ग्रास
मुर्गे उदास होते हैं
काकटेल में वे बलि का बकरा बनते हैं
दिग्गज के ग्रास होते हैं
रीेतिकाल
छात्रों ने पूछा
दरबारी कवियों के
राजकीय सम्मान से अभिप्राय
वे बोले साहित्य के दिग्गज
सलामी देते हैं सूंड उठाये
अनुरोध
उन्होंने साहित्यिक समारोह के
निमंत्रण पत्र भिजवाये
लिखा आप साहित्य के दिग्गज-कृप्या
अपनी गजगामिनी भी साथ लायें
चिडियाधर
हिरणी सी आखें तोते सी नाक
मोर सी गर्दन, हंसिनि सी चाल
हे गजगामिनि – हे अनेक रूपिनी
घर कबूतरखाना – कहे तेरा कबूतर – आ मेरी चिडिया
चिडियाधर संभाल
दाग
साबुन महंगा डिटरजेंट अनुपलब्ध
लोग सीधे सादे सच्चे है…..
एक दूसरे के दाग की प्रशंसा में-
कहते हैं-दाग तो अच्छे हैं
विश्ेषण विपर्यय
अनुभव के संदर्भ में उन्होंने इतने शब्द कहे
बाल धूप में सफेद नहीं हुए-उम्र के साथ पक गये
पकने पर सफेद होेने का सच गडबडा गया
सफेद झूठ पकडा गया तो चेहरा स्याह पड गया
पोल ..पटटी
दूध धूले हों या दूध जले
एक दूसरे पर कीचड उछालने लगे तो
संबके बखिये उधडे कच्चे चिटठे खुले
मुहजोर पीढी
निरीक्षक महोदय ने निरीक्षण करते समय
छात्रों के हाथों में छुरा देखा
ते स्थिति को संभाल लिया
संबके हाथों में कुजियां देखी
तो मुह पर ताला लगा लिया
अंक दस गुनो…….
बिहारी का दोहा पढकर बोले
प््राचीन काल में ललना
माथे पर बेंदी लगाती
रूपाराशि दसगुनी हो जाती
आज की-जीरो फिगर की हीरोइन को देखकर
सभी चक्कृत
माथे पर गोल बेंदी – केवल शून्य द्विगुणित