कॉफी का एक कप हमें ताजगी, स्फूर्ति और शक्ति देता है। यह खुशबूदार सुगंध मेरा दिन बना देती है। कॉफी एक गर्म और ठंडा पेय पदार्थ है और इससे जिनमें किसी भी समय लिया जा सकता है। इसमें कैफीन काफी मात्रा में पाया जाता है।
सुबह आराम करते हुए जब मैंने कॉपी भी तो मुझे सोचने पर मजबूर कर दिया कि इसकी खोज कैसे हुई। यह मुझे प्राचीन समय के कॉफी के जंगल में ले गया। जो कि इथोपिया के पठार पर है। एक बकरी चराने वाला जिसका नाम काल्दी था,उसने कॉफी के बीच की खोज की थी। उसने देखा कि उसकी बकरियां कुछ अजीब सा व्यवहार कर रही हैं लाल बेर खाने के बाद एक खास तरह के वृक्ष से। वह उन्हें खुद भी चखने के लिए उत्सुक हो गया। उनको खाने के बाद वह अच्छी सक्रिय हो गया। बाद में वह कुछ बीजों को मठ में ले गया। लोग उस पर कॉफी के असर को देखकर हंसने लगे। और उन्होंने उन बीजों को प्रार्थना सभा में भी देर तक जगाए रखने के लिए इस्तेमाल किया। इन बीजों से छुटकारा पाने के उद्देश्य से उन्होंने उन बीजों को आग में डाल दिया जलने के बाद कॉफी के बीजों में से बहुत सुंदर सी सुगंध आने लग गई। तब उन्हें कॉफी के बीजों की विशेषता का पता चला और उन्होंने सोचा कि हम इसका एक अन्य उपयोग करते हैं गर्म दूध में पानी में मिलाने के बाद कॉफी बनी और ऐसे एक पेय पदार्थ से परिचित हुए।
उसके बाद पंद्रहवीं शताब्दी में कॉफी के बीजों का इथोपिया से यमन को निर्यात किया गया। सूफी मठों के पास कॉफी की जानकारी और उसके उपयोग से के सबूत हैं। यमन के व्यापारियों ने कॉफी के बीजों की खेती शुरू कर दी। कॉफी की खुशबू अब यूरोप में भी फैल गई।
कॉफी और एक ऐसी फसल के रूप में वर्कर सामने आया जिसकी काफी माँग थी। इसकी लोकप्रियता बढ़ती जा रही थी। 18 वीं शताब्दी के अंत तक कॉफी पूरे विश्व में सबसे लाभ (नफा) देने वाली सफल फसल बन गई थी। अब कॉफी सबकी पसंदीदा बन गई है। यह ध्यान देने योग्य बात है कि कॉफी एक फल से लिया गया बीज है। जिसे कॉफी (चेरी) कहते हैं और जो कॉफी के पौधे पर उगता है। क्योंकि यह राजमा के आकार का होता है इसलिए लोगों ने कॉफी के बीजों को कॉफी बीन कहना शुरू कर दिया। जैसा कि तुम जानते हो बीन को या बीजों को सुखाया जाता है। बिना भुने हुए बीजों को ग्रीन कॉफी कहते हैं। कॉफी का नाम अलग-अलग भाषाओं में अलग-अलग होता है जैसा तुर्किश में इसे कहवा, दक्षिणी इसे कॉफी यमन में इसे कहवाह कहते है।
ब्राजील दुनिया में कॉफी का सबसे बड़ा उत्पादक है। और कॉफी दूसरे नंबर पर सबसे ज्यादा व्यापारिक वस्तु है। कॉफी का पौधा 8 साल में तैयार होता है। और इसकी उम्र 100 वर्ष की होती है। विश्व में इसकी खेती एशिया, अफ्रीका और मध्य अमेरिका में होती है भारत में इसकी खेती कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल, तेलंगाना और उत्तर-पूर्व राज्यों में की जाती है।
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लक्ष्मी कानोडिया
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