पंकज सीबी मिश्रा / राजनीतिक विश्लेषक एवं पत्रकार जौनपुर, यूपी
सम्पूर्ण प्रयागराज इन दिनों श्रद्धालुओं से पटा पड़ा रहा । चारों तरफ कई दिन तक भीसड़ जाम की स्थिति बनी रही । गाड़ियों के बीच बीस से तीस घंटे तक लोगों को सड़कों पर फंसे रहना बेहद कष्टदाई रहा । फरवरी माह में माघी पूर्णिमा के कारण प्रयागराज जाने वाले सभी रूट जाम से जूझते रहे । सबसे बुरी स्थिति स्वयं प्रयागराज शहर और भदोही सहित अन्य टोल प्लाजाओं के आस पास की रही है। आखिर इस जाम और फैली अव्यवस्था का जिम्मेदार कौन है ? बतौर विश्लेषक यह मेरा गंभीर प्रश्न है, क्योंकि इसका उत्तर सरकार को देना है की व्यवस्था में चूक कहा हुई और कथित दावो का सत्यापन वहां की बेतहासा भीड़ और अव्यवस्था कर रही । मैं इस क्राउड ब्लास्ट का स्वयं प्रत्यक्षदर्शी रहा जब विगत 8 फरवरी को महाकुंभ के सेक्टर 19 स्थित ब्रह्मराष्ट्र एकम विश्व महासंघ आश्रम में एक रात्रि गुजारने के बाद मैं यह कॉलम लिखना पड़ा । एक रिपोर्ट में यह दावा भी था की सरकार की तैयारी 50 करोड़ लोगों के आने को लेकर है, लेकिन जिस तरह से व्यवस्थाएं चरमराई सवाल उठना लाजमी हैं। उधर हाइवे पर जाम लगने की वजह से तमाम दुकानदार, ढाबा संचालक, और वाहन चालक मनमानी पर उतर आए। कई के यहां भोजन खत्म हुआ तो कुछ अन्य ढाबे वालों और दुकानदारों ने बिस्किट और भोजन के रेट बढ़ा दिए। एक तरफ आस्था की भीड़ में भूखे प्यासे श्रद्धालु हैं जो कई किलोमीटर पैदल चलकर पुण्य की डुबकी लगाने आ रहे हैं, दूसरी ओर ऐसे पापी लोग भी हैं जो इस अवसर का अनैतिक लाभ उठा रहे हैं। आखिर इस पाप की कमाई को कहा भरेंगे ! हाईवे पर जब कई किलोमीटर लंबा जाम लगा तो मैने स्वयं देखा की ढाबे वाले मुंहमांगा दाम वसूलने लगे। एक अखबार के छपी रिपोर्ट के मुताबिक 400 रुपये में आलू पराठा तो 500 में दाल फ्राई बिकने लगे। उसी अखबार के दावे के मुताबिक निजी वाहन से प्रयागराज पहुंचे 70 वर्षीय विनय किशोर बताते हैं, मैंने अपने जीवन में ऐसा जाम नहीं देखा। फतेहपुर से प्रयागराज के बीच तमाम ढाबों में उन्हें भोजन नहीं मिला। जहां मिला भी तो वहां आलू के एक पराठे के लिए 400 रुपये उन्हें चुकाने पड़े। चाय भी 50 रुपये में एक कप मिली। इसी तरह गंगा स्नान के लिए प्रयागराज पहुंचे मुरादाबाद के प्रशांत वत्स ने लखनऊ रूट के ढाबों के मनमाने रेट पर नाराजगी जताई। कहा कि ढाबे वालों ने जाम का बहुत फायदा उठाया। प्रशांत ने बताया कि चार पूड़ी-सब्जी के लिए उन्होंने 250 रुपये चुकाए जबकि बीस रुपए के एक पैकेट बिस्कुट के लिए उनसे चालीस रुपए मांगे गए । एक तीर्थ यात्री अभिषेक ने बताया कि कानपुर से प्रयागराज के बीच कई ढाबों में तो खाना ही नहीं मिला। फतेहपुर के पास एक ढाबे में भोजन मिला भी तो उसने मुंहमांगा दाम लिया। दाल, सब्जी और दो रोटी के लिए उसने 750 रुपये वसूल लिए। प्रयाग शहर आने वाले सभी हाईवे पर वाहनों की लंबी कतारें बीते तीन दिन से लगी हुई हैं। इसका फायदा तमाम बगैरत लोग उठा रहे हैं जो शर्मनाक है । आगरा के सिकंदरा में रहने वाले अभिषेक ओझा एक प्राइवेट टैक्सी से प्रयागराज पहुंचे लेकिन यहां पहुंचने में उन्हें 26 घंटे का वक्त लग गया। बसंत पंचमी के बाद एकाएक महाकुंभ में बाहरी लोगों की भीड़ बढ़ने लगी। वाहनों का प्रवेश प्रयागराज में बढ़ गया। प्रशासन यह कहता रहा कि प्रयागराज के स्थानीय वाहनों को छोड़कर अन्य स्थानों की गाड़ियां शहर से बाहर पार्क होंगी, लेकिन धरातल पर स्थितियां बदतर होती चली गईं। आखिर इतनी बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के आने पर कैसे उसे नियंत्रित किया जाए ? यह सबसे बड़ी चुनौती प्रशासन और सुरक्षा एजेंसियों के सामने होती है। भीड़ के मनोविज्ञान को समझने में कहीं न कहीं प्रशासन से चूक हुई है। जैसे-जैसे प्रयागराज में भीड़ बढ़ी और जाम की स्थिति उत्पन्न होने लगी, श्रद्धालुओं की मजबूरी का फायदा स्थानीय बाइक वाले भी अब उठाने लगे है तीन किमी ले जाने के पांच सौ तक चार्ज कर रहे । और आटो वाले तो चंद किलोमीटर के हजार- हजार या उससे भी अधिक रुपए वसूल रहे हैं। आखिर इस लूट का जिम्मेदार कौन है? क्या प्रशासन को पता नहीं होगा कि धरातल पर ऐसा चल रहा है। सबसे विकट स्थिति यह है कि ट्रैफिक कंट्रोल में लगे पुलिस वाले असहाय नजर आते हैं। वो केवल लोगों को परेशान होते देख रहे हैं। अधिकांश पुलिसकर्मियों के बाहरी जिलों के होने के कारण वो लोगों का सहयोग नहीं कर पा रहे हैं। धन्य है महाकुंभ जिसने पाप – पुण्य, अमीर – गरीब , लुटेरे – मसीहा और संत समागम के दर्शन एक साथ करा दिया ।