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जीवन पथ को सुगम बनाओ, वक्त गुजरता जाने दो। 

मेहनत करो रात दिन मन से,तुम अभाव भर जाने दो॥ 

व्यस्त रखो स्वयं को तुम,वांछित अर्जित कर पाओगे। 

गुजरा कब दुर्दिन वक्त,चाहकर भी नहीं जान पाओगे॥ 

आदर्श करो प्रस्तुत नव पीढ़ी,मार्ग यही अपनाने दो। 

जीवन पथ को सुगम बनाओ,वक्त गुजरता जाने दो॥ 

जीवन को संघर्ष मानकर, दुनियाँ  कर्मक्षेत्र अपनाओगे। 

फिर “लक्ष्य”असंभव नहीं, काम दुष्कर पूरे कर पाओगे॥ 

सपनों को कर साकार, खुशी गंतव्य पहुँच कर पाओगे। 

हो पथ निर्माता तभी सुगम, जनजीवन पथ कर पाओगे॥ 

माटी मेरे देश की चंदन,खुशबू जगत बिखर जाने दो। 

जीवन पथ को सुगम बनाओ, वक्त गुजरता जाने दो॥ 

मौलिक रचनाकार- उमाकांत भरद्वाज (सविता) “लक्ष्य”, भिंड (म.प्र.)

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