सम्पादकीय (मनमोहन शर्मा ‘शरण’)
यह सच है कि अभी भारत में कोरोना के मामलों में काफी कमी देखी जा रही है किन्तु ध्यान रहे आगे बरसात का मौसम आने को है तब हमें विशेष सावधानी बरतनी है और कोरोना गाईडलाइन्स का कड़ाई से पालन करते हुए इसको पैर पसारने नहीं देना है । कोरोना वैक्सीन लगवानी है जिससे कोरोना यहाँ से जल्दी ही विदा ले और सभी चैन की सांस लेते हुए खुशहालीपूर्वक जीवन को जिएँ तथा उत्तरोत्तर प्रगति के पथ पर बढ़ें । यह मानवता की बात है जो हमने अपनों से साझा कर ली ।
राजनीति के रंग और ढंग निराले हैं, यहाँ प्रत्येक निर्णय कुर्सी / सत्ता के नफा–नुकसान की जाँच परख करके किया जाता है । पिछले ही दिनों थावर चंद गेहलोत को मंत्रिमंडल से हटाया और देखते ही देखते 12 मंत्रियों ने इस्तीफा दे दिया जिनमें केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ– हर्षवर्धन , केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद, प्रकाश जावडेकर, बाबुल सुप्रियो, राव साहेब दानवे पाटिल, देबो श्री चौधरी, रमेश पोखरियाल निशंक, सदानंद गौड़ा, संतोष गंगवार, संजा धोत्रे, रतनलाल कटारिया, प्रताप सारंगी । इन सभी का विकेट पारी पूरी होने से पहले ही उड़ा दिया गया । जनता कयास लगा रही है कि शायद उम्र अधिक होने के कारण ऐसा किया गया हो । इसीलिए युवाओं को नई टीम में शामिल किया गया । यदि ऐसा होता तो अभी बहुत से लोग हैं जो शीर्ष पदों पर हैं और वे बराबर हैं । यदि ऐसा होता तो प्रारंभ में ही चेहरे कुछ और होते ।
उत्तर प्रदेश में भी चुनाव आगे हैं और वह बहुत बड़ा प्रदेश है, यहाँ की जीत–हार पूरे देश के राजनीतिक समीकरण में बहुत बड़ी भूमिका निभाती है और जातिगत समीकरण का भी ध्यान रखा जाता है ।
मन अपने आप से प्रश्न करने लगता है आखिर कब तक हम जाति–पाति की चर्चा करेंगे इसके अनुरूप अपनी योजना बनाएंगे । आम जनता एक दूसरे से बड़े प्रेम–सौहार्द के साथ सुखद वातावरण में बात करती है कभी यह विचार तक नहीं किया जाता । 11 जुलाई को मुझे दिल्ली से बाहर जाने का अवसर मिला, ट्रेन में सहयात्री से बात हो, खाने–पीने का सामान लाने वालों की बात हो, सभी काम होते हैं कोई किसी की जाति नहीं पूछता । केवल राजनीति इसी के इर्द–गिर्द घूमती है । अब तो बस करो, हम आजादी का अमृतोत्सव मनाने जा रहे हैं तो कर्म भी अमृत के समान पावन हों तो क्या बात हो ––––सच्ची आजादी, अमृतोत्सव भी सच्चा!