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हिन्दी जन जन का आधार है

-राजकुमार अरोड़ा गाइड

हिन्दी के लिये बड़े जागरूकता,

हो सरल सुबोध,हिन्दी का प्रचार।

यही भारत का गर्व,गरिमा,अभिमान

इसी का ही तो  करना है खूब प्रसार।।

अंग्रेजी अंग्रेजी रटने वालो,तुमने स्वयं,

 ही तो मातृभाषा का मान घटाया है।

क्या कभी अंग्रेजों ने,अपने देश में

किसी भी तरह,अंग्रेजी दिवस मनाया है।।

हिन्दी,मनभावन हिन्दी, दुलारी हिन्दी,

हिन्दी  पूरे भारत वर्ष की,ह्रदय स्पन्दन।

आओ लिखें हिन्दी, पढ़े हिन्दी,बोलें हिन्दी,

 यही तो है, हिन्दी का अभिनन्दन।।

साहित्य,सिनेमा,सोशल मीडिया,दूरदर्शन में,

हिन्दी प्रयोग से मिट गई हैं सभी दूरियां।

हिन्दी को ह्रदय में बसा लो,अपना बना लो,

फिर मिट जायेंगी, सब मजबूरियां।।

हिन्दी है,हमारे ह्रदय की,धड़कन

ये धड़कती धड़कन,हमारा अमिट प्यार।

हमारी हिन्दी,अब बनेगी, सब की प्यारी हिन्दी,

हिन्दी से ही गूंजेगा, सारा संसार।।

नित नये बदलते युग में, हिन्दी के प्रचार की,

प्रसार की,सम्भावना अपार है।

फिर देखना,यही हिन्दी, जन जन का आधार है

माँ भारती का श्रंगार है।

हिन्दी प्रतीक है,राष्ट्र की अस्मिता की,

हर दिन ही होगा,हिन्दी का मान -सम्मान।

जरूरत है इक ज़ज़्बे की,मजबूत इरादे की,

तब ही हर चुनौती का होगा सम्पूर्ण समाधान।।

-राजकुमार अरोड़ा गाइड

सेक्टर 2 बहादुरगढ़(हरि०)

कवि,लेखक व स्वतंत्र पत्रकार

यही अभिलाषा,हिन्दी हो राष्ट्रभाषा*💐

हम भारतवासी हिंदी दिवस एक औपचारिकता के

रूप में कब तक मनाते रहेंगे?कब हिंदी इस आडम्बर

से मुक्त होगी।कब राजभाषा से राष्ट्रभाषा बनेगी,जन

जन की भाषा घर घर तक कब घर करेगी।हिंदी के

प्रति आम लोगों में जन चेतना जागृत करने के लिये

सरल सुबोध हिंदी में विशाल स्तर पर प्रचार करना

होगा।सिनेमा व टी वी चैंनलों की भूमिका, सोशल

मीडिया ने हिंदी को बढ़ावा तो दिया पर हिंग्लिश

हिंदी पर हावी हो रही है तो यह हिंदी के तथाकथित

परम विद्वानों की भाषिकअक्षमता और अपनी भाषा

के प्रति लापरवाही है।हम गर्व,गरिमा,गौरव अभिमान,

स्वाभिमान के साथ हिंदी का प्रयोग क्यों नहीं करते ।

ब्रिटेन,चीन,जापान,फ्रांस,अमेरिका जैसे देश तो अपनी

भाषा को अपनीअस्मिता का प्रतीक ही समझते हैं।

क्या कभी हमने अंग्रेजों को अंग्रेजी दिवस मनाते सुना

है? हिंदी के साथ यह परंपरागत व्यवहार कब तक

चलेगा। हमारी शिक्षा प्रणाली अंग्रेजी पर आधारित है,

जो भाषा शिक्षा का माध्यम होती है, वही भाषा किसी भी

समाज में सम्प्रेषण या वैचारिक आदान प्रदान की भाषा

स्वाभाविक रूप से बन जाती है।यह अभिजात वर्ग की ही

नहीं अपितु समूचे बुद्धिजीवी वर्ग की भाषा बन गई है।

अंग्रेजी सुसंस्कृत और सुसभ्यता क प्रतीक बन कर उभरी

है,हमारे देश में,हिंदी कोपिछड़े समाज की भाषा के रूप में

परिगणित किया जाने लगा,जिसका मुखर रुप से कोई भी

विरोध नहीं करता है।इसविसंगति को दूर करना ही होगा।

आप करोड़ों भारतीयों की तरह मैं भी बहुधा हिंदी की इस

अवस्था पर सोच में पड़ जाता हूँ,फिर भी जन जन की भाषा

-हिंदी,दुलारी हिंदी मनभावन हिंदी,करोड़ों लोगों की ह्रदय

 स्पंदन कैसे पीछे रह सकती है। हिंन्दी वैज्ञानिक रुप से भी

एक समृद्ध भाषा है हम सब हिंदी प्रेमियों को स्वयं आगे बढ़

कर बदलते परिवेश में,हर नई तकनीक को अपना कर, पूरे

भारतवर्ष को हिन्दीमय बनाना होगा।

भारत में 52 करोड़ से अधिक लोगों की प्रथम भाषा हिंदी है।

16 करोड़ के लगभग हिंदी कम जानते हैं पर सिनेमा,टी वी,

चैनल,गूगल,यू ट्यूब,ट्विटर, व्हाट्सएप, फेसबुक,इ पत्र

पत्रिकायें,मुद्रित समाचार पत्र,पत्रिकाओं का व्यापक प्रयोग

हिंदी को जन जन के समीप ले आया है,दूरियां सिमट गई है,

अपनापन दृष्टिगोचर हो रहा है, यही तो हिंदी की व्यापकता

की वास्तविक सफलता है। चेतना का, प्रगति का,जागरूकता

का कभी अंत नहीं होता। हमारा मन,हमारी अंतरात्मा हमें वक्त

के साथ चलने के लिये,प्रेरित करने को अग्रसर है।

आज विदेशी हिंदी गहनता से,उत्सुकता से सीख रहे हैं और हम

 क्या कर रहे हैं? हमें अपने अंदर की शक्ति को पहचानना है,

 स्वयं को यह एहसास कराना होगा-

“हम उफनती नदी हैं, हमको अपना कमाल मालूम है,

हम जिधर भी चल देंगे,रस्ता अपनेआप बन जायेगा”

यह भी एक विडंबना ही है कि हिंदी दिवस अधिकतर

श्राद्ध के दिनों में ही आता है। हमें मानसिक रूप से

अंग्रेजी  का श्राद्ध कर हिंदी के प्रति अगाध श्रद्धा रखनी हैं।

हिंदी हमारे ह्रदय की धड़कन है,ये धड़कती धड़कन हमारा

अमिटप्यार है, मान है, सम्मान है,हम इससे अलग कैसे हो

सकते हैं।हमें विदेशी भाषा में भी पारंगत होना है, पर हिंदी

को बलिवेदी पर चढ़ा कर कदापि नहीं नित नये बदलाव के

इस युग में हिंदी के वर्चस्व कीसंभावनाएं अनंत हैं।इनका

कभी अंत नहीं होगा।नित नई आशाएं जन्म लेंगी और

 लतीं रहेंगी और जब आशायें परिपूर्ण होंगी,हिंदी जन

जन का आधार होगी,माँ भारती का श्रंगार होगी।राष्ट्र

की अस्मिता का प्रतीक होगी।तेज़ से परिपूर्ण इसकी

आभा दैदीप्यमान होगी,तभी हमारा हर दिन हिंदी

दिवस होगा,हिंदी मय होगा।प्रतिदिन गर्व से हिंदी का

पर्व मनायेगें ।

यह काम कुछ भी तो मुश्किल नहीं, बस जरूरत है,इक

जज़्बे की मजबूत इरादे की,इरादा मजबूत हो तो हर चुनौती

का सम्पूर्ण समाधान होगा इरादों को कभी बांधा नहीं

जा सकता-

“बांधे जाते इंसान कभी,तूफान न बांधे जाते हैं।

काया जरूर बांधी जाती,बांधे न इरादे जाते हैं।”

-राजकुमार अरोड़ा गाइड

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