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समुद्र की गहराई में ध्यान

कुशलेन्द्र श्रीवास्तव

अब पष्चिम बंगाल के संदेषखाली को भारत के लोग जानने ही लगे हैं, सारी दुनिया के जागरूक लोग भी जानने लगे हैं । जिस तरह से वहां के लोगों के साथ और वहां की महिलाओं के साथ अत्याचार किए गए उसका घिनौना रूप् सामने आ गया है । सत्ता के मद में चूर कोई व्यक्ति कैसे राक्षसी प्रवृति को अपना सकता है इसका उदाहरण है संदेषखाली । गरीबों की जमीन हथिया ली गई, उनको अपनी ही जमीन पर मजदूरी करने के लिए बाध्य किया गया, महिलाओं की इज्जत के साथ खेला गया । अत्याचार की करने की कोई सीमा नहीं होती सहन करने की सीमा जरूर होती है । संदूषखाली में भी यह ही हुआ जब अत्याचार सहन करने की सीमा से बाहर हो गया तो विद्रोह कर दिया गया । वैसे तो यह विद्रोह भी सामने नहीं आता वो तो भाजपा के नेताओं ने वहां की गतिविधियों को जाहिर कर दिया । एक बार सारा कुछ सामने आया तो फिर बहुत कुछ सामने आता रहा । ऐसा ही मणिपुर में भी हुआ था । वहां की महिलाओं को नग्न कर उनके साथ किए जा रहे घिनौने कार्य का जो कुछ सामने आया तो फिर बघेड़ा खड़ा हो गया । मणिपुर में सामूहिक अत्याचार हुआ था और संदेषखाली में एक व्यक्ति द्वारा अत्याचार किया गया । वो व्यक्ति पष्चिम बंगाल के सत्ता पर काबिज दल से जुड़ा है तो बघेड़ा ज्यादा खड़ा हो गया । हो सकता है कि सत्ता पर काबिज दल के बड़े नेताओं को भी न मालूम हो कि उनकी आड़ में कोठ्र ऐसा कृत्य कर रहा है । पर अब तो जग जाहिर हो गया है । पुलिस प्रषासन ने वहां जाकर कोई और ज्यादा कहानी न निकाल सके इसके बंदोबस्त किए पर वे सफल नहीं हो पाए जिनको जाना था वे माननीय न्यायालय की शरण लेकर चले गए । संदेषखाली नेताओं की, प्रषासन की और जागरूक लोगों की भीड़भाड़ से भरा दिखाई देने लगा । वहां के लोगों को संबल मिला तो बहुत सारी कहानियां सामने आई और अत्याचार की नई इबारत दिखाई देने लगी । सत्तारूढ़ दल ने भी वहां अपने मंत्री भेजे और परिस्थितियों को समेटने का प्रयास किया । पर अब तो संदेषखाली का रण का मैदान बन चुका है । य रण लोकसभा चुनाव तक चलता रहेगा । वैसे तो मणिपुर अभी शंत नहीं हुआ है । वहां से आने वाली खबरें बताती रहती हैं कि वहां लड़ाई-झगड़े अब भी जारी है । पर कष्मीर शांत हो चुका है । प्रधानमंत्री जी वहां घूम कर आए लोगों से बात की । वहां के लोग भी अब नई सुबह जैसा महसूस करने लगे हैं । जो र्प्यटक वहां जाने से कतराते थे अब बेखौफ वहां जा रहे हैं और वहां की सड़कों पर भी घूम रहे हैं । भारत रत्न सचिन तेंदुलकर वहां की सड़कों पर किकेट खेलते दिखाई दिए । प्रधान मंत्री श्री मोदी जी की संकल्प शक्ति ने देष को कई आयाम दिए हैं । यह उनकी संकल्प श्क्ति ही थी कि वे सागर की असीम गहराई में डूब चुकी द्वारका को देखने समुद्र तल पर उतर गए और वहां ध्यान भी लगाया । इस उम्र में जब कोई ऐसे अभियान में शामिल होने की रिस्क नहीं लेता तब वे न केवल समुद्र की गहराई में उतरे बल्कि कुछ दिनो पहले वे वायुयान तेजस में बैठकर आसमान की ऊंचाई में भी सैर करके आए हैं । ऐसा माना जाता रहा है कि कृष्ण की द्वारका समुद्र की गहाई में समा गई थी । बहुत दिनों तक यह किवदन्ती के रूप् में ज्ञात रही फिर इसकी खोज की जाने लगी और 1979 में समुद्र में गोताखोरों ने इसे ढूंढ़ भी लिया । समुद्र में कुछ मीलों तक इसके अवषेष फैले दिखाई देते हैं । इस पर और शेध हुआ और वहां के पत्थरों को साफ कर उनका विषलेषण किया गया तो यह बात साफ हो गई कि यह वह ही द्वारका है जिसके बारे में धार्मिंक गं्रथों में उल्लेख है । डूबी हुई द्वारका इतनी गहराई में है कि फिलहाल तो उसे ऊपर लाना कठिन है और इतनी गहराई मे उसे दर्षनीय स्थल बनाना भी कठिन है । अब जब प्रधानमंत्री श्री मोदी जी ने इस स्थल की यात्रा कर ली और उनके वीडियो सामने आ गए तो निष्चित ही इसके प्रति आमलोगों की उत्सुकता बढ़ेगी । प्रधानमंत्री जी ने ऐसे कई साहसिक कार्य कर अपनी जीवटता का परिचय देष को दिया है । यह सब लोकसभा चुनाव के परिपेक्ष्य में नहीं किया गया यह तो साफ है । वैसे भी लोकसभा चुनाव के बारे में वे चिन्तारत नहीं हैं । वे देषवासियों का मूड भांप चुके हैं । राममंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद देष का मूड साफ दिखाई दे रहा है । प्रधानमंत्री यदि दम के साथ यह कह रहे हैं कि वे चार सै से अधिक सीटें ला रहे हैं तो यह भी साफ ही दिखाई दे रहा है । भाजपा की अपनी जो ताकत है वह अलग और मोदी जी का अपना आभा मंडल है वह अलग । आज सारे देष में उनका अभा मंडल बिखर रहा है और लोग भाजपा के साथ नहीं मोदी जी के साथ जुड़ने के लिए तैयार बैठे हैं । वैसे भी सारे देष में इस समय मोदी जी की लहर ही चल रही है । राम मंदिर में भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा को जिस तरह से प्रचारित किया गया उससे मोदी जी के पति आम लोगों का विष्वास और बढ़ा है । धर्मनिरपेक्ष लोकसभसा तक में दोनों सदनों को एक दिन के लिए केवल राम मंदिर पर चर्चा करने हेतु संयोजित किया गया इससे बड़ी बात और क्या हो सकती है । भाजपा ने मंदिर निर्माण और प्राणप्रतिष्ठा की जो रणनीति बनाई थी उसमें वह सफल रही । लोकसभ चुनाव तक राममंदिर को विस्मृत नहीं होने दिया जायेगा । रही सही कसर कांग्रेस सहित अन्य विचप्खी दलों के नेताओं को अपनी पार्टी में शामिल करने से भी पूरा हो जायेगी । जिम्मेदार प्रभावषाली बड़े नेताओं का अपनी ही पार्टी से विद्रोह करने का क्रम जारी है । वे अपनी पार्टी से विदोह करते ह।ैं और उनके पास दूसरी पार्टी में जाने का रास्ता खुल जाता है । फिहलहाल दूसरी पार्टी का मतलब भाजपा ही है । ऐसा वातावरण बन चुका है कि भाजपा ही सत्ता पर काबिज रहेगी तो जिसको भी सत्ता का स्वाद लेना है उसे भाजपा में ही आना होगा तो वे आ भी रहे हैं । भाजपा में प्रवेष लेने वालों की लाइन लगी है और भाजपा भी मुक्त हस्त से सभी को अपनी पार्टी का दुपट्टा पहना रही है । आने वालों में सबसे अधिक कांग्रेसी नेता ही हैं । महाराष्ट्र के कांग्रेस के बड़े नेता अषोक चौव्हाण भी भाजपा में शामिल हो चकु हें । डूबती नौका में कोईनहं बैठना चाहता । कांग्रेस अभी बुरे दिनों से होकर गुजर रही है उसके जब अच्छे दिन आयेगें तो ये नेता फिर कांग्रेस में लौट आयेगें । बहरहाल अभी तो कांग्रेस में भगदड़ मची हुई है और ऐसा लगने लगा है कि आगामी कुछ दिनों में कांग्रेस नेताविहीन हो जायेगी । पर इसके बावजूद भी राहुल गांधी अपनी न्याय यात्रा में लगे हुए हैं । उनके चेहरे पर कोई षिकन नहीं है । बड़े नेता ऐसे ही होते हैं वे चिन्ता नहीं करते या चिन्तित होते भी हो तो दिखाते नहीं हैं । जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आयेगें नेताओं का पार्टी बदलने का क्रम और बढ़ता जायेगा ऐसा माना जा रहा है । इधर राज्य सभा चुनाव में उत्तर प्रदेष की प्रमुख राजनीतिक पार्टी समाजवादी पार्टी के विधायकों ने भी विद्रोह कर दिया । उत्तरप्रदेष में भाजपा को राज्यसभा के लिए अपने आठ प्रत्याषियों को चुनाव जिताना था और इसके हिसाब से उनके पास सात विधायक कम पड़ रहे थे । इन सात विधायकों की कमी को सामजवादी पार्टी के विधायकों ने पूरा कर दिया । समाजवादी पार्टी अभी तक अपने ही विधायकों के विद्रोह से बचा थी पर अब वह भी राजनीति का षिकार हो गई । अब कहा जा सकता है कि देष की कोई भी पार्टी राजनीति का षिकार होने से नहीं बच सकी है । कम्युनिस्ट जरूर अभी अपने आपको जोड़कर रखने में सफल हुए हैं ।  केरल में उन्होने उस लोकसभा सीट से भी अपना प्रत्याषी खड़ा कर दिया जहां से कांग्रेस के राहुल गांधी पिठलीबार चुनाव लड़े थे । पिछलीबार ऐसा नहीं हुआ था तभी राहुल गांधी रिकार्ड मतों से जीत भी गए थे पर अब जब वहां के सत्तारूढ़ दल ने अपना प्रत्याष्ी ही घोषित कर दिया तो अब राहुल गांधी को मुष्किलों का सामना करना पड़ेगा  ही । वैसे भी उनके उत्तरप्रदेष के अमेठी से चुनाव लड़ने की बात भी सामने आ रही है पिछली बार वे वहां से पराजित हो गए थ । पर वहां रिस्क ही है ऐसे में मानमनौव्वल का दौर प्रारंभ होगा । वैसे भी विपक्ष के जो घअक दल इंडिया गठबंधन का हिस्सा हैं उनमें केरल की सत्तरूढ़ पार्टी भी शामिल है ऐसे में हो सकता है कि वे अना प्रत्याष्ी वापिस ले लेंं । बहरहाल लोकसभा चुनाव की तारीखें भले ही अभी घोष्ति न की गई हों पर इतना तो तय है कि चुनाव नजदीक आ चुके हैं । राजनीतिक दलों ने अपनी चुनावी तैयारी तेज कर दी है । कांग्रेस उत्तरप्रदेष, दिल्ली, हरियाणा और गुजरात में अपना गठबंधन बनाने में सफल दिखाई दे रही है । उत्तरप्रदेष जैसे राज्य में केवल वह सत्रह सीटों पर चुनाव लड़ने को तैयार हो गई । वैसे भी यह अच्छा ही हुआ वहां कांग्रेस की जमीन पूरी तरह खिसक चुकी है । वैसे भी वह वहां 5-6 प्रतिषत ही वोट पाती है, इतने कम प्रतिषत वोटों से वह अपने किसी भी प्रत्याष्ी को जिता नहीं सकती अब जब गठबंधन हो गया है तो हो सकता है कि सामजवादी पार्टी के वोटों का लाभ उसे मिल जाए ।

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