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राममय होता भारत

                                                                                                   कुशलेन्द्र श्रीवास्तव

सारा देष राममय हो गया है । होगा भी क्यों नहीं नए बने राम मंदिर में भगवान राम विराजने वाले हैं । इस पूरे ायोजन के इस तरह से प्रचारित और प्रसारित किया गया कि हर कोई अपने अंदर बैठे राम के साथ एकमेव होने लगा । हर कोई भव्य राम मंदिर की तस्वीर से साक्षात्कार करने लगा । भाजपा यह ही तो चाहती थी । भाजपा का प्रचार तंत्र बहुत मजबूत है, उनके वपास आइडियाज की कमी कभी नहीं होती वे जरा सी बात को भ सकारात्मक या नकारात्मक बना देते हैं फिर राम मंदिर तो बहुसंख्यक भारतवासियों की कामना का मंदिर है ही । प्रचारतंत्र ने इसे इस तरह से प्रायोजित किया कि हर भारतवासी स्वमंव इस सबसे जुड़ गया । विगत एक माह से लेकर आने वाले एक माह तक बल्कि लोकसभा चुनाव के परिणामों तक सब कुछ राममय बना रहेगा । टुकड़ों-टुकड़ों में प्रदर्षित की जाने वाली मंदिर की छवि के साथ हर कोई उत्सुकता और उत्साह के साथ जुड़ रहा है । प्रधानमंत्री जी स्वंय भगवान राम के प्रति गाए जानेे वाले सुन्दर गीतों को प्रस्तुत कर रहे हैं । वाकई वे गीत बहुत अच्छे हैं और सच यह भी है कि जब प्रधानमंत्रीजी उसे प्रस्तुत करते हैं तो आमजन की उत्सुकता उनके प्रति बढ़ जाती है और वह गीत और उसे गाने वाला गायक रातों रात लोकप्रियता के षिखर पर पहुंच जाता है । वैसे यदि प्रधानमंत्री जी उसे प्रस्तुत न करें तो शायद वह गीत भी भीड़ में गुम होकर रह जाए । अयोध्या सज चुकी है इतनी बेहतर की इसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती थी पर अब जब हकीकत में वह जीवंत हो रही है तो दांतो तले उंगली दबाने का मन करने लगता है । स्वाभाविक है कि पौराणिक संदेष से ही उसे सजाया जाना था तो वैसा ही किया गया । रामकथा से जुड़े प्रसंग और पौराणिक कथाओं से जुड़े प्रसंग अब अयोध्या की दीवारों में अंकित किए जा चुके हैं । राम मंदिर के उद्घाटन का निमंत्रण पत्र भी बंट चुका है । यह निमंत्रण पत्र भी प्रतिष्ठा को बढ़ाने वाला साबित हो रहा है । जिसे निमंत्रण पत्र मिल रहा है वह गर्व के साथ उसे प्रचारित करते हुए अपने आपको प्रतिष्ठि होने की श्रेणी में महसूस करने लगा है । आम व्यक्ति के लिए तो मंदिर के दरवाजे पाणप्रतिष्ठा के बाद ही खुलेंगें तब तक वह धैर्य के साथ हो रहे विशेष आयोजन को टीवह के माध्यम से देख रहा है ।  प्रचार में बहुत ताकत होती है और यह ताकत अब भाजपा के काम आ रही है और यह ही विपक्ष के नेताओं को चिढ़ा भी रही है । लोकसभा के चुनाव नजदीक हैं और बहुसंख्यक वोटर हिन्दु हैं जिनके मन में राम बसे हैं तो राम भगवान जब अपने नए नवेले घर में विराजित हो जायेगें तो भाजपा इसे मतदाताओं के सामने प्रचारित करेगी हो सकता है हिन्दु मत दाता इससे प्रभावित हो जायें । वैसे हो जायें शब्द भी नहीं लगना चाहिए, क्योंकि प्रचारतंत्र इसे इस ढंग से प्रचारित कर ही चुका है । राम मंदिर बने इसका आदेष््रा भले ही देश के सर्वोच्च न्यायालय ने दिया हो पर राम मंदिर बन ही जाए इसका बीजारोपण तो उन्होने ही किया है और साथ ही भव्य मंदिर निर्माण की आधारषिला भी उन्होने ही रखी है । बहुत सारे विपक्ष के नेता प्राणप्रतिष्ठा समारोह में नहीं जायेगें राम की जैसी मर्जी । वैसे तो भाजपा भी नहीं चाहती होगी कि वे अयोध्या जाएं पर कहने को अब उनके पास अन्य ढेर सारे आरोनों में यह आरोप भी शामिल हो चुका है कि विपक्ष मंदिर से दूरी बना रहा है । यह आरोप गंभीर आरोप है जो मतदाता को प्रभावित कर सकता है । वैसे भी वे जायें अथवा न जाएं मंदिर निर्माण का और आयोजन का जो श्रेय उनको लेना है वे लेते जा रहे हैं इसमें तो उनकी महारत है ही, याने चिट भी मेारी और पट भी मेरी । यदि गए तो कहा जा सकता है कि उन्होने मंदिर निर्माण में क्या योगदान दिया है ? और नहीं गए तो विरोधी तो हैं ही । असमंजस में उलझ चुका है विपक्ष वह मंदिर निर्माण और भव्य आयोजन की होने वाली प्रतिक्रिया को समझता जा रहा है पर कुछ करने की स्थिति में है ही नहीं ‘‘जाहि विधि राखे राम ताहि विधि रहिओ रे’’ गहरी सांस लेकर आयेाजन से होने वाले लाभ के बारे में चिन्तन करने लगा है । चिन्तन राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल भी कर रहे होगें । उनके तो सिर मुडाते ही ओले पड़े की कहावत चरितार्थ हो रही है । अभी अभी तो उन्होने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली और अभी अभी ही तो मंत्रीमंण्डल का गडन् किया, इस मंत्री मंडल में बनाए गण् मंत्रियों में एक ऐसे नेता को भी जगह दे दी जिनका अभी उदस हुआ ही नहीं था, वे तो केवल एक उपचुनाव के पार्टी प्रत्याशी भर थे । वे देश के ऐसे इकलौते नेता बन गए जो प्रत्याशी रहते हुए मंत्री बने । पर मुश्किलक की बात यह हुई की वे इसके बाद भी वे चुनाव हार गए । नई नवेली भाजपा सरकार, नये नवेले मुख्यमंत्री और नये नवेले मंत्री तीनों को जोर का झटका जोर से ही लगा । जिस राज्य में भाजपा दो तिहाई बहुमत से जीती हो उस राज्य में एक महिने के अंदर ही होने वाले उपचुनाव में उस पार्टी का ही नेता पराजित हो जाए वो भी मंत्री तो शर्म की बात तो होगी ही पर राजनीति में शर्म नहीं होती तो न हो पर चिन्तन तो करना ही होगा । क्या वाकई भाजपा का यह प्रयोग कि वे गैर अनुभवी नेताओं को बड़े पद पर बैठा देते हैं वह सफल रहा कि फेल हो गया । भाजपा ने यह प्रयोग हाल ही में जीते तीन राज्यों में किया है । इन तीनों राज्यों अनुभवी नेता लगभग कोप भवन में बैठे हैं और कम अनुभवी नेता सत्ता की कुर्सी में बैठकर राज कर रहे हैं । वैसे होता तो यह है कि जिनको अनुभव नहीं होता वे धीरे-धीरे अनुभव ग्रहण कर लेते हैं और एक दिन वे भी अनुभवी नेताओं की कतार में खड़ंे हो जाते हैं पर जब तक वे इस कतार लायक नहीं बन जाते तब तक क्या ? ‘‘होहिं वही जो राम रचि राखा’’ । लोकसभा चुनाव नजदीक हैं और अनुभवी नेता घर बैठे हैं । नये नेताओं के सामने लोकसभा चुनाव जीतने का भी बोझ है । कम से कम उतनी विधानसभाओं में उन्हें जीतना है जितनी विधानसभा में अभी विधानसभा चुनाव में वे जीते हैं, यदि ऐसा नहीं हो पाता है तो उनके सामने प्रश्नचिन्ह लग ही जायेगा । सारे मुख्यमंत्री इस बोझ को लिए चल रहे हैं, वे नये होने के कारण मिल रहे सम्मान और आगामी दिनों में आने वाले चुनाव के बोझ से परिपूर्ण हैं । लोकसभा चुनाव की तैयारियां चलने लगी हैं । विपक्षी गठबंधन इंडिया को अभी सीटों के बंटवारे में ही पसीना आ रहा है । हर राजनीतिक दल चाहता है कि वह अधिक से अधिक सीटों पर चुनाव लड़े भले ही वह हार जाए कम से कम उसकी उपस्थिति तो दर्ज हो ही जायेगी पर गठबंधन के चलते उसे उतनी सीटें मिलेगीं नहीं फिर समझौता होगा कैसे ? यदि समझौता नहीं हुआ तो भाजपा को हराना कठिन होगा । वैसे भी आज की परिस्थितियों के हिसाब से भाजपा को हराना कठिन ही जान पड़ रहा है । भाजपा ने अपने संगठन को जिस तरह बूथ लेविल तक पहुंचाया है उससे उसके कार्य करने की क्षमता सरल हो जाती है, उसे केवल अपने कार्यकर्ता या पदाधिकारी को फोन ही करना होता है पर दूसरे दलों के सामने कार्यकर्ताओं को अभाव बना रहता है और वह कमजोर हो जाता है । भाजपा ने लोकसभा चुनाव की तैयारी कभी की शुरू कर दी है पर विपक्ष अभी केवल बैठकें ही कर रहा है । महाराष्ट्र के नासिक में प्रधानमंत्री श्री मोदी जी के रोडशों में जिस तरह से आम जनता ने रूचि दिखाई उससे भजपा का आत्मविश्वास बढ़ा ही होगा । प्रधानमंत्री जी अब रोड शों पर ज्यादा भरोसा करने लगे हैं, कम समय में बहुसंख्यक मतदाताओं से जुड़ने का यह अच्छा प्रायोजन है । बाकी रोडशों की टीमटाम तो रहता ही है । उन्होने अयोध्या में भी रोडषो किया और अब वहां वे मंदिर की प्रााप्रतिष्ठा के समारोह में ळरह अपनी उपस्थिति दर्ज करायेगें । प्रधानमंत्री जी की उपस्थिति से कार्यक्रम की भव्यता और बढ़ जायेगी । मंदिर में प्राणप्रतिष्ठा का कार्यक्रम प्रारंभ हो गया है वह एक सप्ताह चलेगा । इसमें रामलाल अयोध्या का भ्रमण भी करेगें । उनके भ्रमण स्थल को भी भव्यता के साथ सजाया गया है । 22 जनवरी को वे विषेष मुहुर्त में मंदिर में विराज जायेगें । इस समारोह के समांनांतर पूरे देष में धार्मिक आयोजन किए जाने वाले हैं ताकि धार्मिक माहौल बना रहे । मकर सक्रांति का पर्व भ्ी प्रारंभ हो रहा है । हमारे देश में मकर सक्रांति को पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है । प्रयागराज सहित अन्य संगम स्थलों पर श्रद्धालु पहुंचेगें और अपनी धार्मिक आस्था को अभिव्यक्त करेगें । इस पखवाड़े हमारा गणतंत्र दिवस भी आने वाला है । धर्म और देषभक्ति का अनूठा मिलन होगा । हमारे खून में ये दोनों विद्यमान हैं । लहरलहराने वाले तिरंगे को देखते ही हमारे अंदर देषभक्ति के भाव हिलोरे मारने लगते हैं । हर एक देषवासी तिरंगे के प्रति अपनी श्रद्धर को प्रकट करता है । भीषण ठंड के बावजूद गणतंत्र दिवस पर होने वाले कार्यक्रम की तैयारी में सभी जुटे हैं । सभी देषवासियों को आने वाले गणतंत्र दिवस की हार्दिक बधाई ।

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