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सभ्य असभ्य इसी धरती पर।
डॉक्टर चंद्रसेन भारती सभ्य असभ्य इसी धरती पर। देव धनुज रहते आऐ। रावण से सब घृना करते राम नाम सुन हर्साऐ। धरती से ही सोना उपजे, कोयला खान नजर आए। मंथन से कोलाहल निकला, अमृत वही नजर आए। संस्कार मिलते हे घर से, गली गलियारे मिलें नहीं। कागा धन ना हरे किसी का, कोयल किसको…
सत्य की खोज : आशा सहाय
दिनांक– बारह दिसम्बर दो हजार तेइस।–नवभारत टाइम्स मे 'द स्पीकिंग ट्री' के अन्तर्गत श्री जे. कृष्णमूर्ति के कुछ विचार पढ़े जिन्होंने मुझे सोचने को प्रेरित करते हुए बहुत हद तक सहमत होने पर विवश किया। उनके विचार सत्य की खोज पर आधारित थे । उन्होंने इस बात पर विशेष बल दिया कि सत्य की खोज…
कला-संस्कृति,साहित्य और सामाजिक सरोकारों को समर्पित सविता चड्ढा जन सेवा समिति ने दिए चार सम्मान
हीरों में हीरा सम्मानश्री प्रसून लतांत साहित्यकार सम्मानडॉ संजीव कुमार शिल्पी चड्ढा स्मृति सम्मानश्रीमती शाहाना परवीन गीतकारश्री सम्मानश्रीमती रंजना मजूमदार सविता चड्ढा जन सेवा समिति, दिल्ली द्वारा हिन्दी भवन में चार महत्वपूर्ण सम्मान प्रदान किए गए । अपनी बेटी की याद में शुरू किए सम्मानों में, अति महत्वपूर्ण “हीरों में हीरा सम्मान” इस बार गांधीवादी…
उथल-पुथल से भरपूर रहा पखवाड़ा
राजनीतिक सफरनामा : कुशलेन्द्र श्रीवास्तव यह पखवाड़ा बहुतउथल-पुथल वाला रहा । चुनाव भी निपटे और बहुत सारे बड़े कहे जाने वाले नेता भी निपट गए । वे चुनाव जीतकर निपट गए और बुछ चुनाव हार कर निपट गए । पर सबसे पहले तो भारत के लोकतंत्र के मंदिर में अनायास घुसने वाले तथाकथितों की कहानी…
बाल बहार, (कविता) दिवाली की छुट्टियां
दीपावली त्यौहार का,अनुपम अपना ढंग। बच्चे मनाते हैं खुशी से, घरवालों के संग॥ घरवालों के संग, मजा तब दुगुना हो जाता। होते जब मित्रों संग, फुलझड़ी स्वयं चलाता॥ रहा इंतजार महीनों से, अवसर कब आयेगा। दिया रावण दहन संदेश, मास अगले आयेगा॥ हम दिन गिन रहे थे रोज,माह कार्तिक का आया। तब अमावस्या से पूर्व,…
सम्पादकीय : अहम को त्यागकर ही एकता संभव है
31 अक्टूबर सरदार वल्लभ भाई पटेल जी की जयंती को ‘राष्ट्रीय एकता दिवस’ के रूप में मनाया जाता है । महान स्वतंत्रता सेनानी भारत के पहले उप–प्रधानमंत्री एवं पहले गृहमंत्री सरदार पटेल जी की अनेक अन्य विशेषताओं में से जो सबसे प्रमुख रही कि उन्होंने भारतीय रियासतों को भारतीय संघ में मिलाने में अहम…
पति – पत्नी
सुधांशु बहुत खुश था , बिज़नेस में फायदा हुआ था , और अपनी शादी की तीसवीं वर्षगांठ पर, पत्नी आभा को बढ़िया सा उपहार देना चाहता था, उसने ऑफिस से फ़ोन किया , “ सुनो आज शाम को खाना बाहर खाएंगे। ” “ क्यों ? “ “ क्यों क्या , बहुत दिन हो गए हैं…
कहानी : विश्वास
राजीव करीब काम में फस कर दो साल से घर नहीं आ पा रहा था । सारी सुविधाओं के बीच भी रेनू विरह की वेदना झेल रही थी। उसके ऊपर राह चलते आने -जाने वाले लोगों का ताना मानो हर दिन एक नई ही कहानी सुनने को मिल जाती, लेकिन वह अपना दर्द कभी राजीव…
जाति जनगणना की जरूरत का समय
21वीं सदी भारत के जाति प्रश्न को हल करने का सही समय है, अन्यथा हमें न केवल सामाजिक रूप से, बल्कि राजनीतिक और आर्थिक रूप से भी भारी कीमत चुकानी पड़ेगी और हम विकास में पिछड़ जायेंगे। जाति जनगणना का अर्थ है भारत की सभी जातियों, मुख्य रूप से अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) से संबंधित…
अपने कर्मचारियों के साथ नाइंसाफी न होने दें
एक 51 साल का व्यक्ति था, जो एक ग्रामीण विकास के मिशन में 9-10 सालों सेराज्य स्तर की नौकरी कर रहा था। अपने प्रदेश को उत्तम प्रदेश बनाने में समर्पित भाव सेकाम कर रहा था। वह कम वेतन में भी बहुत ज्यादा काम करता था। सभी से व्यवहार भीठीक था। इसलिए मिशन को उससे कोई…