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भव्य कल्चरल सोसायटी द्वारा आयोजित तीसरे भव्य रंग महोत्सव का सफल आयोजन

10  अप्रैल 2022 को धर्मा स्टूडियो,ईस्ट ऑफ कैलाश नई दिल्ली में किया गया। इस रंग महोत्सव में पांच विशेष अतिथि थे श्री प्रेम भारती जी(प्रसिद्ध गीतकार और लेखक),मनमोहन शर्मा “शरण” जी(लेखक,कवि और संपादक उत्कर्ष मेल पत्रिका), सुरेन्द्र सागर जी(प्रसिद्ध कलाकार और निदेशक),दिनेश कपूर जी(लेखक और इतिहासकार )और रवि कपूर जी(सामाजिक कार्यकर्ता) इस रंग महोत्सव में तीन नाटकों का मंचन किया गया। सबसे पहले क्रिएटिव आर्ट ग्रुप सोसायटी द्वारा नाटक “ प्यार कैसे होता है ” का मंचन किया गया। इसके लेखक हैं रामाशंकर निशेष और इस नाटक का निर्देशन किया शशांक साशा ने। ये नाटक आजकल के पति पत्नी के संबंधों पर आधारित है कि कैसे पति और पत्नी के बीच कुछ गलतफमियां हो जाती है और ये बात उनके संबंधों को खराब करती है।

नितिन त्यागी,रीतिका सिंह,सुमित अग्रवाल,सागर शर्मा,शिखा आर्या,अमन मुदगल,किशन राजपूत,निशा सिंह,अनीता चौहान, विक्रम, अक्की सिंह इन सभी कलाकारों ने इस नाटक में सुंदर अभिनय किया

 इस नाटक में मुख्य पात्र के अभिनय को तथा शशांक साशा के निर्देशन को बहुत सराहा गया। इस नाटक के उपरांत भव्य रंग महोत्सव में दूसरा नाटक खेला गया ” नूर पर की नई सड़क” इस नाटक की लेखिका और निदेशिका थी नीता गुप्ता जी।

“नूरपुर की नई सड़क”

नूरपुर एक पिछड़ा हुआ गांव है,जहां न स्कूल हैं न अस्पताल।गांव के सरपंच और प्रधान गांव के विकास के बजाय सिर्फ अपने निजी फायदे के बारे में सोचते हैं। नूरपुर के पास एक नई सड़क की‌ परियोजना बनती है तो उससे गांव वालों के जीवन में क्या असर पड़ता है और गांव वालों की अन्य समस्याओं का मार्मिक चित्रण करता है इस नाटक में प्रेम भारती जी द्वारा एक टाइटल सॉन्ग लिखा गया,इस गाने को गाया मोनिका चौधरी ने और इस गाने में संगीत दिया रोहन संगत ने।

इस नाटक में कलाकार थे अनुराग गुप्ता,नीता गुप्ता,निशा गौतम,राकेश कुमार,भानु प्रताप उजाला,चिराग भाटिया,महिमा भाटिया। इस नाटक के सभी कलाकारों के अभिनय को काफी पसंद किया गया। नाटक दर्शकों के मन को छूने में सफल रहा।यह नाटक ज्ञान कला मंच द्वारा मंचित किया गया।

 इस नाटक में अनुराग गुप्ता जी के अभिनय को काफी पसंद किया गया।भव्य रंग महोत्सव में तीसरी और आखरी प्रस्तुति थी भव्य कल्चरल सोसायटी द्वारा आयोजित नाटक “मौत क्यों रात भर नही आती” इसके लेखक हैं प्रताप सहगल जी और इसके निदेशक थे संजय अमन पोपली और मंजीत सिंह। इसकी कहानी इस प्रकार है

ये कहानी है एक मध्यम वर्गीय परिवार के एक व्यक्ति अमित खन्ना की जो की अपनी आर्थिक परिस्थितियों के कारण काफी परेशान हैं उसको इन समस्याओं का कोई हल नहीं नजर आता। तब वो आत्महत्या करने का निश्चय करता है परंतु वो आत्महत्या नही कर पाता। अंत में उसे एहसास होता है कि आत्महत्या किसी भी समस्या का हल नहीं है। एक गंभीर विषय को बड़े ही सुंदर ढंग और व्यंगात्मक तरीके से इसे प्रस्तुत किया गया।इस नाटक में प्रेम भारती जी ने मौत क्यों रात भर नही आती गाने को लिखा और इस गाने को रोहन संगत ने बखूबी गया,मोनिका चौधरी ने इस गाने में अपना संगीत दिया।

इस नाटक में मंजीत सिंह और स्मिता चौधरी जी ने अपने अभिनय से दर्शकों की खूब तालियां बटोरी। भूपेंद्र भाटिया ने इस नाटक में दो चरित्र का अभिनय किया। विजय सहगल और विजय शर्मा ने काफी अच्छा काम इस नाटक में किया। संजय अमन पोपली के निर्देशन को भी खूब सराहा गया। आयशा खन्ना ने अपनी एंकरिंग से सभी को प्रभावित किया।

सभी विशेष अतिथियों ने भव्य रंग महोत्सव में तीनों नाटकों को को खूब सराहा और अपना आशीर्वाद सभी कलाकारों को दिया। अंत में सभी विशेष अतिथियों द्वारा अपने अपने शब्दो द्वारा समाज को संदेश भी दिया गया और दर्शकों ने मांग की कि इसी तरह के रंग महोत्सवों का अधिक से अधिक आयोजन होना चाहिए ताकि उनको अच्छे नाटकों को देखने का अवसर प्राप्त हो।

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