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 राष्ट्रीय महापर्व छब्बीस जनवरी।

छब्बीस जनवरी पर्व मनाते, संविधान के मान में। 

लागू सन् उन्नीस सौ पचास से, भारत के सम्मान में॥ 

प्रथम राष्ट्रपति डाॅ राजेन्द्र प्रसाद ने, देश का मान बढ़ाया। 

तिरंगा लाल किला पर दिल्ली, प्रातः आठ बजे फहराया॥ 

मिली सलामी इक्कीस तोपों, वीरों के बलिदान में। 

छब्बीस जनवरी पर्व मनाते, संविधान के मान में॥ 

राष्ट्रपति भाषण संबोधन पहले,राष्ट्गान गाया जाता। 

पूर्ण स्वतंत्र प्रतिवर्ष देश में,गणतन्त्र दिवस मनाया जाता॥ 

परेड थल वायु नौसेना तीनों, आजादी की शान में। 

छब्बीस जनवरी पर्व मनाते, संविधान के मान में॥ 

देश विविधता संस्कृति समृद्धि,हर राज्य झांकियों से दर्शाता। 

बुलाये विशेष विदेशी अतिथि, को  विकास देश समझाता॥ 

झलक दिखाते अभिनय कर, महानायकों की याद में। 

छब्बीस जनवरी पर्व मनाते, संविधान के मान में॥ 

राष्ट्रपति देते वीरता चक्र सेनिकों,जो देश का मान बढ़ाता। 

बच्चों को राष्ट्रीय पुरस्कार जो, बहादुरी का प्रमाण दिखाता॥ 

स्कूलों में बाल युवा मनाते,गर्व देशभक्ति सम्मान में। 

छब्बीस जनवरी पर्व मनाते, संविधान के मान में॥

संविधान से देश हो आगे, स्वाभिमान रख जीना भाता। 

नहीं झुकेगा कभी तिरंगा, नव खुशहाली जीवन लाता॥ 

देश अखंड संकल्प हमारा, अमर शहीदों के सम्मान में। 

छब्बीस जनवरी पर्व मनाते, संविधान के मान में॥ 

मौलिक रचनाकार- उमाकांत भरद्वाज (सविता) “लक्ष्य”, भिण्ड (म.प्र.)

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