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कहानी : जिहाद से आजादी

डोली शाह

      रंग- बिरंगे फूलों की क्यारियां , बच्चों को झूलने के झूले,  स्विमिंग पूल, मनोरंजन की सारी सुविधाएं ,वहीं लोगों में मधुरता के रस ,कूछ ऐसा था— अकबर पार्क रोड। यहां अक्सर घूमने वाली का  तांता  लगा रहता था।

        कुछ अंदर जाकर ही अकबर  कॉलोनी जहां, क्या सनातनी ,क्या टोपी वाले — दोनों भाई-भाई !  क्या होली, क्या ईद मिठाइयों और सेवाइयों से भरा पूरा कॉलोनी !  टोपी न पगड़ी की पहचान ! यह सच है कि वहां मात्र दो ही  सनातनी घराने थे, बाकी सब मुल्ले वालों की बस्ती! हर  संध्या सभी बच्चे इस पार्क में खेलते,  मौज- मस्ती करते ।

तभी  सोनी की 12वीं की परीक्षा  के परिणाम घोषित हुए , यह देख  पूरा परिवार क्या, पूरा मोहल्ला बहुत खुश था।  अपनी संस्कृति की अनुपम दृश्य दिखाते हुए पिता के साथ सबका मुंह मीठा करवा चरण स्पर्श करती ।

 इतने में ज्यों ही पैगंबर साहब के घर पहुंची, बिल्कुल गोरा चुपड़ा ,भूरी आंखें, सफेद कुर्ता और सिर पर छोटी सी टोपी जैसे यह चेहरा पहली बार देखा हो , सोनी थोड़ा शकपकाई, किंतु बेटा इरफान  भरी नजरों से देखता रहा ।  कितने परसैंट आए हैं? इरफ़ान ने पूछा।

… 92 प्रतिशत।

…..चाचा जी ,इसे आगे वकालत की पढ़ाई करा दीजिए  ।

…देखता हूं अभी कुछ निश्चय नहीं किया।

    सोनी मुस्कुराती हुई सब कुछ सुनती रही । उसका चेहरा  इरफान की नजरों से ओझल ना होता। इरफ़ान हर सुबह किताबों के पन्ने के सहारे  सोनी का घंटो इंतजार करता ।  हाय, हैलो के साथ तरह तरह की बातें भी हो ही जाता, जिससे दोनों में एक रिश्ता सा पनपने लगा।

 कुछ  दिनों बाद ही सोनी का जन्मदिन था।  पूरे मोहल्ले को आमंत्रण दिया गया। इरफान भी आया। उसने तोहफे के साथ ही मौका देख अपने प्यार का इजहार कर दिया। वह शकपकाई जरूर लेकिन  नाकार ना सकी और फिर ज़िन्दगी की गाड़ी रफ्तार से कुछ ज्यादा ही जल्दी निकल पड़ी।  दोनों के बीच रिश्ता बढ़ता गया।  जिससे उनकी इच्छाएं भी बढ़ती गई। अब  वह जब मिलते तो  आलिंगन  की बात ही सोचते । दोनों  बहुत खुश रहने लगे ।

        गुजरते वक्त के साथ ही यह खबर  गली- मोहल्ले तक  आ गई । अब दूरियां बर्दाश्त नहीं  होती, रिश्ते शादी के बंधन में भी बंधने को तैयार थे।

 दोनों ने अपने- अपने घर पर विवाह की इच्छा भी व्यक्त की। इरफान ने तो  अपने घर वालों को कुछ हद तक मना लिया, लेकिन सोनी के परिवार वालों ने साफ इन्कार कर दिया।

 जिससे दोनों परिवार क्या, पूरे मोहल्ले में द्वेष के भावना पैदा हो गयी। इधर इरफान सोनी को मनाने का भरसक कोशिश करता, लेकिन परिवार की मर्यादा देख वह अपनी भावनाओं को दबाती रही।अब फोन पर फोन ,धमकी पर धमकी….

क्रोध भरे स्वर में कह  भी दिया –आज *मैं जिस आग में जल रहा हूं ,उसी आग में मैं तुम्हें भस्म कर दूंगा*।

 लेकिन  पिता ढांढस बंधाते हुए अपनी ही बिरादरी के किसी प्राइवेट कंपनी में कार्यरत लड़के सूरज से उसका विवाह करा दिया।  वह  शुरू से ही करोड़ों में खेलने वाला पिता का इकलौता संतान था।  पिता की मृत्यु के बाद  सूरज मां को अपने पास अक्सर बुलाता लेकिन पिता के सेवा भावना को जिंदा रखने के लिए वह कभी शहर आना पसंद नहीं करती ,   जिससे उसे अक्सर  वर्मा जाना पड़ता । यह  प्रवृति सूरज के अंदर भी कूट कूट कर भरा हुआ था । वह भी पिता की स्मृतियों को जिंदा रखने के लिए हर संभव प्रयास करता।

हर महीने एक बार सपरिवार वर्मा  जरूर जाता। सोनी भी  उसके इस व्यवहार से बहुत खुश होती।

वक्त  के साथ मां के बिगड़ते स्वास्थ्य  देख  सूरज ने सोनी को वहीं रखने की इच्छा व्यक्त की , जिससे लोगों में उसकी पहचान बढ़ती गई।  उसे भी अच्छी  ख्याति मिलने लगी। अपने सास- ससुर के लक्ष्य कदम  पर चलती गयी, जिससे मां के साथ सूरज भी बहुत खुश रहने लगा।

      सब कुछ सही ही चल रहा था।सब संतुष्ट थे लेकिन अचानक मां के देहांत ने दोनों को दो पल के लिए तो हिलाया लेकिन फिर भी सोनी अपने कार्यों में सदा लगी रही । पहले महीना, फिर साल बीतते गए। पूरे गांव में उसकी अच्छी खासी दब दबा बन चुका था।

 अचानक एक दिन  फोन की घंटी बजी। वहां इरफान का नाम देख सारी पुरानी यादें ताजी हो गई।  फिर भी आज उसे अपनी शक्ति ,सुरक्षा पर  विश्वास था उसने बड़ी ही हमदर्दी से बातें की।  देखते-देखते इसी गांव में एक प्राथमिक चिकित्सालय में नर्स की रेप और  हत्या की खबर ने  सोनी को झकझोर दिया। वह सोच में पड़ गयी।अचानक इरफान का फोन और यह खबर… !

        गहरी जांच से संभोग और रेप जैसी घटना सुन उसके  अंदर की ज्वालाएं उठने लगी । मेरी ही गांव में एक लड़की यदि  सुरक्षित नहीं, तो आखिर मै किस काम की !

मैं चुन- चुन कर  बदला लूंगी। मोहल्ले में चौकसी बढ़ा दी गई, और भरपूर जांच की आदेश भी दी गई। अगले दिन ही  पुनः इरफ़ान के धमकी भरे स्वर से सोनी के पैरों तले जमीन खिसक गये।  बहुत हो गया ,तुमने अपनी मनमानी बहुत कर ली ! अब अंतिम बार कह रहा हूं– *लौट आओ मेरे पास **।

 सोनी अंदेशों के साथ उसके बातों को चैलेंज करते हुए बोली –कभी नहीं !  अब मैं किसी की पत्नी  ,किसी की बहु,और करोड़ों लोगों का विश्वास हूं!

प्लीज, तुम यदि अपना भला चाहते हो तो मुझे भूल जाओ । मैं  जिंदगी में बहुत आगे बढ़ गई हूं। इतना कह वह  फोन तो रख दी। 

    अगले ही दिन कुछ लोग   फाटक से अंदर आने की अनुमति मांगे। मना करने के बावजूद भी प्रवेश कर कहने लगे। मैडम यदि आपको अपनी जान  प्यारी है  ,तो घर प्रॉपर्टी का मोह छोड़  रातों-रात  अकबर रोड चले जाइए  ।

सोनी थोड़ी डरी, लेकिन विश्वास के साथ– क्या!पार्क रोड , मगर तुम लोग हो कौन! जो मुझे कहां जाना है यह निश्चित कर रहे हो ?

…इतने में इरफान आकर कहने लगा ,यह सब मेरे दोस्त है। हां ,आज से चार दिन पहले  शहर में जो घटना घटी थी ,जो बाहर  रैली खड़ी है ,नारेबाजी हो रही हैं.उन सब की जिम्मेदारी सब तुम्हारी!

   क्या?

 हां…

वह आश्चर्य भरी नजरों से देखती रही।

 तीन दिनो से तुम कमरे में बैठकर कलम चला रही हो तो बाहर की खबर  कैसे रहेगा! इरफ़ान ने कहा।

 सोनी खिड़की से बाहर नजर दौड़ते ही बिल्कुल ठंडी पड़ गई लेकिन …. कुछ पल बाद ही

 इरफान मुझे तुमसे कुछ अकेले में बात करना है?

.. बात ,किस बारे में !

…आओ तो !

…मुझे  तुमसे कोई बात नहीं करनी है।

…सिर्फ दस  मिनट आओ ,

… अब इतमिनान  से बताओ, क्या चाहिए तुम्हें मुझसे?

…  लंबी सांस लेते हुए–मुझे तुम चाहिए …. इरफान ने कहा।

…मैं तो तुम्हारे सामने खड़ी हूं फिर..

…. ऐसे नहीं ,

…फिर कैसे, नंगे!  कपड़े उतार दूं!

… इरफान आश्चर्य भरी नजरों से बोला– सोनी तुम   समझती  क्यों नहीं ?

…मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूं , मुझे तुम चाहिए ।

… ठीक है, मैं तुम्हारे सामने खड़ी हूं अकेली, इस चार दिवारी मे , लो!

…सोनी बहुत हो गया ,मजाक मत उड़ाओ मेरे प्यार का…

….अरे इरफान, मजाक तो तुम उड़ा रहे हो, प्यार जैसे शब्द का!  जानते भी हो प्यार क्या होता है?

 लेकिन तुमसे तो उम्मीद करना भी बेकार है। अरे, प्यार तो त्याग का दूसरा नाम है। प्यार देता है मांगता नहीं है, लेकिन तुम जैसे लोग क्या समझोगे ! देखना है तो राम -सीता का प्यार देखो, कृष्ण- राधा का प्यार देखो, मगर सोरी  ,मैं तो भूल गई तुम्हारी तो रग -रग में गंदा खून दौड़ रहा है । इरफान जिसे तुम प्यार का नाम देकर बदनाम कर रहे हो, वह प्यार नहीं, तुम्हारा जिद है!  तुम्हारी हवस है …

….तुम जो सोचो ,लेकिन तुम मुझे अपनी बातों में नहीं उलझा सकती,मुझे मेरा प्यार चाहिए ।

….इरफान प्यार कोई प्रसाद नहीं जो थोड़ा- थोड़ा बांट दिया।

….ठीक है,तो फिर अपने गांव की विनाश की जिम्मेदारी भी अपने सिर लेने को तैयार रहना ,जो तुम्हारी प्यारी नर्स का हत्या की खबर आई थी वह भी मैं भलीभांति जानता हूं ।

 —क्या  ? मतलब तुमने!

….हां 

….तुम बस  मेरे साथ पार्क रोड चलो चलो , सब कुछ ठंडा ! मैंने ही लोगों को तुम्हारे खिलाफ….

…बहुत सोच कर ,ठीक है  ,लेकिन मेरा भी एक शर्त है, मेरे पार्क रोड जाने के बाद यहां की जनता में जो   तुमने आगजनी ,खौफ , रैली का वातावरण बना रखे हो सब कुछ सात दिनों के अंदर शांत करना होगा।

….मूझे मंजूर है, लेकिन पहले तुम मेरे साथ तो चलो ….

….किसी को न सूचना न देते हुए वह वहां से निकल गई।

    उधर वर्मा वासियो में आगजनी रेप के खिलाफ एफ. आई. आर. लिखाते- लिखाते मानो कागजों की थाती लग गई थी। इसी बीच वर्मा सरकार ने असल गुंडे की तलाश में  पांच करोड़ इनाम घोषित कर दिया।

  उधर सोनी भी हर दिन इरफान को आगाह करती रही ।वह हर पल खुश रहने के ढकोसले करती ।उसे घृणा तो होती  लेकिन देश की जनता का मुंह देख वह चुपचाप सब कुछ सुनती रही।

 इरफान  चाह कर भी वहां फैले कुत्तों के झुंड को नहीं रोक पा रहा था।” पानी सर के ऊपर से बह रहा था”। देखते -देखते सातवां दिन आ गया। सोनी ने सूरज की लालिमा के   साथ ही मेल कर पुलिस स्टेशन में इरफान की सारी सच्चाई का बखान कर दिया। कुछ मिनटों के अंदर ही  इंस्पेक्टर साहब को देख   इरफान गिड़गिड़ाता रहा।

सोनी तुम!

हां मैं….

तुम ऐसा नहीं कर सकती मेरे साथ !

सोनी  मुस्कुरा कर  बोली — दिन बदलते देर नहीं लगता, तुम कर सकते हो, तो मैं क्यों नहीं ?क्या इसलिए कि  मैं एक लड़की हूं! इरफान मैंने जो किया  वह बहुत कम है ।तुमने तो करोड़ों लोगों की जान से खेला है, वह मासूम नर्स जिसके सामने अभी पूरी जिंदगी पड़ी थी तुमने…. तुम्हारे सामने तो फांसी के फंदे भी शर्मा जाए!

…सोनी, मैंने जो किया सब हमारे प्यार के लिए किया।  मेरे प्यार को समझो…

… इरफान ,तुम मेरे प्रेमी नहीं ,कातिल हो हजारों जिंदगियों की, मुझे तो शर्म आ रही है,कि …  मैंने तुम्हें कभी अपना जीवन साथी बनाने का फैसला किया था। यह सुनते ही वह मुचछित होकर गिर पड़ा ।सोनी  वहीं खड़ी सब कुछ देखती रही। इरफान की दिल की धड़कने हमेशा के लिए बंद हो गई। सोनी ने इतना ही कहा “जैसी करनी वैसी भरनी” …

   फॉरेन सोनी  इरफ़ान का लाश उसके घर समझाते हुए ,  इनाम के पैसे को गरीबों में बाट देने का आदेश दिया, जिनके घर -बार ,बेटी, बहुओं पर, वक्त का कहर पड़ा  था।यह सुनते ही एक तरफ सूरज  तो वर्मा सरकार द्वारा उसके समाज सेवा का  ऐसा प्रतिबिंब के लिए  पुरस्कार से सम्मानित  किया गया । वहीं सूरज ने कहा– सचमुच तुम्हारे कर्मों के लिए तुम हजारों वर्षों तक  लोगों की दिलों में  जिंदा रहोगी…

 डोली शाह

निकट- पी एच ई

पोस्ट- सुलतानी छोरा

जिला- हैलाकांदी

असम- 788162

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