आप सभी को महाशिवरात्रि पर्व की हार्दिक बधाई एवं अनन्त शुभकामनाएं । सभी मंदिरों में बड़ी–बड़ी कतारें हैं जो भगवान के प्रति उनकी श्रद्धा और विश्वास का संकेत देती हैं । आज भले ही ज्योतिष के दृष्टिकोण से कोई महासंयोग बन रहा हो, उस विषय में न जाकर, जो अच्छा संयोग मुझे प्रतीत हो रहा है, उसकी चर्चा करता हूँ ।
माह का प्रथम दिन और महाशिवरात्रि पर्व अपने में शुभत्व का संकेत देता है । शिव का अर्थ ही कल्याण अथवा मंगल है । आज के परिवेश /माहौल/स्थिति में जिसकी न सिर्फ हमें अपितु पूरे विश्व को आवश्यकता है ।
भारत की बात करें तो कल एक दिन में कोरोना के 8 हजार के लगभग केस आना बड़ी राहत का सकेत देता है क्योंकि हमने वह समय भी देखा/भुगता है जब 2 लाख तक दिन में केस आए हैं । विशाल वेक्सीनेशन और जागरुकता के चलते यह दिन देख पा रहे हैं । वहीं दूसरी ओर आईआईटी कानपुर के छात्रें की गणना मानें तो उनके अनुसार कोरोना की चैथी लहर जून के अंतिम सप्ताह में संभावित है । यहां हमें भगवान शिव से मंगल की कामना करनी है कि या तो लहर का संकेत गलत हो अथवा तीसरी लगर की भांति बिना कोई क्षति पहुंचाए चलती बने ।
एक शब्द सुनकर देशवासियों–देश के सत्ताधारियों का सीना गर्व से भर जाता है जब हमने जाना कि यूक्रेन–रूस का यु( प्रारंभ हो चुका है और यूक्रेन जिन मित्र् देशों के भरोसे से आगे बढ़ गया लेकिन अगल–बगल झांका तो कोई साथ नहीं खड़ा था और रूस महाशक्तिशाली और यूक्रेन सैन्य शक्ति अथवा अन्य प्रभाव, सभी में उसके आगे कमजोर । लेकिन फिर भी यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिशिट डोलेंस्की की वाहवाही हो रही है क्योंकि उसने स्पष्ट कर दिया µ कि सर कटा सकते हैं लेकिन सर झुका सकते नहीं । देश की जनता भी पूरे साहस के साथ रूस की सेना का सामना कर रही है । यूक्रेन के राष्ट्रपति ने स्पष्ट कहा कि इस संकट के समय केवल एकमात्र् देश भारत और उसके प्रधानमंत्री मोदी ही सुलह कराने में अहम भूमिका निभा सकते हैं । यह हमारे लिए गर्व की बात अवश्य है । परन्तु जब 140 करोड़ देशवासियों का हित भी किसी निर्णय से जुड़ा हो, उनका भी भला–बुरा जुड़ा हो तब बहुत ही संतुलन बनाकर निर्णय लेना पड़ता है । और प्रधानमंत्री मोदी ने यही किया, क्योंकि रूस हमारा परम मित्र् देश है और जब भी हमें आवश्यकता पड़ती है हमेशा रूस ने साथ दिया है । जबकि यूक्रेन के सामने दो अवसर थे जब वह अपनी कोई भूमिका निभा सकता था । 1998 में भारत ने पोखरण में परमाणु परीक्षण किया तब अनेक देशों ने भारत की आलोचना की थी उनमें यूक्रेन भी शामिल था । यूक्रेन ने यूएन में भारत की कड़ी निंदा की थी । दूसरा भारत ने यूक्रेन को मना किया था कि पाकिस्तान को यूक्रेन के 320 टी–80 टैंक न बेचे । लेकिन उसने अनसुना करते हुए पाकिस्तान से यह डील की ।
संकट यह है कि यह यु( कहीं तीसरे विश्व युद्ध में न तब्दील हो जाए, इसके लिए कूटनीतिक तरीके से भारत के साथ विश्व बिरादरी के प्रमुख देशों को मिलकर प्राणी मात्र्/मानवता की रक्षा हेतु शांति स्थापित करने की पहल करनी चाहिए । तभी हम सबका कल्याण होगा ।