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आईए! राम!

आईए! राम!
अयोध्या में आपका स्वागत है।
वैसे, मंदिरों-महलों की आपको जरूरत नहीं;
लेकिन, श्रद्धा का भाव लेकर आईए!

आप ही खुद प्रकाश हो,
दीपकों की आपको जरूरत क्या;
मगर, ज्ञान का प्रकाश लेकर आईए!

आप सर्वव्यापी हो,
आप जय-जयकार नहीं चाहते;
मगर, गुणों की जय-जयकार लेकर आईए!

जो सबकी भूख मिटाते हैं,
उनको पकवानों से क्या लेना-देना;
लेकिन, आदर्श के पकवान लेकर आईए!

जिससे सुंदर कुछ भी नहीं,
उसको फूलों और गहनों से क्या सजाना;
लेकिन, मन की सुंदरता लेकर आईए!

आईए! राम!
अयोध्या में आपका स्वागत है।
आप आईए!
संसार का सत्य बनकर,
विचारों में विशुद्धता भरने।
अयोध्या को ही नहीं,
इस पूरे संसार को आपकी जरूरत है।
आईए! राम!
आपका कोटि-कोटि स्वागत हैं।

अनिल कुमार केसरी,

भारतीय राजस्थानी।

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