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टनल में फंसे मजदूरों को जातिवाद का फायदा क्यों नहीं मिला  …!

उत्तरकाशी  टनल में फंसे मजदूरों के जगह अगर यहीं 41 वीआईपी लोग एलीट क्लास  अथवा पिछड़े और दलित नेता टाईप के होते और वे ऐसे ही कहीं फंस जाते तो सदन के दलित नेता और मीडिया क्या करता ? पूरा देश सर पर उठा लेता।  बोलने का मतलब है सरकार से सवाल करना  मीडिया ने बंद कर दिया है यह अफवाह उड़ाकर आरक्षित नेताओं ने खुद को डिफेन्स जोन में रखा है । यह सवाल कोई नहीं कर रहा कि आखिर टनल में मजदूर फंसे कैसे ? न कोई वजह पूछ रहा है ना उनकी जाति , न बता रहा है की वो उनके जाति के है इसलिए वो सदन से सीधे टनल में जा रहें । अब सिर्फ यह बताया यह जा रहा है कि कोशिश की जा रही है। दुर्भाग्य से हर कोशिश नाकाम होती जा रही है। अमेरिका की मशीन नाकाम हो चुकी है। टनल में फंसे मजदूर देश के लिए चिंता का विषय है। चिंता का विषय है पांच राज्यों के चुनाव रहा, सरकार सहित पूरा विपक्ष  चुनाव प्रचार में व्यस्त हैं। प्रधानमंत्री तेजस में उड़ान भर रहे हैं, राहुल गाँधी राजस्थान घूम रहें। स्टालीन फोटो शूट करा रहा ।  उत्तरकाशी स्थित सिल्क्यारा की धसकी हुई सुरंग में 14 दिनों से 41 मजदूर फंसे पड़े हैं, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी गगन में लड़ाकू विमान में बैठकर उड़ान भर रहे हैं। पिछले करीब एक हफ्ते से लग रहा था कि अंधेरी सुरंग में मजदूर कभी भी बाहर आ सकते हैं, लेकिन हर गुजरता दिन बेनतीजा साबित हो रहा है। इन सबसे बेपरवाह विपक्ष के जातिवादी नेताओ के चुनावी उत्साह में कोई कमी नहीं आई है। एक राज्य से निकलकर दूसरे राज्य में चुनावी रैलियों को सम्बोधित करते हुए राजस्थान में गुरुवार की शाम को प्रचार अभियान थमने के तुरन्त बाद अखिलेश यादव यूपी पहुंचे।  शनिवार को सुरंग में बचाव अभियान इसलिये रुक गया क्योंकि ड्रिलिंग के दौरान ऑगर मशीन की ब्लेड सरियों से टकराकर टूट गई। अब मलबे को हाथ से हटाये जाने की तैयारी है और मजदूरों को बाहर का सूरज देखने के लिये अभी इंतज़ार करना पड़ सकता है। अब सवाल यह कि उत्तराखंड में जो सुरंग ढह गई, उसका निर्माण कौन करा रहा था ? नवयुग इंजीनियरिंग कंपनी लिमिटेड के बारे में कुछ विवरण ध्यान देने योग्य हैं, जिसके 41 कर्मचारी ध्वस्त सुरंग में फंसे हुए हैं, जो उत्तरकाशी में केंद्र सरकार की हाई-प्रोफाइल लेकिन विवादास्पद चार धाम परियोजना का हिस्सा है।

                          मिडिया रिपोर्ट के अनुसार, निर्माण श्रमिक रविवार 12 नवंबर से सिल्क्यारा-बारकोट निर्माणाधीन सुरंग के 260 मीटर अंदर फंसे हुए हैं, जब सुबह 5.30 बजे के आसपास भूस्खलन के बाद सुरंग का एक हिस्सा ढह गया। सिल्कयारा सुरंग नरेंद्र मोदी सरकार की चार धाम हर मौसम में पहुंच योग्य परियोजना का हिस्सा है। 17 नवंबर को बचाव अभियान तब निलंबित कर दिया गया जब सुरंग में तेज आवाज सुनी गई।  रिपोर्ट के अनुसार, यह एक पाइप की पोजिशनिंग के दौरान हुआ। कुछ पाइपों का उपयोग श्रमिकों को भोजन, पानी और दवाएँ पहुँचाने के लिए किया जा रहा है। अब वार्टिकल ड्रिलिंग की जा रही है। आशा है फंसे हुए लोग बचा लिए जायेंगे।  नवयुग इंजीनियरिंग कंपनी लिमिटेड और वीएसएल प्राइवेट लिमिटेड के उप-ठेकेदारों के खिलाफ एक एफआईआर दर्ज की गई थी, जो एजेंसियां ​​”समृद्धि एक्सप्रेसवे के पैकेज 16 के निर्माण के लिए नियुक्त की गई थीं। हैदराबाद स्थित करोड़ों रुपये की कंपनी नवयुग, आंध्र प्रदेश में जगन मोहन रेड्डी सरकार के निशाने पर तब आई जब, 2019 में सत्ता, तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) से रेड्डी की वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के हाथों में आ गई। जुलाई 2020 में, केंद्रीय वित्त मंत्रालय के तहत, भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग ने अदानी पोर्ट्स और विशेष आर्थिक क्षेत्रों को, नवयुग से उस बंदरगाह में 75% की हिस्सेदारी खरीदने के लिए अपनी सहमति दे दी। शेष 25% पर 2021 में, बाद में अडानी समूह ने अपना अधिकार कर लिया। यह सुरंग चार धाम मार्ग पर है, जो सरकार की पसंदीदा परियोजना है। इसके पूरा होने पर, यह न केवल यमुनोत्री के तीर्थयात्रा मार्ग को 20 किलोमीटर तक छोटा कर देगा, बल्कि प्रमुख हिंदू तीर्थस्थल तक हर मौसम में कनेक्टिविटी को भी बनाए रखेगा।2018 में प्रधान मंत्री मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति द्वारा मंजूरी दी गई परियोजना को 2022 में पूरा किया जाना था और वर्तमान में यह विस्तार पर है। 2020 के मध्य में, नवयुग को सरकार की महत्वाकांक्षी ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लिंक परियोजना भी प्रदान की गई है। देश जातिवादी और धार्मिक टकराव से जल रहा है स्टालीन और स्वामी प्रसाद मौर्य जैसे लोग देश को सुलगाये बैठे है इनके संकिर्णता और बयानों से लगभग आठ महीनों में बंगाल समेत अन्य जगहों पर अनेक हत्याएं हुई हैं। अब भी जारी हैं। हजारों मकान जल गये हैं, बड़ी तादाद में लोग शरणार्थी शिविरों में बसर कर रहे हैं। तो भी वहां जाना तो दूर की बात है, दलित नेताओं ने इस बाबत मुंह से तब तक एक शब्द भी नहीं निकाला।

        ___ पंकज कुमार मिश्रा, मिडिया विश्लेषक एवं पत्रकार जौनपुर यूपी

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