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पानी में डूबने के कारण एवं बचने के उपाय

बरसात में देश के विभिन्न क्षेत्रों में नदी, नहर, कुआँ, तालाब, गहरे गड्डे, झील, पोखर, जल प्रपात आदि जलाशयों में स्नान करने, जानवर नहलाने या कपड़े धोने जैसे रोज़मर्रे के काम के दौरान विभिन्न कारणों से अनजाने में बच्चों, किशोर-किशोरियों तथा वयस्क व्यक्तियों की डूबने से मृत्यु होती रहती है। सावधानी, सतर्कता एवं जागरूकता के द्वारा इस अमूल्य जीवन को नष्ट होने से बचाया जा सकता है।

        खतरों की उपेक्षा या कमतर आंकना या गलत जानकारी, सही व सटीक जानकारियों के बिना नहर में जाना, निगरानी एवं पर्यवेक्षण की कमी, तैराकी का अभाव, कम उम्र के बच्चों को अभिभावकों द्वारा नदियों एवं तालाबों में नहाने के लिए अकेले छोड़ देना, पानी में डूबते व्यक्ति को बचाने हेतु बिना तैयारी और अनुभव के पानी में कूद पड़ना आदि डूबने से होने वाली मौतों के प्रमुख कारण है ।

             अगर आप भली प्रकार तैरना जानते हों और साथ ही साथ डूबते को पानी से बाहर लाने की कला जानते हों तब ही आप किसी को बचाने के लिए पानी में जाये अन्यथा आपके जीवन को भी खतरा हो सकता है। यदि आप के निकट पानी में कोई डूब रहा है तो आप उसे बचाने के लिए पानी के बाहर से जो भी उपलब्ध साधन जैसे बांस का टुकड़ा, रस्सी, कोई लंबा कपड़ा जैसे साड़ी, धोती बाहर से फेंक कर डूबते हुये व्यक्ति को पकड़ने को कहें और उसे धीरे-धीरे बाहर खींच कर लाएँ।  किसी को डूबता देखकर मदद के लिए शोर मचाएँ, जिससे आस-पास के सक्षम लोग मदद कर सकें। डूबे हुये या डूबते हुये व्यक्ति को पानी से बाहर निकालने पर देखें कि वह व्यक्ति होश में है या नहीं। होश में रहने पर उससे सामान्य तरह से बात कर ढाढस बधाएँ, उसके नाक, मुह को देखें कि कुछ फंसा तो नहीं है, यदि है तो उसे निकालें और स्वच्छ पानी से साफ करें। प्रभावित व्यक्ति खाँसने, बोलने या सांस ले सकने कि स्थिति में है तो उसे ऐसा करने के लिए प्रोत्साहित करें।

        यदि प्रभावित व्यक्ति का पेट फूला हुआ है तो पूरी संभावना है कि उसने पानी पी लिया होगा। अतः पेट से पानी निकालने के लिए अगर कोई स्वयं सेवक प्रशिक्षित है तो उसकी मदद लें अन्यथा नजदीकी चिकित्सक को बुलायें या सुविधानुसार प्रभावित व्यक्ति को अविलम्ब नजदीकी चिकित्सालय ले जायें। चिकित्सालय ले जाने के लिए जो भी साधन मौके पर उपलब्ध हो उसका प्रयोग करें अन्यथा 102/108 पर फोन कर एंबुलेंस बुला लें ।

        ‌स्नान करने के घाटों पर सुरक्षा उपकरण जैसे-लंबी व मजबूत रस्सी, बांस के लंबे टुकड़े, हवा भरे गाड़ियों के ट्यूब, लाइफबाय आदि सामग्रियों को रखें, जो आकस्मिक समय पर काम आयेंगी। तेज धार या उफनायी हुयी नदी, नहर, नाले, तालाब आदि में स्वयं एवं अपने स्वजनों को जाने से रोकें। बच्चों को पुल, पुलिया, ऊँचे टीलों से पानी में कूद कर स्नान करने से रोकें। नदी या जल निकाय के किनारों पर जाना और स्नान करना, यदि अति आवश्यक हो तो पानी में उतरते समय गहराई का ध्यान रखें।यदि उस स्थान या घाट के आस-पास कोई सलाह या दिशा-निर्देश लिखें हों तो उनका पालन करें। भली प्रकार तैरना जानते हों तभी पानी में उतरें या स्नान करें, अन्यथा स्थानीय प्रशासन द्वारा बताये गए स्नान करने के चिह्नित घाटों पर ही स्नान करें।  एक साथ परिवार के कई लोग नदी या अन्य घाटों पर स्नान न करें। बच्चों को यदि स्नान करना हो तो बड़ों की कुशल देखरेख में ही स्नान करने दें। कोशिश करें किसी नदी या जल निकाय में सामूहिक रूप से स्नान करने जाते समय साथ में 10-15 मीटर लंबी रस्सी या धोती या साड़ी अवश्य रखें।

           नदियों, नहरों, जलाशयों या अन्य जल निकायों के पास लिखी हुयी चेतावनी की अवहेलना न करें। छोटे बच्चों को घाटों, जल निकायों के समीप न जाने दें। एकदम से अनजान एवं सुनसान नदियों, नहरों, तालाबों के घाटों पर स्नान करने न जायें। किसी के उकसावे या बहकावे में आकार पानी में छलांग न लगायें। नदियों, नहरों या अन्य जल निकायों के घाट के किनारों पर पारंपरिक, धार्मिक, सामाजिक रीति-रिवाजों, अनुष्ठान, संस्कारों का निर्वहन करते समय किसी भी तरह की असावधानी न बरतें। जलासयों में कोई तैरती वस्तु या अन्य आकर्षक फूल इत्यादि के लालच में पड़कर उसे छूने, पकड़ने, तोड़ने न जायें। ऐसा करना जानलेवा हो सकता है। तैरना सीखने के लिए अकेले पानी में न जायें, किसी कुशल प्रशिक्षक या तैराक की देखरेख में ही तैराकी सीखें। तैरते या पानी में स्नान करते समय स्टंट न करें या सेल्फी आदि न लें, ऐसा करना जानलेवा हो सकता है।

डॉ नन्दकिशोर साह

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