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जीवन का आधार योग

योग: कर्मसु कौशलम् अर्थात कार्य में कुशलता ही योग है योग का अर्थ है जुड़ना जब हम किसी कार्य या विचार के साथ जुड़ जाते हैं तो वह योग कहलाता है योग हमारे तन और मन को जोड़ता है योगिक क्रियाएं ना केवल शारीरिक क्रियाओं को प्रभावित करती हैं अपितु मन पर भी सकारात्मक प्रभाव डालती हैं योग से तन और मन दोनों शुद्ध हो जाते हैं भारत के ऋषि मुनियों ने अनेक प्रकार के आविष्कार किए जिन से जनसाधारण को लाभ हुआ उन्हीं ऋषियों मैं युग के प्रवर्तक महर्षि पतंजलि ने विश्व को एक अनुपम उपहार दिया जो योग कहलाया

योग का आरंभ भगवान शिव से माना जाता है शिव को आदि योगी भी कहा जाता है योग की उपादेयता इसी बात से ज्ञात होती है कि हमारे शरीर की अनेक व्याधियों का उपचार योग से हो सकता है कहां जाता है पुरातन काल में ऋषि मुनि ईश्वर की साधना में योग का सहारा लेते थे एक ही अवस्था में लंबे समय तक खड़े या बैठे रह सकते थे अपने प्राणों को अनेक वर्षों तक कपाल में रखकर अपनी प्राण रक्षा करते थे इससे उनकी आयु बढ़ जाती थी योग के प्रतिदिन अभ्यास से चित् की एकाग्रता भर्ती है, दिमाग तेज होता है योग से हमारे शरीर में सकारात्मक बदलाव देखे जाते हैं शरीर बलिष्ठ और स्वस्थ रहता है, मन तनाव रहित हो जाता है शरीर हल्का फुल्का महसूस होता है

योग केवल शरीर को ही नहीं स्वस्थ बनाता अपितु आध्यात्मिक ताकि और भी अग्रसर करता है इसीलिए पुराने जमाने में सन्यासी योग करते हुए ही ईश्वर को प्राप्त हो जाते थे योग की उपयोगिता को देखते हुए हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर योग को बढ़ावा दिया उन्होंने न केवल अपने देश के लोगों को योग के लिए प्रेरित किया अपितु दूसरे देशों को भी योग के महत्व को समझाया उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाने के लिए संयुक्त राष्ट्र सभा में भाषण दिया और योग के महत्व को समझाया उसी के बाद से 21 जून को इंटरनेशनल योगा डे घोषित किया गया सन 2015 में पहली बार योग दिवस मनाया गया उसके बाद से ही हर वर्ष योग दिवस मनाया जाता है योगाभ्यास स्वास्थ्य की सुरक्षा और तनाव से राहत पाने की एक कड़ी है हमें अपनी इस परंपरा को निरंतर प्रयास करके अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाना चाहिए तथा उन्हें योग का महत्व समझाना चाहिए ना केवल भारत में बल्कि दूसरे देशों तक अपनी योग परंपरा को आगे बढ़ाना चाहिए तभी हम ‘वसुधैव कुटुंबकम’ इस वाक्य को सार्थक कर पाएंगे हमें बाल्यकाल से ही ऐसे संस्कार दिए जाते हैं जिनमें दूसरों के हित की बात कही जाती है तो तो क्यों ना आज हम भी इस परंपरा को कायम रखें… सर्वे भवंतु सुखिनः सर्वे संतु निरामया सर्वे भद्राणि पश्यंतु मा कश्चित् दुख भाग भवेत्

आज पूरे विश्व ने योग के महत्व को समझा है भारत से योग विश्व के अनेक देशों में पहुंचा है जैसे चीन जापान लंका अब तो पश्चिमी देश भी योग के महत्व को अच्छी तरह समझने लगे हैं पूरे विश्व में योग दिवस मनाया जाने लगा है इसका श्रेय हमारे योग गुरु को दिया जाना चाहिए जिन्होंने योग पर अनेकों किताबें लिखी लोगों को योग सिखाया और जिनके प्रयास से आज योग देश विदेशों तक पहुंचा है इसीलिए भारत को योग गुरु कहा जाता है___

डॉक्टर लता गोयल

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