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मां : राकेश कुमार (बिहार)

माँ अपनी छाया जरूर देना,  कुछ देना या ना देना माँ तू प्यार देना,  चंचल हु नादान हु गले से अपना लगा देना,  माँ मुझे किसी की नज़र ना लगने देना,  लाल हू तेरा माँ विजयी सितारा लगा देना।  प्यार भरा आशीर्वाद रहे हीरा जैसा चमका देना।  आँखों की रोशनी तू मुझे अपना बना देना।…

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फर्क

बाबूजी तो भेदभाव बहुत ही करते हैं। बेटियों के लिए मरे ही जाते हैं। यहाँ सेवा हम करें, बुराई भलाई-फोड़ते हैं बेटियों से। श्यामा प्रसाद जी की बहू का रोज ही शगल था। वह जरा ही अपनी बेटी से फोन पर बात करने क्या लगते हैं बहु को पतंगे लग जाते। पत्नी के गुजर जाने…

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आधुनिक समाज में मंचों से साहित्य थूकना सरल

   पंकज कुमार मिश्रा, व्यंग्यकार एवं राजनीतिक विश्लेषक जौनपुर यूपी कहते है  जिस आधुनिक  युग में तुलसी शब्द सुन कर बड़े बड़े कवियों को ‘तुलसी पान मसाला’  याद आता हो, उस युग में एक बड़े धार्मिक आयोजन के बैनर पर रजनीगंधा गुटका का विज्ञापन देखना बुरा क्यों है ? प्रायोजक चाहता है ‘सईंया’ ‘पियवा’ से…

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“एक पेड़ मां के नाम लगाएं…” : पीएम मोदी

‘मन की बात’ नई दिल्‍ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा चुनाव के बाद किये गए पहले ‘मन की बात’ रेडियो प्रोग्राम के 111वें एपिसोड में कहा कि मैंने कहा था, चुनाव नतीजों के बाद फिर मिलूंगा, उम्‍मीद करता हूं कि आप सब अच्‍छे होंगे. मैंने विदा लिया था, फिर मिलने के लिए. इस बीच मुझे…

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संतोष (लघुकथा)

    शाम होते-होते सूरज ढलने लगा। उम्मीदों के दीप बूझने लगे मगर सबको अपना-सा लगने वाला रमेश फिर कभी उन लोगों के बीच कभी नहीं लौटा जिनके लिए आधी रात को भी मुसीबत आए तो तैयार हो जाता था। गॉंव छोड़ शहर की नौकरी में ऐसा उलझा की घर बसाना ही भुल गया। गॉंव भी…

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क्या हुआ तेरा वादा……….. ! – कुशलेन्द्र श्रीवास्तव

राजनीतिक सफरनामा राजनीति तो वायदों का ही खेल है । ऐसा हो ही नहीं सकता कि कोई राजनीति करे और वायदा न करे और फिर चुनावों में….चुनावों में तो वायदे पानी की तरह बहते दिखाई देता है, वह चुनाव चाहे सरपंच का हो या लोकसभा का । इतने वायदे किए जाते हैं कि वायदा करने…

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युवाओं को अपनी संस्कृति, कला और विरासत से जोड़कर बनायें एक श्रेष्ठ नागरिक –  पोस्टमास्टर जनरल कृष्ण कुमार यादव

युवा आने वाले कल के भविष्य हैं। इनमें आरम्भ से ही अपनी संस्कृति, कला, विरासत, नैतिक मूल्यों के प्रति आग्रह पैदा कर एक श्रेष्ठ नागरिक बनाया जा सकता है। सोशल मीडिया के इस अनियंत्रित दौर में उनमें अध्ययन, मनन, रचनात्मक लेखन और कलात्मक प्रवृत्तियों की आदत  न सिर्फ उन्हें नकारात्मकता से दूर रखेगी अपितु उनके…

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रेशमा  :  डॉ सरला सिंह “स्निग्धा”

रेशमा एक बहुत ही सीधी-सादी लड़की थी । जहां उसके साथ की लड़कियां फ़ैशन ,टीवी और मोबाइल में लगी रहती थी वहीं वह उम्र से पहले ही बड़ी हो चुकी थी। रेशमा का पिता शराबी था वह दर्जी का काम किया करता था परन्तु सारी की सारी कमाई अय्याशी और शराब पर लुटा दिया करता…

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10वें अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के बहाने

वर्ष 2014 में संयुक्त राष्ट्र के 177 सदस्यों द्वारा 21 जून को ‘अंतर्राष्ट्रीय  योग दिवस’ को मनाने के प्रस्ताव को मंजूरी मिली। 21 जून उत्तरी गोलार्ध का सबसे लंबा दिन भी होता है। योग कोई सरल प्रक्रिया नहीं है और ना ही प्रदर्शन की वस्तु है। योग मनुष्य को स्वस्थ जीवन के साथ मोक्ष के…

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अबकी बार हुए न पार

जी हाँ, अबकी बार 400 पार का नारा इतनी पहले से और आखिरी वोटिंग तक दिया जाता रहा मेन मीडिया जिसको कुछ लोगों द्वारा गोदी मीडिया भी कहा जाने लगा है, ने भी बढ़ चढ़कर समर्थन किया और नारे की आवाज को बुलन्द करने में अपनी भूमिका निभाई। समाचार चैनलों की वार्ता में, ज्योतिषीय विश्लेषण…

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