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धूप में न निकला करो…… !

                                                                                                   कुशलेन्द्र श्रीवास्तव बहुत तेज धूप है, सूरज तप रहा है और धरती जल रही है । गर्मी तो हर साल आती है और मई के महिने में धूप भी बहुत तेज होती है, पर इतनी तेज धूप नहीं रही अभी तक शायद ! ऐसा बोला जा सकता है । धूप तेज है तो एक…

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लालच में मुर्गी का पेट चीरना बेमानी है और बेईमानी भी

30 मई, हिन्दी पत्रकारिता दिवस के बहाने 30 मई 2024 को भारतीय हिन्दी पत्रकारिता 198 वर्षों की हो गई। दो सौ साल होने में केवल दो साल शेष हैं, यह एक लंबा समय है। भारतीय पत्रकारिता के इतिहास में अपना अलग महत्व रखने वाला समाचार-पत्र “उदन्त मार्तण्ड” हिन्दी का प्रथम समाचार पत्र, 30 मई 1826…

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बुर्खा और घूँघट प्रथा —-एक सामाजिक बुराई

कभी तो देखे अपनी माँ को, जो बुर्खा मुख पर ओढ़े थी , कभी बोलती बिना जुबां के, माँ कब तू मुख खोलेगी ! क्या मेरी जवानी और बुढ़ापा तेरी तरह ही गुजरेगा , जो तेरे था साथ हुआ, क्या वो सब मुझपर बीतेगा ! कैसे गर्मी धूप में भी तू, सर ढक कर के…

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करुणा मन में जो धरे होता वही महान

अंधकार मन का मिटे तम का न हो निशान उजियारा हो प्रेम का दूर हटे अज्ञान । मजबूत नींव कीजिये फिर कीजै संधान व्यर्थ किसी तूफ़ान में ढह न जाए मकान l पूर्ण जरूरत कीजिए रखिये इतना ध्यान ऐसी शिक्षा दीजिए बने नेक इंसान l घर के चिराग से कहीं जल न जाए मकान लाड़…

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सूरज की सगी बहन

आग उगलती दोपहरी ये अंगारे सा दिन, कब आषाढ़ घन गरजेंगे कब बरसेगा सावन। प्यासे अधर नदी झरनों के, कंठ कुओं के सूखे, दिन भर के दुबके नीड़ों में, पंछी सोऐं भूखे। प्रातः से ही तपन तपस्विन करने लगी हवन, कब मेघों का बिजुरियों से होगा मधुर मिलन। सड़कों पर सन्नाटा लेटा, मृग मरीचिका बनकर,…

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प्यासी धरती मुरझा मधुवन

प्यासी धरती तुझे पुकारे, प्यासी नदिया तुझे पुकारे,       आ रे मेघा अब तो आ रे। बादल नीलगगन पर छाते, संग आंधियों को ले आते, तेरे राजदूत बनकर वे, झूठे आश्वासन दे जाते। सूखी पोखर तुझे पुकारे, आ रे मेघा अब तो आ रे।  कोयल सूखी अमराई में,  विरह गीत गाती रहती है,  और मोरनी…

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सविता चड्ढा द्वारा लिखी पुस्तक”हिंदी पत्रकारिता भूमिका और समीक्षा” का लोकार्पण और उनकी कहानियों पर चर्चा संपन्न

“हिंदी पत्रकारिता भूमिका एवं समीक्षा’ का लोकार्पण पंजाब केसरी की चेयरपर्सन श्रीमती किरण चोपड़ा,श्री अनिल जोशी, श्री ऋषि कुमार शर्मा ,डाॅ. मुक्ता, ओमप्रकाश प्रजापति एवं मनमोहन शर्मा ‘शरण’ जी के कर कमलों से संपन्न हुआ। लेखिका सविता चड्ढा ने उपस्थित सभी माननीय अतिथियों का हार्दिक अभिनंदन और स्वागत करते हुए कहा कि उनका लेखन अपने…

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राम से बड़ा राम का नाम : लता गोयल

राम हिंदू संस्कृति का प्रतीकात्मक शब्द है। राम शब्द के उद्बोधन में ईश्वरत्व का आभास होता है। राम शब्द हमें उस अलौकिक शक्ति का एहसास कराता है जो इस पूरे ब्रह्मांड का रचयिता है, जिस शक्ति के आगे बड़े से बड़े ऋषि और बड़े से बड़े वैज्ञानिक भी नतमस्तक होते हैं। फिर प्रश्न यह है…

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पगड़ी का मान

तुम्हारी बहन के यहां शादी में तुम ही चले जाओ। मुझे नहीं जाना अपनी बेइज्जती कराने के लिए। पूजा अपने पति से झूंझलाकर कह रही थी। पूजा का पति नीतीश चुपचाप पूजा की बात सुन रहा था। पूजा की बात भी सही थी। क्योंकि उसकी बहन अपनी अमीरी के दंंभ में उनको बेइज्जत करती ही…

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व्यंग्य : कार्यकर्ताओं को यह चुनाव चूना लगा गया..

 पंकज कुमार मिश्रा, राजनीतिक विश्लेषक एवं पत्रकार जौनपुर यूपी  सांसद बनने का सपना देखने वालों के लिए उनके विश्वासपात्र ही अब सबसे बड़ी चुनौती बने है। अपने  कार्यकर्ताओ को सक्रिय रखना मुश्किल हो गया है तमाम माल मलाई रबड़ी सब बड़का नेता और प्रतिनिधि चचा खाय रहें और कार्यकर्ता को फोकट में इधर उधर दौड़ाय…

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