशीट अटकाए रखना , फ्री वाई फाई का वादा पूरा ना करना आदि । दिल्ली में चुनाव 8 फरवरी को होंगे और चुनाव परिणाम 11 फरवरी को घोषित की जाएगी।ये चुनाव बीजेपी के लिए बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि महाराष्ट्र और झारखंड हारने के बाद भाजपा बैकफुट पर है।अगर दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा हारती है तो उसके तथाकथित राष्ट्रवादी एजेंडे पर सवाल उठेंगे।इसका मतलब ये निकलेगा कि जनता उनके राष्ट्रवादी ऐजेंडे से सहमत नहीं है।कहते हैं कि दिल्ली के वोटर सबसे प्रबुद्ध हैं, वे गुण-दोष के आधार पर सरकार का आकलन करते हैं।अरविंद केजरीवाल ने पाँच सालों में क्या किया है ये तो वही जाने पर नौटंकी किंग कहे जाने वाले केजरीवाल बहुत मंझे खिलाड़ी है । भाजपा की सबसे बडी दिक्कत ये है कि वह मोदी के नाम पर लोकसभा में तो वोट पा जाते हैं मगर विधानसभा चुनाव जो स्थानीय मुद्दों पर लडा जाता है फिसड्डी हीं साबित हो रही है।ये तो सभी को स्वीकार करना पड़ेगा कि अभी देश में नरेंद्र मोदी का कोई विकल्प नहीं है।आम चुनाव में मोदी की भारी जीत तो यही दर्शाती है।
अब दिल्ली को को देखें,केजरीवाल के मुकाबले भाजपा के पास दिल्ली में ऐसा कोई नेता नहीं है जो केजरीवाल की छवि के सामने टिक सके, ले देकर एक हर्षवर्धन हैं मगर वो बेहद शालीन हैं,आज की राजनीति में वो भी सहज नहीं है ।मनोज तिवारी को दिल्ली का कमान महज एक ब्रह्मन कार्ड खेेेेलने जैसा है, और गोयल का कोई जनाधार दिल्ली में दिखता नहीं, इस वजह से भाजपा के थिंक टैंक ने वहां मुख्यमंत्री के उम्मीदवार की घोषणा नहीं की है।भाजपा चाहती है कि ये चुनाव नरेंद्र मोदी को आगे करके सी ए ए पर लडा जाय।अब ये देखना महत्वपूर्ण होगा कि दिल्ली की जनता क्या फैसला लेती है। मेरा मानना है कि केंद्र सरकार ने दिल्ली के अवैध काँलोनियों के लोगों को प्रापर्टी का मालिकाना हक देने की घोषणा करके “मास्टर स्ट्रोक” खेला है।दिल्ली में तकरीबन 40 लाख लोग अवैध काँलोनियों में रहते हैं और इसमें कोई शक नहीं है कि वे इस मुद्दे पर भाजपा के साथ हैं।भाजपा एनआरसी,नागरिकता संशोधन एक्ट और तीन तलाक के मुद्दों पर चुनाव में उतरेगी।मुझे नहीं लगता ये मुद्दा ज्यादा कारगर साबित होगा।लोग केन्द्र सरकार से रोजगार पर सवाल पूछेंगे, दम तोड़ती अर्थव्यवस्था और उद्योग धंधों के चौपट होने पर सवाल खडें होंगे, मगर इसका उत्तर भाजपा के पास नहीं है। गृहमंत्री अमित शाह दावा कर रहे हैं कि दिल्ली के 53 लाख लोगों ने एक नं पर मिस्डकॉल देकर सीएए का समर्थन किया है।
एक तरफ भाजपा राष्ट्रवाद का मुद्दा उठा रही है दूसरी तरफ केजरीवाल ने विधानसभा चुनाव स्थानीय मुद्दों पर केन्द्रित किया है।वो बिजली, पानी,स्कूल, सड़क जो उनके कार्यकाल में परवान चढ़ें हैं उसकी बात वो जनता से कर रहें हैं।दिल्ली के सरकारी स्कूलों को उन्होंने देश के सबसे बेहतरीन स्कूलों में परिवर्तित कर दिया है।शिक्षा के क्षेत्र में केजरीवाल सरकार ने जो किया है वो एक मिसाल है।आज वहां के सरकारी स्कूलों से निकलकर बच्चे आईआईटी, मेडिकल परीक्षा में पास हो रहें हैं।केजरीवाल ने मेघावी बच्चों के लिए कोचिंग की निःशुल्क व्यवस्था की है जो तारीफ करने योग्य है।दिल्ली में बिजली के दरों में काफी कमी की गई है, पानी की समस्या जो दिल्ली वासियों को हमेशा परेशान करती थी,काफी हद तक अंकुश पा लिया गया है।हर गली-मुहल्लों में स्ट्रीट लाइट और सीसीटीवी कैमरे के जाल बिछा दिये गए हैं।भाजपा के दिल्ली प्रभारी प्रकाश जावड़ेकर ने ये आरोप लगाया है कि केजरीवाल पहले साढ़े चार साल सोते रहे और अंतिम छह महीने में अखबारों में झूठे विज्ञापन निकलवाकर ये कह रहें हैं कि हमने दिल्ली में ये किया वो किया।अब कौन सही बोल रहा है कौन झूठ इसका फैसला जनता विधानसभा में वोट देकर करेगी।केजरीवाल सरकार ने महिलाओं को सरकारी बस में मुफ्त यात्रा,200 यूनिट तक खपत वाले घरों में मुफ्त बिजली, मुफ्त पानी, स्वास्थ्य के लिए पापुलर मुहल्ला क्लीनिक आदि आदि बहुत से लोकप्रिय स्कीम चलाये हैं जिनपर भाजपा का कहना है कि ये धन की बरबादी है।ये सरकारी धन का अपव्यय है या लोकप्रिय योजना है दिल्ली के निवासियों को तय करना है।
ये भी सत्य है कि बीजेपी ने हाल फिलहाल में हुऐ लोकसभा चुनाव में दिल्ली के सातों लोकसभा सीटों पर विजय प्राप्त की है।लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने 56% वोटों पर कब्जा किया था।कांग्रेस को 22% और आम आदमी पार्टी को 18% वोट मिले थे।दिल्ली सरकार में नंबर दो मनीष सिसोदिया कहते हैं कि विधानसभा चुनाव स्थानीय मुद्दों पर लडा जाता है और हमने अपना फोकस इन्हीं मुद्दों पर रखा है। खैर देखना दिलचस्प रहेगा कि दिल्ली की जनता फिर एक बार फ्री वाईं फाई की तरफ जाती है या सी ए ए के समर्थन में पर जो भी परिणाम हो भाजपा कि जीत लोकतंत्र की ही होनी चाहिए ।
पंकज कुमार मिश्रा जौनपुरी 8808113709