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अमृत उद्यान में झूमे दिव्यांग

दिव्यांगता अभिशाप नहीं है। दिव्यांगों को देख कर यह बात दावे से कही जा सकती है। इनमें भी सामान्य लोगों की भांति अद्भुत प्रतिभा छिपी हुई है। यदि इन्हें उचित माध्यम मिले तो निश्चित ही यह किसी से पीछे नहीं हैं। हम सभी का कर्तव्य है कि इनके साथ सामान्य लोगों जैसा व्यवहार करें। जिससे अपनी गंभीर दिव्यांगता के कारण हीन भावना से ग्रस्त रहने वाले लोग धीरे धीरे समाज की मुख्य धारा से जुड़ सके।

दिव्यांग बच्चों की दुनिया कितनी अलग और मुश्किलों भरी है इसका अंदाजा शायद हम न लगा पाएं। इनकी दुनिया कई बार आंखों के परे जाती हैं जिन्हें हम आंखों वाले न देख पाएं और न समझ पाएं। वहीं ऐसी ऐसी दिव्यांगता है जिसका अनुमान हम न लगा पाएं। वैसे 21 तरह की दिव्यांगता को रेखांकित किया गया है। इन 21 किस्म की दिव्यांगता को कैसे समझा और ऐसे बच्चों के साथ हमारा कैसा बरताव हो, उन्हें कैसे सीखने−सिखाने की रोचक प्रक्रिया से जोड़ सकें इसके लिए अलग  ही विशेष प्रकार की तैयारी और प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है। सामान्यधारा से प्रशिक्षित शिक्षक कई बार इन बच्चों को पढ़ाने−समझने में असमर्थ होते हैं। क्योंकि इनकी शिक्षा व प्रशिक्षण दिव्यांग बच्चों को समझने और शिक्षण−शास्त्र की गहरी समझ विकसित नहीं की जाती। इस प्रकार के दिव्यांग बच्चों को पढ़ाने के लिए विशेष प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है। इन्हें स्पेशल टीचर कहा जाता है। ये शिक्षक बच्चों की दिव्यांगता की पहचान, रणनीति, निराकरण आदि में दक्ष होते हैं। जो बच्चे इनके रेखांकित नहीं हो पाते उनकी अस्पतालों में डॉक्टर की मदद से पहचान की जाती है। बच्चे की दिव्यांगता के स्तर के अनुसार उसकी शिक्षण विधि तय की जाती है।

स्पेशल टीचर होने के नाते इन दिव्यांग बच्चों के साथ मेरा बहुत नजदीकी से संबंध रहता है।कभी-कभी ऐसे दिव्यांग बच्चों को देखकर लगता है कि परमात्मा ने इन्हें कोई विशेष दिव्य शक्ति भी प्रदान की है।ऐसे बच्चों का मन बहुत कोमल और सच्चा होता है। ऐसे दिव्यांग बच्चे कभी झूठ नहीं बोलते और विशेष रूप से छल कपट की दुनिया से अलग रहते हैं। ऐसे बच्चों के साथ अध्यापन कार्य करते हुए मुझे एक विशेष आनंद की अनुभूति होती है। ऐसे बच्चों की खुशी को देखकर मन आत्म संतोष का अनुभव करता है।

उद्यान उत्सव के अंतर्गत 29 मार्च 2023 को देश की राजधानी दिल्ली में राष्ट्रपति भवन स्थित अमृत उद्यान में विशेष रूप से दिव्यांग छात्रों को भ्रमण के लिए आमंत्रित किया गया।आजादी के बाद यह पहला अवसर है जब केवल दिव्यांगजनों को अमृत उद्यान के भ्रमण के लिए विशेष रूप से बुलाया गया।मेरे विद्यालय के दिव्यांग छात्र भी अमृत उद्यान में भ्रमण के लिए गए तो उनकी खुशी को देखकर मुझे विशेष प्रसन्नता हुई।इस कार्यक्रम का आयोजन दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय, भारत सरकार की ओर से किया गया और पंडित दीनदयाल उपाध्याय राष्ट्रीय शारीरिक दिव्यांगजन संस्थान, नई दिल्ली को नोडल एजेंसी बनाया गया था। इस कार्यक्रम में दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग एवं पीडीयूएनआईपीपीडी, नई दिल्ली के वरिष्ठ अधिकारियों, कर्मचारियों, विद्यार्थियों ने विशेष रूप से सहयोग किया। इसके अलावा विभाग के अंतर्गत आने वाले दिव्यांगजन संस्थान, दिल्ली सरकार का शिक्षा विभाग, समाज कल्याण विभाग और दिल्ली नगर निगम, दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों ने भी बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया।इस कार्यक्रम में 13000 दिव्यांगजनों ने पंजीकरण करवाया और 10000 से अधिक दिव्यांगजनों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। शिक्षा विभाग दिल्ली के विद्यालयों से 5000 दिव्यांग छात्रों ने आज अमृत उद्यान राष्ट्रपति भवन का भ्रमण किया इनके साथ 5 छात्रों पर एक अध्यापक को उनकी देखरेख के लिए नियुक्त किया गया था। मेरे विद्यालय से दिव्यांग छात्रों के साथ मुझे भी अमृत उद्यान में जाने का अवसर प्राप्त हुआ। सभी छात्रों ने सर्वप्रथम हर्बल गार्डन देखा और उसमें विभिन्न पौधों से आ रही खुशबू को अनुभव करके अपने आप ही बता दिया कि यह कौनसा पौधा है। इसके पश्चात अमृत उद्यान में जाकर बच्चों ने अलग ही खुशी का अनुभव किया साथ में देश की महामहिम राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने सभी दिव्यांग छात्रों से मुलाकात की तथा इनके साथ तस्वीरें भी खिंचवाई। राष्ट्रपति ने टेक्टाइल उद्यान में दृष्टिबाधित दिव्यांगजनों से बात की। दृष्टिबाधित दिव्यांगजनों ने ब्रेल लिपि में अंकित अक्षरों को राष्ट्रपति की उपस्थिति में पढ़ा। महामहिम की उपस्थिति में दिव्यांग बच्चों ने फूलों को स्पर्श किया और अपना अनुभव बताया। राष्ट्रपति मुर्मु ने बच्चों को चॉकलेट भी वितरित की।

और राष्ट्रपति ने बच्चों से अमृत उद्यान भ्रमण के अनुभव साझा किए। महामहिम राष्ट्रपति से मिलकर बच्चे बहुत ही खुश हुए तथा अमृत उद्यान में चल रहे फव्वारों को देखकर झूम उठे।इस कार्यक्रम में चलने-फिरने में असमर्थ दिव्यांग, दृष्टिबाधित, वाक् और श्रवण दिव्यांग, बौद्धिक अशक्तता से पीड़ित दिव्यांग, सेरेब्रल पाल्सी, डाउन सिंड्रोम, कुष्ठ रोग, डार्फिस्म दिव्यांग इत्यादि शामिल थे।

अत: एव इस सन्दर्भ में देखा जाए तो दिव्यांग बच्चों को हम छोटी छोटी खुशियां देकर उनके जीवन में यादगार लम्हे दे सकते हैं। हम सभी को यथासंभव ऐसे बच्चों को खुशी देने का प्रयास करना चाहिए।आज अमृत उद्यान का भ्रमण कर दिव्यांग बच्चों ने जो खुशी अनुभव की उस को शब्दों में बयां करना आसान नहीं है। यद्यपि आज भी भारत में आमतौर पर दिव्यांगता को पूर्व जन्म के कर्मों से जोड़कर देखा जाता है और दिव्यांग व्यक्तियों को दया का पात्र समझा जाता है। परंतु मेरा व्यक्तिगत अनुभव है कि दिव्यांग बच्चे भी सामान्य ही हैं इन्हें थोड़ी सी अतिरिक्त सहायता की आवश्यकता पड़ती है यदि हम इनका सहयोग करें सामान्य बच्चों की  तरह ये भी अपने सपने पूरे कर सकते हैं और खुशी से अपना जीवन व्यतीत कर सकते हैं।

आज दिव्यांगों के प्रति समाज के दृष्टिकोण को सकारात्मक बनाने की आवश्यकता है, तभी वे सामान्य जनों की तरह विकास की मुख्य धारा से जुड़कर समाज के निर्माण में सशक्त भूमिका निभा पाएंगे।

मोनिका शर्मा

विशेष शिक्षा अध्यापिका (दिल्ली)

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