श्री राम कॉलेज ऑफ कॉमर्स अर्थशास्त्र और वाणिज्य में अध्ययन करने के लिए एशिया के सर्वश्रेष्ठ कॉलेजों में से एक है। इस महाविद्यालय से निकली अनेक विभूतियों ने देश का नाम रोशन किया है।
कॉलेज की सबसे पुरानी सभाओं में से एक हिंदी साहित्य सभा एक पंजीकृत एवम् प्रतिष्ठित सभा है, जो कि 1928 से हिंदी भाषा और साहित्य को लोकप्रिय बनाने, हिंदी का महत्त्व समझाने और आज के पाश्चात्य जगत में हमारी मातृभाषा को छात्रों व आम लोगों के दिलों में संजोये रखने का प्रयास कर रही है।
14 सितंबर “हिंदी दिवस” के रूप में मनाया जाता है। हिंदी साहित्य सभा ने भी इस दिन को ‘आज़ादी का अमृत महोत्सव’ के अंतर्गत विशेष रूप से मनाया। हिंदी दिवस के अवसर पर “धरोहर” का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में विभिन्न कॉलेजों के छात्रों ने हिस्सा लिया। सर्वप्रथम मुख्य अतिथि पंकज चतुर्वेदी जी, निर्णायक मनमोहन शर्मा शरण जी एवं मयंक गोयल जी एवं अध्यक्षा इंदिरा मोहन जी का स्वागत किया गया। जैसे कि किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत भगवान गणेश जी को याद किए बिना नहीं होती, सभा ने भी गणेश वंदना से कार्यक्रम का शुभारंभ किया।
उसके बाद हमारी प्रेरणा स्रोत, माननीय प्राचार्या सिमरत कौर जी ने अपना वक्तव्य दे सभी का मार्गदर्शन किया और हिंदी भाषा का गौरव बढ़ने की कामना की। उसके बाद हमारे शिक्षक प्रभारी एवं परामर्शदाता डॉ रवि शर्मा ‘मधुप’ जी ने अपनी ओजस्वी वाणी से हिंदी भाषा का महत्त्व समझाया और हमारी प्रथम वार्षिक पत्रिका “दर्शिनी” के बारे में बताया तथा हिंदी साहित्य सभा की प्रथम वार्षिक पत्रिका “दर्शिनी” का लोकार्पण किया। हिंदी साहित्य की विविध विधाओं से सजी यह ‘दर्शिनी’ हिंदी की महिमा को और पुष्पित-पल्लवित करेगी, सबने ऐसी कामना की।
उसके पश्चात भाषण प्रतियोगिता शुरू हुई, जिसमें विभिन्न कॉलेजों के विद्यार्थियों ने हिस्सा लिया और, “आज़ादी की लड़ाई में हिंदी का योगदान” विषय पर अपना वक्तव्य रखा। फिर सभा के सदस्यों द्वारा हिंदी के महत्त्व पर बनाई गई लघु नाटिका दिखाई गई।
इसके उपरांत दूसरा मुख्य कार्यक्रम “साहित्यिक जलसा” प्रारंभ हुआ, जिसमें विभिन्न कॉलेज के विद्यार्थियों ने हिंदी से संबंधित अपने विचार प्रभावशाली ढंग से रखे और अपनी रचनाएँ प्रस्तुत कीं।
समारोह के मुख्य अतिथि राष्ट्रीय पुस्तक न्यास के संपादक पंकज चतुर्वेदी जी ने भक्ति काल से लेकर स्वतंत्रता आंदोलन में हिंदी की भूमिका का सरस और प्रभावी विवरण देकर मंत्रमुग्ध कर दिया। उन्होंने सभी को हिंदी की सरलता एवं सहजता से परिचित कराया। प्रतियोगिता के निर्णायक एवं हिंदी साहित्य सभा के पूर्व सदस्य, मयंक गोयल जी ने भी हिंदी पर अपने विचार साझा किए और हमारे प्रतिभागियों का मनोबल बढ़ाया। उनके वक्तव्य के बाद पूर्व अध्यक्ष समृद्धि बुंदेला ने भाषण प्रतियोगिता के विजेताओं के नाम घोषित किए। भाषण प्रतियोगिता के विजेताओं में प्रथम स्थान पर दयाल सिंह कॉलेज के गौतम दास, दूसरे पर हिंदू कॉलेज के सुशांत चौहान और तीसरे पर आर्यभट्ट कॉलेज की अर्चना बनर्जी रहीं। निर्णायक गण ने सभी प्रतिभागियों को शुभकामनाएँ और विजेताओं को बधाइयाँ दी।
उसके बाद हमारे कार्यक्रम की अध्यक्षा वरिष्ठ गीतकार एवं हिंदी सेवी इंदिरा मोहन जी ने अपने उद्बोधन से हिंदी भाषा की महत्ता पर प्रकाश डाला और कहा कि हिंदी न केवल हमारी भाषा है, अपितु हमारे संस्कारों का स्रोत है।
अंत में, सभा की नवनियुक्त अध्यक्ष आँचल यादव ने धन्यवाद ज्ञापन कर कार्यक्रम का सफ़ल समापन किया और हिंदी को किसी निर्धारित दिन न याद कर रोज़ याद कर उसका प्रसार-प्रचार करने का संदेश दिया।