साहित्य मंडल संस्था श्रीनाथद्वारा (राजस्थान) ने ‘हिन्दी लाओ:देश बचाओ’ समारोह के अवसर पर सुप्रसिद्ध आलोचक-कवि डॉ.राहुल को “साहित्य वाग्विभूति सम्मान” संस्था के प्रधानमंत्री श्री श्याम प्रकाश देवपुरा ने प्रदान कर अभिनन्दन किया। इस
अवसर पर संस्था के अध्यक्ष पं.मदनमोहन शर्मा, प्रख्यात साहित्यकार डॉ.अमरसिंह वधान, प्रो.श्वेक सिंह देरिया,डॉ.रामनिवास मानव,श्रीविनय गोस्वामी, डॉ.जंगबहादुर पांडेय,रांची,श्री विट्ठल पारीक,साहित्य भूषण हरिलाल मिलन आदि की उपस्थिति गरिमामय रही।सभी ने डॉ.राहुल के यशस्वी व्यक्तित्व और अमर कृतित्व की भूरि-भूरि प्रशंसा की।
डॉ.राहुल की अबतक 75 कृतियां प्रकाशित हो चुकी हैं।जिसमें कविता,कहानी,उपन्यास,आलोचना,निबन्ध, बाल- साहित्य एवं संपादित कृतियां है। इनकी काव्य-कृतियों में राष्ट्रवादी प्रखरस्वर प्रमुख रूप से उभरा है। भारतीय संस्कृति के प्रति अगाध आस्था रखने वाले इनकी प्रमुख कृतियां हैं– मिट्टी की संवेदना, प्रजातन्त्र,कहीं अन्त नहीं,महानायक सुभाष,रणलक्ष्मी:
अवन्तीबाई ‘युगांक’ (महाकाव्य) आदि। तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ.शंकरदयाल शर्मा ने विमोचन करते हुए कहा था,’राहुल की इस कृति में राष्ट्रीय चेतना का स्वर मुखरित हैं।इससे हमारी सामाजिक-सांस्कृतिक एकता की पुनर्प्रतिष्ठा होती है। इनके अन्य बहुचर्चित ग्रन्थ हैं– रामायण:मूलकथा(3भाग), महाभारत : मूलकथा (2भाग) और श्रीमद्भगवद् गीता:(मूलकथा-2भाग) और आलोचनात्मक ग्रन्थों में विशेष उल्लेखनीय हैं, समकालीन कविता:विविध सन्दर्भ, गिरिजाकुमार माथुर: काव्यदृष्टि और अभिव्यंजना, शमशेर और उनकी कविता,लम्बी कविताओं की नाभिकृति : अग्निहोत्र सपनों में, के अतिरिक्त जीवनी,सम्पादित,
अनूदित ग्रन्थ बाल- साहित्य व राजभाषा सम्बन्धी कृतियां हैं।
“आधुनिक परिप्रेक्ष्य में अयोध्या”अयोध्या के इतिहास, पुरातात्विक पक्ष और अतीत की घटनाओं को बड़ी बारीकी से विवेचना की गई है। आधुनिकता के परिप्रेक्ष्य में इसकी महत्ता और उपादेयता को मूल्यांकित किया गया है। सांसद प्रवेश ऑवसाहिब सिंह वर्मा,सदी के महानसाहित्यकार प्रो.रामदरश मिश्र,डॉ.कमल किशोर गोयनका आदि ने अपने विचार व्यक्त करते हुए इसकी
ऐतिहासिकता की पुष्टि की है।
सम्मानित साहित्यकार डॉ.राहुल के व्यक्तित्व और कृतित्व पर की विश्वविद्यालयों द्वारा शोधकार्य सम्पन्न
हो चुका है। अन्य अनेक संस्थानों द्वारा सम्मानित साहित्यकार डॉ.राहुल की आकाशवाणी दिल्ली से
वार्ताओं का प्रसारण और इनकी रचनात्मकता पर केन्द्रित अनेक आलोचना ग्रन्थ प्रकाशित हो चुके हैं।
प्रस्तुति : मधु श्रीवास्तव, प्रेस सचिव