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समस्त भारत आनन्दित, हर्षित एवं गर्वित है क्योंकि मेरे राम आ रहे हैं।

अयोध्या नगरी इतिहास रचने के बहुत करीब है। जिस दिन का सभी सनातनियों को अरसों से इंतजार था, वो दिन बस
आने ही वाला है। अयोध्या में बन रहे भव्य राम मंदिर में अब प्रभु विराजमान होकर अपने भक्तों को दर्शन देने वाले हैं।
दुनिया की जटिल से जटिल समस्याओं के मूल में यदि गहराई से झांकेंगे, तो श्री राम हमें सभी समस्याओं का समाधान
दिखाते हैं। श्री रामायण और श्रीराम का पूरा जीवन चरित्र विश्व में सर्वव्यापी सभी समस्याओं का समाधान भी है और
उत्तर भी। राम के जन्म के मूल में ही लोककल्याण की अवधारणा निहित है। त्रेता युग में इस धरती पर अवतार लेने से
लेकर मां सरयू की गोद में अंतिम प्रवास तक श्रीराम ने अपने पूरे कालखंड में इस सम्पूर्ण समाज को एक सूत्र में पिरोने का
काम किया, इसी की आवश्यकता आज ना सिर्फ सनातन समाज को बल्कि पूरे जगत को है। ‘सब के राम’ इन शब्दों का
अर्थ अपनी-अपनी भावना के अनुसार अलग-अलग समझा जा सकता है, पर सभी का सार यही है कि राम सब के हैं।
श्रीराम इस सनातन भारत भूमि के पूज्य तो हैं ही, श्रीराम सम्पूर्ण विश्व के हैं, इस पावन वसुंधरा के हर प्राणी के हैं राम।
राम हर भारतीय के रोम रोम में राम बसते हैं। सत्य ये भी है कि इस विश्व की हर समस्या का समाधान ही श्रीराम हैं।
रामायण कथासागर में से कुछेक कथाओं को ही गहराई से समझेंगे तो जान पाएंगे कि श्रीराम ने सबको गले लगाया।
राजमहल में अपने सहयोगियों से लेकर वनवासियों, ग्रामीण अंचल के हर वर्ग को उन्होंने सदा सम्मान दिया, अपने संग
स्थान दिया। कभी किसी के सखा बने तो कभी किसी के प्रभू, या कभी किसी को ‘तात’ कहकर श्रीराम ने सभी से
आत्मीयता को जो सम्बंध बनाया, वो सदा अटूट रहा। कालांतर में मुगल आक्रांताओं द्वारा हिन्दू जनमानस के आस्था के
केंद्र व भारतीय समाज को समरसता, नैतिकता व कर्तव्यपालन का बोध कराने वाले श्रीराममंदिर को तोड़ने के बाद हिंदू
समाज आत्म सम्मान के रण में डटा रहा और लगातार अयोध्या में श्री राम मंदिर के निर्माण के लिए प्रयास करता रहा,
सरयू कई बार रक्त से लाल हुई। हम कुछ मोर्चे हारे परन्तु रण जितने का संकल्प कभी कम नहीं हुआ। हिंदू समाज
तलवारों से रक्त रजिंत हुआ पर उसने हार नहीं मानी। 1528 से आरम्भ हुआ श्रीराममंदिर आंदोलन का समापन 9
नवम्बर 2019 को सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक निर्णय से हुआ। 5 अगस्त 2020 को भूमिपूजन के साथ करोड़ों सनातनियों
की भावनाओं ने विविध प्रकार से उत्सव का हर्षोल्लास मनाया। इस प्रकार 5 अगस्त 2020 को भारत के प्रधानमंत्री श्री
नरेंद्र मोदी ने श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के अध्यक्ष पूज्य महंत नृत्यगोपाल दास व राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूज्य
सरसंघचालक डॉ.मोहन भागवत एवं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्य नाथ की उपस्थिति में श्री राम जन्मभूमि
पर भगवान श्री राम के भव्य मन्दिर के लिए भूमि पूजन कर मन्दिर निर्माण कार्य का शुभारम्भ किया। इस तरह लगभग
500 वर्षों से श्री राम जन्मभूमि की मुक्ति के संघर्ष का पटाक्षेप हुआ। जिसके सुखद परिणामस्वरूप भगवान श्री रामलला
की प्राण-प्रतिष्ठा योग का शुभ मुहूर्त, पौष शुक्ल द्वादशी, विक्रम संवत 2080, यानी सोमवार, 22 जनवरी, 2024 को हो
रहा है। यह दिवस किसी एक मंदिर के उत्सव का नहीं, अपितु देशभर के हिंदू जनमानस की दृष्टि व विचार को बदलने की
उपलब्धि का है। मन्दिर आंदोलन के इतिहास में अनेकों बलिदानियों के रक्त व उनके परिजनों के त्याग का बिंदु समाहित
है। राममंदिर के प्रति समाज की आस्था इस कदर है कि सर्वत्र, सभी की जुबान पर श्री राम ही नजर आ रहें हैं। अपने
आत्म सम्मान और राष्ट्रीय अस्मिता की रक्षा के लिए इतना लंबा संघर्ष बेजोड़ हैं। श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ने राम
मंदिर निर्माण में अत्यंत संवेदनशीलता दिखाते हुए राम मंदिर को विविध श्रेणियों की कल्पनाओं के उच्चतम स्तर को स्पर्श
करते हुए भव्य मंदिर का मॉडल प्रस्तुत किया गया। राम मंदिर परंपरागत नागर शैली में है। मंदिर की लम्बाई पूर्व से
पश्चिम 380 फिट, चौड़ाई 250 फिट व ऊंचाई 161 फिट है। मंदिर तीन मंजिला है। कुल 392 स्तंभ व 44 द्वार मंदिर में
हैं। भूतल में प्रभु श्रीराम का मोहक बाल रूप तो प्रथम तल में श्रीराम दरबार का गर्भगृह है। नृत्य मंडप, रंग मंडप, सभा
मंडप, प्रार्थना व कीर्तन मंडप है। 732 मीटर लंबे व 14 मीटर चौड़े चहुमुखी आयताकार परकोटे के चार कोनों पर
भगवान सूर्य, मां भगवती, गणपति व भगवान शिव का मंदिर रहेगा। उत्तरी भुजा में मां अन्नपूर्णा व दक्षिणी भुजा में
हनुमान जी विराजित होंगे। मंदिर के समीप ही पौराणिक काल का सीताकूप रहेगा। मंदिर परिसर में ही महर्षि वाल्मिकी,
महर्षि वशिष्ठ, विश्वामित्र, अगस्त्य, निषादराज, माता शबरी व देवी अहिल्या के मंदिर प्रस्तावित हैं। नवरत्न कुबेर टीला पर भगवान शिव का प्राचीन मंदिर व जटायु की स्थापना की गई हैं। मंदिर में लोहे का प्रयोग नहीं व धरती के ऊपर
कंक्रीट नहीं है। जमीन के नीचे गर्भगृह पर 14 मीटर मोटी रूलर कम्पेक्टेड कंक्रीट है। नमी से बचाव हेतु 21 फिट ऊंची
प्लिंथ ग्रेनाइट है। 70 एकड़ का हरित क्षेत्र है। मंदिर परिसर में सीवर ट्रीटमेंट प्लान, वाटर ट्रीटमेंट प्लान, अग्निशमन के
लिए जल, स्वतंत्र पावर स्टेशन, दर्शनार्थ सुविधा केंद्र, लाकर व चिकित्सा व्यवस्था की सुविधा हैं।
भारत को ही नहीं पूरे विश्व को 22 जनवरी 2024 का बेसब्री से इंतजार है। इस दिन अयोध्या में श्रीराम अपनी
जन्मस्थली पर भव्य और नवनिर्मित मंदिर के गर्भगृह में विराजित होंने जा रहे हैं। 22 जनवरी को 84 सेकंड की
समयावधि में ऊर्जा का जो प्रवाह है उससे सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड एक दिव्य ऊर्जा से ओत-प्रोत होने जा रहा है। सभी शास्त्रीय
परंपराओं का पालन करते हुए, प्राण-प्रतिष्ठा का कार्यक्रम अभिजीत मुहूर्त में संपन्न किया जाएगा। भगवान रामलला की
प्राण प्रतिष्ठा के लिए 84 सेकंड का अति सूक्ष्म मुहूर्त निकाला गया है। जो 12 बजकर 29 मिनट 8 सेकंड से 12 बजकर 30
मिनट 32 सेकंड तक होगा। सरसंघचालक मोहन भागवत, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व देश के प्रतिष्ठित जनों, संतों व
रामभक्तों की उपस्थिति में 22 जनवरी को होने वाली राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा भारतीय मूल्यों, परम्पराओं व रामराज्य
की उच्चता का आह्वान करेगी।
“राम राज बैठे त्रैलोका,हर्षित भए गए सब सोका।। बयरु न कर काहू सन कोई, राम प्रताप बिषमता खोई।।” अर्थात्
श्रीराम के राजगद्दी पर बैठते ही राजकार्य की व्यवस्था को अपने हाथों में लेते ही, तीनों लोक- स्वर्ग, मर्त्य, और पाताल
अत्यंत प्रसन्न हुए और उनके सब दुःख दूर हो गए। राम के प्रताप से सब के मनों के भेद-भाव या कुटिलता नष्ट हो गई,
अर्थात् कोई किसी से वैर नहीं करता था। इसी रामराज्य की स्थापना का उत्सव हम मनाने जा रहे हैं। लोकमंगल के
कल्याण हेतु प्रतिबद्ध श्रीराम की प्रतिष्ठा अयोध्या में होने से अयोध्या विश्व संस्कृति की राजधानी के साथ ही समस्त
वसुधा के का केंद्र बनने जा रही है। 22 जनवरी का दिन इतिहास के पन्नों में स्वर्णाक्षरों के अंकित होगा। इस उल्लास में
भारत आनन्दित है, हर्षित है, रोमाचिंत है, सनातन गर्वित है कि मेरे राम आ रहे हैं।
श्री राम भारत की आत्मा, हमारी परिभाषा, हमारे आदर्श एवं जीवन मूल्यों के प्रतिनिधि मर्यादा पुरुषोत्तम हैं जो हर
हिन्दू के होठों पर जन्म से मृत्यु तक रहें बस यही हर ह्रदय में प्रार्थना होती है।
डॉ.पवन शर्मा

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