विकास के नाम पर लूट-खसोट अपराध है,
आम गरीब जनता के साथ विश्वासघात है.
जनता को जागने व जगाने की जरूरत है,
हक की हकीकत समझने की जरूरत है.
गरीबों के घर में भूख, भय और बीमारी है,
आम आदमी का शोषण आज भी जारी है.
किसान को अमीर लोग अन्नदाता कहते हैं,
उनकी मजबूरी का फायदा खूब उठाते हैं.
बद से बदतर है किसान का जीवन आज,
हर वक्त आत्महत्या के लिए रहते हैं तैयार.
फसल का लागत मूल्य मिलना मुश्किल है,
अन्नदाता की झोली खाली की खाली है.
बैंक का कर्ज हो या खाद-बीज-पानी हो,
दलालों का गोरखधंधा खुलेआम देख लो.
कमीशनखोरों की बहुत बड़ी जमात है,
ऊपर से नीचे तक कार्यशैली बदनाम है.
सरकारी दफ्तरों में घूसखोरी अधिकार है,
खुल्लमखुल्ला भ्रष्टाचारियों का व्यापार है.
बेरोजगार युवकों की सड़कों पर भीड़ है,
प्रशासनिक व्यवस्था दिखती नहीं गंभीर है.
वक्त की पुकार है;क्रांति ही सही उपचार है,
आराम हराम है,परिस्थिति की ललकार है.
गरीब की मजबूरी को जब अमीर समझेगा,
क्रांतिकारियों का कारवाँ स्वत: रुक जाएगा.
डॉक्टर सुधीर सिंह