वर्ष 2014 में संयुक्त राष्ट्र के 177 सदस्यों द्वारा 21 जून को ‘अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस’ को मनाने के प्रस्ताव को मंजूरी मिली। 21 जून उत्तरी गोलार्ध का सबसे लंबा दिन भी होता है। योग कोई सरल प्रक्रिया नहीं है और ना ही प्रदर्शन की वस्तु है। योग मनुष्य को स्वस्थ जीवन के साथ मोक्ष के मार्ग प्रशस्त करता है। महर्षि पातञ्जलि का मानना है – योगश्चित्तवृति: निरोध:। यानी योग चित्त की वृत्तियों को नियन्त्रित करता है।
योग भारतीय ऋषि-मुनियों के द्वारा दी गई एक अनमोल देन है। योग अपने आप में एक समूचा दर्शन है। योग अत्यंत गंभीर विषय है। इसकी अनुपालना करना इतना सरल कार्य नहीं है। महर्षि पातञ्जलि ने योगशास्त्र में योग के आठ अंग बताए हैं- यम, नियम, आसन, प्रत्याहार, प्रणायाम, धारणा, ध्यान और समाधि। इन आठों का पालन करते हुए मनुष्य समाधि के द्वारा ईश्वर को प्राप्त करता है। इनमें पहले पाँच अंगों को बहिरंग कहते हैं और अंतिम तीन को अंतरंग। इन आठ अंगों के कारण ही इसे अष्टांगयोग कहते हैं। योग एक बहुत ही गहन विषय है। इसके प्रारम्भिक अंगों यम और नियम का पालन आजीवन करना होता है। मनुष्य को मोक्ष की ओर ले जाने वाला है। आज की आपाधापी में मनुष्य को कम से कम इतना तो अपनी दिनचर्या में शामिल करना ही चाहिए।
उत्तम मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य के लिए अनिवार्य है कि दिन की शुरुआत सूर्य नमस्कार, प्राणायाम और ध्यानपूर्ण उपचार अभ्यास से करें। आंतरिक शांति के विकास के लिए प्रतिदिन 10-15 मिनट ध्यान अवश्य करें। शरीर के लचीलेपन, शक्ति और संतुलन के लिए नियमित रूप से योग आसनों का अभ्यास करें। दिन के समय भोजन करें, सुबह सात बजे से शाम सात बजे के बीच ही खाएं इसके पहले और बाद में खाने से बचें। महर्षि पातञ्जलि ने बताया है कि अनुलोम-विलोम प्राणायाम श्वसन स्वास्थ्य और मानसिक स्पष्टता में सुधार करता है। भोजन में पोषक तत्वों से भरपूर बाजरा जैसे पौष्टिक, प्राकृतिक खाद्य पदार्थों के संतुलित आहार से पोषण लें, प्रसंस्कृत और पैकेज्ड खाद्य पदार्थों से बचें। अपने स्वास्थ्य पर ध्यान दें और योग, व्यायाम को समय दें; आपका शरीर ईश्वर द्वारा उपहार में दी गई संपत्ति है जिसे एक बार क्षतिग्रस्त होने के बाद वापस नहीं पाया जा सकता है।
मनुष्य को चाहिए कि बागवानी जैसी बाहरी गतिविधियों के माध्यम से प्रकृति से जुड़ें। खाने-पीने के लिए प्लास्टिक के कंटेनर या बर्तनों का इस्तेमाल न करें। एल्युमीनियम के बर्तनों में खाना पकाने या स्टोर करने से बचें। प्रोसेस्ड, तले हुए और जंक फूड से दूर रहें। चीनी, नमक या अस्वास्थ्यकर वसा का अत्यधिक सेवन न करें। निष्क्रिय, गतिहीन जीवनशैली और लंबे समय तक बैठे रहने से बचें। शरीर आपका अपना है अतः अपने शरीर के लिए पर्याप्त नींद और आराम की उपेक्षा न करें। धूम्रपान, अत्यधिक शराब और नशीली दवाओं या मादक पदार्थों की लत से दूर रहें। प्राकृतिक के साथ तालमेल बिठाने के लिए सूर्योदय से पहले जरूर उठें।
21 वीं सदी में जीवन का अहम हिस्सा बन चुके स्क्रीन टाइम को कम से कम करें और सोने से कम से कम दो घंटे पहले मोबाइल डिवाइस, सोशल मीडिया, टीवी और इंस्टाग्राम से दूर रहें। नकारात्मक विचारों, तनाव और अत्यधिक क्रोध या क्रोध या चिंता से बचें। समग्र स्वास्थ्य के लिए योग, ध्यान, पौष्टिक आहार, जलयोजन, स्वास्थ्य और प्रकृति से जुड़ें।
योग शरीर, मन और बुद्धि को स्वस्थ रखने की भारतीय जीवन पद्धति है। इसका नियमित अभ्यास न सिर्फ मनुष्य को ऊर्जासंपन्न बनाता है, बल्कि उनमें सकारात्मक चेतना का विकास भी करता है। सयुंक्त राष्ट्र संघ ने इस प्राचीन भारतीय धरोहर को ‘अंतरराष्ट्रीय योग दिवस’ के रूप में विश्वव्यापी बनाने का ऐतिहासिक कार्य किया है। जोकि हम भारतीयों के लिए गर्व का विषय है।
इन्हीं सब संकेतों के साथ और आपके उज्ज्वल स्वास्थ्य, सुखमय और विजय से भरे जीवन की कमान के साथ अंतर्राष्ट्रीय योग दिसव की अनेक-अनेक शुभकामनाएं..!
-डॉ. मनोज कुमार
संप्रति- लेखक भारत सरकार के सार्वजनिक उपक्रम में राजभाषा एवं जनसंपर्कअधिकारी हैं।