अमन बड़े दिनों बाद अपने पुराने शहर माता-पिता से मिलने आया था। घर पहुंचने से पहले जब उसकी गाड़ी बाज़ार से गुज़र रही थी तो उसकी पत्नी मंजू बोली सुनो मेरा कोल्ड ड्रिंक पीने का बहुत मन हो रहा है। ऐसा करो गाड़ी कहीं किनारे लगा कर घर के लिए फल मिठाई भी ले लो और एक कोल्ड ड्रिंक भी लेते आओ ना, प्लीज़। अमन ने सही जगह देख कर सड़क किनारे गाड़ी लगा दी। और घर के लिए फल मिठाई वगैरह खरीदने लगा। उसने जल्दी में एक कोल्ड ड्रिंक की बोतल खरीदी, अपनी तरफ से कुछ चिप्स और नमकीन के पैकेट भी खरीद लिए फिर तेज़ी से दूर खड़ी अपनी गाड़ी की ओर कदम बढ़ाने लगा।
इतने में सड़क किनारे पुराने पार्क के बाहर उसे अपना बचपन का दोस्त खड़ा नज़र आया। सब कुछ भूल दोस्त की तरफ़ उसके कदम चुंबक के से आकर्षण से बढ़ चले। फिर तो जबरदस्त आलिंगन के बाद जो गप्पों का सिलसिला चला उसमें किसी उफ़ान में आए दरिया में डूबे दो दोस्त बहते ही चले गए उस समय दुनिया में न कोई शहर था न कोई शोर शराबे भरा बाज़ार। दुनिया में थे तो बस वे दो उनका बचपन और उनकी दोस्ती…
दोस्त के साथ गप्पों में डूबे अमन को अचानक याद आया, ओ त्तेरी! मेरी बीवी वहां गाड़ी में बैठी है। उसने कोल्ड ड्रिंक लेने भेजा था। यहां तू मिल गया तेरी गप्पों में मैं बीवी को भूल ही गया। फिर वह झटके से बोला अभी मुझे जाना होगा, कल मिलता हूं।
दोस्त की बेफिक्री में कमी नहीं आई। बिना चेहरे के भाव बदले वह सुस्त सरलता से बोला, थोड़ी देर के लिए अपनी बीवी को अकेला छोड़ दे। आज कल मोबाइल फोन, फेस बुक और चैटिंग का ज़माना है। उसको भी फोन पर किसी से चैट कर लेने दे…
अरे नहीं यार मंजू ऐसी नहीं है। फेस बुक वेसबुक उसकी दुनिया नहीं है। भोली और सीधी सी है। फोन वोन ज़्यादा इस्तेमाल नहीं करती बेचारी। अभी जाता हूं।
अमन का दोस्त उसी लापरवाह अंदाज़ में
साथ लगते पार्क में घुस गया।
इधर अमन का मूड खराब हो गया था वह बड़बड़ाता हुआ लौट रहा था,”आवारा लंप कहीं का सब औरतों को एक जैसा समझता है।”
वह गाड़ी के पास पहुंचा तो देखा उसकी बीवी अकेले में मुस्कुरा रही थी, उसने गौर से देखा तो पाया वह फोन में कुछ पढ़ कर मुस्कुराते हुए कुछ टाइप कर रही थी। अमन सांस रोके कुछ पल खिड़की के शीशे के साथ खड़ा यह सब देखता रहा।
मंजू को पता ही नहीं चला कि कब से अमन खिड़की के शीशे से अंदर झांक रहा था।
कई लाल दिल उसके फोन की स्क्रीन पर बुलबुलों की तरह लगातार उड़ रहे थे।
गाड़ी का दरवाज़ा झटके से खुलने पर वह अचानक चौंकी, उसके चेहरे पर घबराहट थी जैसे उसकी कोई चोरी पकड़ी गई हो।
अमन ने अपने चेहरे पर नादानी और हड़बड़ी चस्पां की और समान का थैला पकड़ाते हुए मंजू को बोला तुम यहीं बैठो, मुझे अपना एक पुराना दोस्त मिला है। मैं उस से मिल कर आता हूं, मुझे थोड़ा वक्त लग जाएगा।
मंजू के चेहरे पर राहत तैर गई उसने जल्दी से कोल्ड ड्रिंक की बोतल खोली उसमें से बुलबुलों का उफ़ान बाहर उमड़ आया थोड़ा संभल मंजू ने एक लंबा घूंट लिया
इधर अमन अपने भीतर, अपने ही कुछ पल पुराने रूप से द्वंद्व करता, अपने पुराने जिगरी दोस्त की ओर बढ़ चला…
दीप्ति सारस्वत ‘प्रतिमा’
प्रवक्ता हिंदी
रा. व. मा. पाठशाला. मझार
जिला शिमला
हिमाचल प्रदेश
deeptisaraswat8@gmail.com