किसी ने सच ही कहा हैं कि अगर आप लोकगीत समझते है तो आप उस क्षेत्र की संस्कृति और परम्परा को सरलता से समझ सकते है।
माटी की भीनी भीनी खुशबू ढ़ोलक की थाप और लोकगीतो की विविधता से भरी सुरमयी शाम के आगाज का चिर प्रतीक्षित समय आ ही गया। सरिता जी के पेज पर लोकगीत संध्या का अनूठा मंच सजा और पटल की संस्थापिका सरिता जी का बेहतरीन संयोजन और रजनीश जी का खुशगवार और बेमिसाल अंदाज में संचालन के साथ साथ सभी सखियों ने ऐसा शमा बाधा कि मंच पर आसीन सखियाँ एवं श्रोता भी झूम उठे।
रजनीश जी ने मधुर आवाज़ के साथ कार्यक्रम की शुरूआत की ‘देखो ढ़ोल बजा मंगल बेला में प्यारा सा मंच सजा’ पंक्तियों के द्वारा मंच पर अपनी मीठी आवाज का जादू बिखेरते हुए कार्यक्रम का आगाज किया फिर जो सिलसिला शुरु हुआ तो समय कब मंच से विदा लेने का आ गया पता ही नहीं चला।
राजनीश जी ने सभी सखियों को क्रमशः माहिया की सुंदर पंक्तियाँ गाकर सभी को समय समय पर आमंत्रित करती रही और श्रोताओं से भी निरंतर जुड़।
पारंपरिक वेष भूषा मे छत्तीसगढ़ी लोकगीत लेकर मंच पर हम सबकी सखी अर्चना जी उसी रंग मे भीगी और रंगी हुयी थी।
झासर झनझन बजती
गोरी गहनों से दुल्हन
माफिक सजती सुंदर माहिया गाकर अर्चना जैन जी को आमंत्रित किया अर्चना जी ने छत्तीसगढ़ का बहुत चर्चित गीत सुनाया उसकी पंक्तियाँ – आग लगे फैशन मा गीत सुनकर सभी सखिया झूम उठी उनकी बेहतरीन प्रस्तुति पर।
फिर आयी रश्मि मिश्रा जी अपने अलग ही अंदाज में हमें आम के बागो की सैर पर ले गयी शब्दो को क्या खूब गढ़ती है राश्मि जी – अमवा की डारी पर ना झूला डारो ये कच्ची डारिया चटक जाएगी
अनुपमा जी ने स्वरचित गीत ‘खेलेला जिंदगी ओ आँख मिचौली हमसे करेला हमार मनवा ठिठोली’ से सबका मन मोह लिया ।
अनुपमा जी के लिए सावन की बादली है माही परदेशी है और सरिता जी के लिए ओ छायी लालिए तैनू याद करे नित करमा वालिये माहिया अपनी मीठी आवाज मे रजनीश जी ने गाया फिर सरिता जी ने देवी मां का स्वागत गीत अत्यन्त ही आनंद से गाया – लागल चैत महीनवा देवी जी आय गईली मैया की माँगियां मे लाल सिंदूरवा चमचम चमके टिकुलिया।
इसी क्रम मे ज्योत्सना जी ने बहुत ही सुंदर विवाह गीत एवं देवी गीत मे मां का झूला झूलने के लिए अनूठे अंदाज मे आह्वान किया -नीमिया की डार मैया झूले ली झुलव।
रजनीश जी ने ऐसी मल्टी कलर चुनरी सुरीले अंदाज मे उड़ाई की अर्चना जैन, महिमा जी मंच पर आसीन सखियों संग झूम उठी और सखियों ने फुलकारी की ओढ़नी भी ओढ़ ली और उनके संग गा उठी ‘कि ला दे मैनु मल्टीकलर फुलकारी’।
महौल ऐसा बना की अनुपमा जी को गीत का भूला बंद याद आ गया फिर अर्चना जैन ने होली की याद दिला दी ‘कान्हा मत मार पिचकारी मेरे घर सास लड़ेगी रे’ एक बार फिर से मंच पर सब झूम उठे। अर्चना गोयल ‘माही’ ने गनगौर का पारम्परिक राजस्थानी गीत सुनाया और दूसरे गीत मे चुनर को श्याम रंग मे रंगने का सुंदर आग्रह किया ।
इसी क्रम में रशिम जी ने सास अपनी बहू को क्या क्या दुआ दे रही है अपने गीत मे सुनाया ‘
जीये तेरे सजनवा बबूनी जीये मेरे ललना पावे उमर हजार,
महिमा जी ने भोजपुरी में देवी गीत गाया सारे रिश्ते कैसे एक से बढ़कर एक हो ऐसी बिनती करी हाथ जोड़ी पाईया पड़ू विनती बहुत करू सुन ला अरजिया हमार जो सबको भाया । वही दूसरे गीत मे कैसे एक पत्नी अपने पति के लिए तावीज बनाने का कारण बताती हैं माई नी मै टोना करिहौ शुकवा की चोच कबूतर का पखना उड़त चिरैया के नैन रे, इन तीनन का तावीज बना के बाधू।
रजनीश जी ने मनिहारिन से सुंदर मनभावन चूड़ियां चुनने का आग्रह अपने गीत के द्वारा किया ‘सुन मनिहारिन बात सुनले मेरे लिए तू चूड़ी चुन ले ‘गीत से ऐसा शमा बाधा की सखियों भी मंच पर अपनी चूड़ियां खनखनाने से खुद को न रोक पायी फिर आयी हम सबकी प्यारी सरिता जी की बारी लोकगीत के इतने प्रकार है कि उन्हें एक परिभाषा पिरोना दुष्कर है परन्तु सरिता जी ने गीत गाया तो मानो एक अत्यंत दुर्लभ विधा को मंच पर पुर्नजीवित किया।
बनवा मे फूलेला बेयलिया ता बनवा सुहावन लागे बनवा सुहावन लागे हो
हे हो बनवा मे फूलेला बेयलिया ता बनवा सुहावन लागे बनवा सुहावन लागे हो
महिमा जी ने गनगौर गीत ‘जादूगर सईया छोडो मोरी बहिया आयी पूनम की रात अब गौरा पूजन दो कि सरिता के पेज पर मंच सजा है सखियों पे छायी बहार रे’।
कोई भी गीत का आयोजन हो और लांगुरिया गीत ना हो ऐसा तो हो नही सकता ‘दीवाना लांगुरिया म ईया पे डोरे डाल गया डाल गया रे’
इसके पश्चात रजनीश जी ने अपनी पक्तियों द्वारा
प्रेम कहूँ प्रेम सुनाऊ झाँक के जो देखो मेरे अंदर प्रेम ही पाये।
पंक्तियों के साथ कार्यक्रम को समापन की ओर ले आयी ।
सभी के संग साथ ऐसी माटी की अलबेली खुशबू बिखरी के सब मगन हो गाए और दर्शक एवं श्रोता कह उठे कि वाह बडा ही अपना सा और स्वभाविक सा कार्यक्रम रहा जिससे जुड कर सभी को आनंद आया।
कार्यक्रम लगभग डेढ़ घंटे चला। भोजपुरी, बुन्देलखण्डी, पंजाबी, छत्तीसगढ़ी, अवधी, राजस्थानी सभी प्रकार के गीतों के आनंद की सरिता मंच पर निर्बाध रूप से बही।
संयोजक -सरिता त्रिपाठी
संचालन- रजनीश गोयल
प्रस्तुति- डॉ महिमा सिंह, अनुपमा वाणी, रश्मि मिश्रा ‘मिश्र’, अर्चना गोयल ‘माहि’, ज्योत्सना, अर्चना जैन, सरिता त्रिपाठी ।
आभार सहित
डॉ महिमा सिंह