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पत्तों की ताली

अमरैया की छांव तले  नन्हे नन्हे ,पांव चले । हरी-भरी, डाली में झूमे बचपन जिसकी ,गोद पले । मीठे फल और ठंडी छांव बरगद वाला, मेरा गांव । लट देखो ,धरती को चूमे मस्ती में वो सर- सर झूमे  । ज्यो  मतवाली नाव चले  अमरैया  की छांव तले।  नन्हे नन्हे पांव चले।  फल हैं जैसे,…

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ग्रहण

होती है सिर्फ़ एक खगोलीय घटना ये सूर्य ग्रहण या फिर चंद्र ग्रहण किंतु हो सकते हैं कई दुष्प्रभाव भी इनके करते करते परिक्रमा आता जब चंद्रमा बीच में धरती और सूर्य के तो ढाँप कर सूर्य को कर देता उसे तेजहीन रुक सा जाता है कुछ समय के लिए मानो जीवन ही कहलाता है…

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सँभल जाए अगर माली, महके हर रूह की डाली : कविता मल्होत्रा

एक प्राकृतिक आपदा की तरह कोरोना वायरस समूचे विश्व पर मँडराया और वैश्विक बँधुत्व की सीख देकर आगे निकल गया।लेकिन अब भी सीमा पार से परस्पर वैमनस्य के कारण शहादत की खबरें आती हैं तो एैसा लगता है कि अभी मानव को बहुत कुछ सीखना है। कई लोगों को बेरोज़गारी का रोना रोते देखा और…

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एक बैठक

एक दिन सभी महिलाओं के आत्मसम्मान  एवं  भावनाओं ने बैठक रखी। दूर एक निर्जन पहाड़ी की चोटी पर, जहाँ कोई मनुष्यरूपी प्राणी नहीं पहुंच पाता, सभी मिले। उनका साथ देने के लिए कल-कल बहती नदियां, ऊँची पहाडियाँ, आकाश में उड़ते पंछी थे। उनका हौसला बढ़ाने के लिए सूरज भी चमक रहा था और बादल भी…

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‘प्रवासी मजदूर और बरसात का कहर’-

आज सारे संसार के सामने कोरोना महामारी का प्रकोप पांव पसार खडा़ है, मानव को झंकजोर कर रख दिया है.एक दूसरे की संवेदना शून्य सी जान पडती है. विश्व की सभ्यता, संस्कृति और सामाजिक ढांचे में अचानक बदलाव आया है, इन सब का शिकार मजदूर वर्ग हुआ है. भारत में प्रवासी मजदूरों के साथ एक…

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लाॅकडाउन

            करीब चार महीने पहले ई रिक्शा पर कुछ सामान लादकर एक आदमी किराए का   एक कमरा खोज रहा था। उसके साथ उसकी पत्नी और दो बच्चे  भी थे जो बार बार रिक्शे से बाहर झांक रहे थे। शायद उनमें उस घर को देखने की उत्सुकता हो रही होगी जहां उनको रहना था। उन चारों…

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यारो मैंने पंगा ले लिया… (सम्पादकीय)

जी हाँ मित्रो!, चीन ने पूरी दुनिया में कोरोना वायरस को फैलाकर कोहराम मचा दिया  जिसके चलते सारा विश्व परेशान है और सबके निशान पर चीन अपने को देख रहा है ।  गलती की है  और यदि मान लेते हो तो इसके अनेक उपाय हैं, बात बन जाएगी । किन्तु चोरी और सीनाजोरी न कभी…

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ग़ज़ल

कभी बैठकर कभी लेटकर चल कर रोये बाबू जी, घर की छत पर बैठ अकेले जमकर रोये बाबू जी। अपनों का व्यवहार बुढ़ापे में गैरों सा लगता है, इसी बात को मन ही मन में कह कर रोये बाबू जी। बहुत दिनों के बाद शहर से जब बेटा घर को आया, उसे देख कर खुश…

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नया पकवान

एक महान राजा के राज्य में एक भिखारीनुमा आदमी सड़क पर मरा पाया गया। बात राजा तक पहुंची तो उसने इस घटना को बहुत गम्भीर मानते हुए पूरी जांच कराए जाने का हुक्म दिया। सबसे बड़े मंत्री की अध्यक्षता में एक समिति बनाई गई जिसने गहन जांच कर अपनी रिपोर्ट पेश की। राजा ने उस…

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“जीवन का समीकरण”

“ये ज़िन्दगी भी तो एक रक्कशा है साहेब अगर आप सफल हो, सारे खूबसूरत जलवे दिखाती है। पर अगर आप गोते लगाते हो, असफलता के गर्त में, तो फिर ये आपसे नजरें चुराती है।” सपने देखना अच्छी बात है। उन्हें पूरे करने के लिए कोशिश करना और भी अच्छी बात है। परन्तु सारी कोशिशों के…

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