मनमोहन शर्मा ‘शरण’ (संपादक)
2 अक्टूबर , दो महान विभूतियों की जयन्ती (राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी, जिन्हें हम बापू कहकर भी पुकारते हैं और किसानों के मसीहा कहें अथवा अपने जीवन में शून्य से शिखर तक की यात्रा तय करने वाले पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी) पर बधाई एवं अनन्त शुभकामनाएं ।
देश की जनता का चित्र्–चरित्र् ही ऐसा है कि व्यक्ति नहीं, किसी का व्यक्तित्व ऊँचा हो, देश के प्रति श्राद्ध, आस्था एवं समर्पण भाव हो तो उसे पूरा सम्मान देती है और अपना सिरमोर बना लेती है ।
गाँधी जी के विषय में तो सत्य–अहिंसा–शांति के पक्षधर रहे, कहा ही जाता है, साथ ही एक गीत की पंक्ति में “दे दी हमें आजादी बिना खडग, बिना ढाल, साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल–––––” भाव कहां से कहां पहुँचा देते हैं । यह सच है कि केवल शांति मार्ग अकेला पर्याप्त नहीं था, क्रांतिकारियों की अमर गाथा इसका प्रमाण भी देती है । किन्तु संयुक्त रूप से किया आन्दोलन सफल रहा और अंग्रेजों को भाग खड़ा होने के अतिरिक्त कोई अन्य उपाय शेष नहीं सूझ रहा था ।
दूसरी ओर भारत एक सबसे बड़ा लोकतान्त्रिक देश है । लोकतन्त्र् की सुन्दरता और विशेषता यही है कि यहाँ सबके लिए समान अधिकार, समान अवसर उपलब्ध होते हैं । एक गरीब किसान परिवार में जन्में लालबहादुर शास्त्री जी ने शिक्षा कितने संघर्षों से प्राप्त की थी । यह सब हम जानते हैं और देश का प्रधानमंत्री बनना कितने गौरव की बात होती है, जो उन्होंने हासिल किया – अपनी योग्यता, सज्जनता, सक्षमता तथा अपने भीतर नेतृत्व के गुणों द्वारा सिद्ध किया ।
दोनों विभूतियों को नमन! हम कृतज्ञता ज्ञापित करते हैं आपकी सेवाओं के प्रति ।
कोरोना पुकार–––– एक ओर हमें अच्छी खबर यह मिली जिसमें एम्स के डायरेक्टर रणधीर गुलेरिया जी की ओर से यह आश्वासन दिया जा रहा है कि शायद तीसरी लहर आने की संभावना नहीं है, मात्र् खांसी जुकाम ही रह जाएगा कोरोना । लेकिन दूसरी ओर पिछले तीन दिनों में हमें कोरोना संक्रमितों की संख्या में बढ़ोतरी होने लगी है । यह इतना समझने के लिए पर्याप्त है कि हमें अभी सावधान ही रहना है और कोरोना गाईडलाइन्स का सही प्रकार से पालन करना है । कहा गया है –सावधानी हटी, दुर्घटना घटी–––’ आगे त्यौहार ही बहुत आएंगे, उनको श्रधापूर्वक मनाएं पर सावधानी अवश्य बरतें ।