आप सभी को 78वें स्वतंत्रता दिवस की बधाई एवं अनन्त शुभकामनाएं। लालकिले की प्राचीर से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने 11वीं बार देश का तिरंगा लहराया और बहुत विस्तार से अपना सम्बोधन देशवासियों को समर्पित किया। जश्ने आजादी के कार्यक्रम सरकारी तौर पर, केन्द्रीय, राज्य स्तर पर सभी विभाग अपने-अपने स्तर पर आयोजित करते हैं। स्वयंसेवी संस्थाएं, साहित्यिक-सामाजिक संस्थाएं तथा स्कूल-कॉलेज भी अपने स्तर पर कार्यक्रम आयोजित करते हैं। उन महान दिव्य आत्माओं को स्मरण करते हैं जिनके त्याग-बलिदान-तपस्या के फलस्वरूप हमें आजादी मिली। उनके सम्मान में कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं। उनका जज्बा हौंसला और समर्पण सबसे पहले देश हित होता था।
यह अवसर जश्न मनाने का, प्रसन्नता व्यक्त करने का अवश्य है। उन सबको सच्चे दिल से स्मरण करने का भी है जिनके कारण हमें यह दिन नसीब हुआ। साथ ही उनकी फरियाद, आह्वान का भी हमें ध्यान रखना चाहिए जो हमसे अपेक्षा की थी उन्होंने। जागृति फिल्म के गीत की पंक्तियां है’ लाए हैं तूफान से किश्ती निकाल के, इस देश को रखना मेरे बच्चो संभाल के’। देश के महान स्वतंत्रता सेनानियों की देशवासियों से यही पुकार थी कि इस भयंकर तूफान में कितनी कठोर यातनाओं को सहन कर हजारों बलिदान देकर इस देश रूपी किश्ती को बचा कर ले आए हैं। बच्चों से उनका आहवान था कि अब इसकी आन-बान-शान तुम्हारे हाथों में है इसको संभाल कर रखना। जश्न के साथ मंथन का भी अवसर है- आजादी का जश्न हम मना रहे हैं, कहीं किसी कोने में विचार अवश्य आना चाहिए कि किसी प्रदेश के मुख्यमंत्री तथा उनकी पार्टी के अन्य बड़े नेता सालों बिना जुर्म सिद्ध हुए जेलों में काट रहे हैं। एक महिला पहलवान पेरिस ओलम्पिक में अपनी कुश्तियों में 5-0 से जीत दर्ज करती है और वह फाइनल में नहीं खेल पाती परिणाम सामने हैं कि गोल्ड तो छोड़िये वह जीती हुई कुश्ती का भी मेडल नहीं प्राप्त कर पाती। बात मात्र इतनी भर नहीं है इसके लिए जो 10-15 अधिकारियों की टीम साथ गई उन्होंने क्या जिम्मेदारी निभाई। इन सब पहलुओं पर बारीकी से क्यों नहीं छानबीन करके तैयारी की गई। उन्हें इतनी मोटी पगार-सुविधाएं देकर पैरिस भी भेज दिया गया। जब वजन कम करने की बात आई तो रात भर महिला पहलवान विनेश फोगाट पसीना बहाती रहीं और 2 किलो वजन कम भी कर लिया लेकिन मात्र 100 ग्राम से चूक जाना पड़ा। इसमें सभी जिम्मेदार अधिकारियों से कड़ी पूछताछ के साथ कारण बताओ नोटिस दिया जाना चाहिए।
मणिपुर की बात शायद हम करना नहीं चाह रहे। पश्चिम बंगाल की डाक्टर की ट्रेनिंग कर रही छात्रा के साथ इतना घिनौना दुष्कृत्य और उसकी निर्मम हत्या पूरी डॉक्टर बिरादरी इस पर गुस्से में है और देशव्यापी हड़ताल का मन बना चुकी है।
क्या यह सब हमें नहीं झकझोर रहे कि हमें क्या कहा था रखना इसे संभाल के और हम कितना संभाल पा रहे हैं? मंथन-चिंतन और उसके हल की ओर सकारात्मक पहल आवश्यक है।
मनमोहन शर्मा ‘शरण’ संपादक
16 अगस्त 2024