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प्रसार भारती द्वारा सुप्रीम कोर्ट के उमादेवी जजमेंट का खुलम खुला उल्लंघन

आकांक्षी अनियमित कर्मी लड़ेंगे आर – पार की लड़ाई-दिलीप बनर्जी

नई दिल्ली 13 अक्टूबर 2022

कहने को तो प्रसार भारती भारत सरकार की एक महत्वपूर्ण इकाई है लेकिन संविधान की रक्षा करने के मामले में यह निकृष्ट साबित हुई है। पूरे देश भर में एकमात्र प्रसार भारती ही सरकारी विभाग है जिसने अब तक सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ के फैसले का अनुपालन नहीं किया है और सबसे आश्चर्यजनक बात है कि उसे अपने इस किए पर न तो पछतावा है और न ही शर्म। सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने 10 अप्रैल 2006 को कर्नाटक सरकार बनाम उमा देवी के मामले में ऐतिहासिक फैसला देते हुए 10 वर्ष तक लगातार कार्य करने वाले अनियमित कर्मियों को नियमित करने का आदेश जारी किया था। भारत सरकार के कार्मिक एवं प्रशासनिक सुधार विभाग ने इस संबंध में 2006 में ही सभी सरकारी विभागों को इसके अनुपालन करने का आदेश जारी किया था। इसके बाद भी बार-बार डीओपीटी के द्वारा सभी विभागों को उमा देवी जजमेंट के अनुपालन को सुनिश्चित करने का आदेश दिया जाता रहा है, लेकिन एक प्रसार भारती है जिसने फैसले के 16 वर्ष बीत जाने के बाद भी अनुपालन करना जरूरी नहीं समझा। यही वजह है कि भारत सरकार के इस प्रतिष्ठित संस्थान में कार्य करने वाले अनियमित कर्मियों को शोषण और अन्याय के अंधेरे से बाहर नहीं निकाला जा सका है। प्रसार भारती की मंशा साफ है कि जितने भी योग्य अनियमित कर्मी हैं वह धीरे-धीरे या तो संस्थान से बाहर निकाल दिए जाएं या ओवर एज होकर बाहर निकल जाएं या फिर शोषण का दंश झेलते हुए इस दुनिया से ही चले जाएं ताकि जब भी वह संवैधानिक पीठ के आदेश के अनुपालन करने का दिखावा करे तब तक उसका लाभ लेने वाला एक भी व्यक्ति जिंदा ही ना बचे।

संवैधानिक पीठ के आदेश के अनुपालन के दिखावे की बानगी यदि देखना हो तो प्रसार भारती के 5 सितंबर 2019 के परिपत्र के साथ लाई गई नियमितीकरण योजना दिनांक 22.08.2019 की विषय वस्तु को समझना जरूरी हो जाता है। इस नियमितीकरण योजना को लाए हुए भी 3 साल से ऊपर हो गए लेकिन प्रसार भारती की मंशा वही रही है जो पिछले 16 वर्षों से रही है। 3 वर्षों में भी उसने इस कार्य को निष्पादित नहीं किया जबकि नियमितीकरण योजना की विषय वस्तु में स्पष्ट रूप से योजना के क्रियान्वयन में समय बंधता उल्लिखित थी जो क्रमबद्ध तरीके से 4 महीने के भीतर पूर्ण होकर 4 फरवरी 2020 को निष्पादित कर दिया जाना था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। अपनी मंशा को अंजाम देते हुए प्रसार भारती ने 27 जुलाई 2020 को दोबारा दावेदारों से आवेदन ऑनलाइन मंगाने की सूचना जारी की। 16 नवंबर 2020 को एक पोर्टल जारी करते हुए ऑनलाइन आवेदन मंगाए गए और बहाना पारदर्शिता बरतने का लिया गया लेकिन उस पोर्टल पर प्रसार भारती कब -कब और क्या- क्या करती रही इसकी आधिकारिक सूचना कभी किसी को नहीं दी गई। 30- 30 वर्षों तक काम करके लोग संस्थान से बाहर भी हो गए लेकिन प्रसार भारती से एक काम न हुआ वह है सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ के आदेश का अनुपालन। आज इसमें आवेदन देने वाले दावेदार खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं। यह परिस्थिति कहीं न कहीं मोदी सरकार की छवि को एक ठग सरकार के रूप में स्थापित करने लगी है जिसके लिए जिम्मेदार प्रसार भारती है। ऐसी बात नहीं है कि सिर्फ प्रसार भारती ही जिम्मेदार है बल्कि सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर को भी आकाशवाणी और दूरदर्शन में काम करने वाले अनियमित कर्मियों ने कई बार गुहार लगाई लेकिन उनसे भी आश्वासन के सिवा कुछ नहीं मिला। इसी वजह से प्रसार भारती का भी मन बढ़ा हुआ है और बार – बार स्मारित करने के वावजूद वह सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना करने से बाज नहीं आ रहा है। इन्हीं सब कारणों से अब प्रसार भारती की नियमितीकरण योजना के आकांक्षियों में रोष व्याप्त है और वह अब चरणबद्ध आंदोलन करने की रूपरेखा तैयार कर चुके हैं, जो इस प्रकार है :-

1. प्रसार भारती सीईओ को एक ज्ञापन भेज कर उमा देवी जजमेंट का क्रियान्वयन 10 दिनों के भीतर सुनिश्चित करने की मांग करना

2. ज्ञापन का जवाब नहीं आने की स्थिति में देश की राजधानी दिल्ली में देश-विदेश की मीडिया के साथ प्रेस वार्ता आयोजित करना

3. तत्पश्चात प्रसार भारती के समक्ष शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन के साथ साथ अनिश्चितकालीन क्रमिक भूख हड़ताल

उपरोक्त सभी कार्यक्रम Prasar Bharati Regularisation Aspirants Group (प्रसार भारती रेगुलराइजेशन एस्पीरेंट्स ग्रुप) के बैनर तले आयोजित किया जाएगा, जिसमें देशभर के विभिन्न आकाशवाणी एवं दूरदर्शन केंद्रों तथा समाचार एकांशों के नियमितीकरण आकांक्षी सम्मिलित होंगे।

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