मनमोहन शर्मा ‘शरण’ (प्रधान संपादक)
आज सेना दिवस (15 जनवरी) है, भारतीय सेना को सहृदयता कृतज्ञता ज्ञापित करते हुए नमन करता हूँ ।
कोरोना – नए वेरिएंट (ओमीक्रॉनद्ध) की बात करें तो हाँ संख्या अति शीघ्रता से बढ़ अवश्य रही है किन्तु हमें यहाँ अपनी सोच को नियंत्र्ति करना होगा । मौसम बदलना–खाँसी–जुकाम के मामले हमेशा से आते रहे हैं किन्तु इन मामूली लक्षणों के आते ही आप भविष्य में झांकना प्रारंभ कर देते हैं – शायद — कहीं मैं भी इसकी चपेट––––– ? आदि आदि । मेरा विनम्र निवेदन है कि जो समस्या है उसका समाधान चिकित्सीय परामर्श द्वारा अवश्य करें । आप महसूस करेंगे — समस्या आयी और गयी ।
कुछ दिनों में गणतंत्र् दिवस (26 जनवरी) आ रहा है जहां हम देशवासी गणतंत्र् दिवस की परेड़ के माध्यम से भारत का, भारतवासियों का मनोबल, शक्ति, साहस और पराक्रम के नए–नए आयाम देखते हैं । विभिन्न प्रकार की झांकियां भी इन्हें प्रदर्शित करती हैं । मोबाइल फोन के माध्यम से हम दिन में कई बार सुनते हैं कि भारत ने विशाल टीकाकरण का लक्ष्य पा लिया । इस बार हमें तीसरी लहर या कोई और वेरिएंट का सामना करने को हम कितने सक्षम हो गए हैं । क्या हमारी योजना/रणनीति है इस पर भी प्रकाश डालकर देशवासियों को अपने विश्वास में लेना आवश्यक है । इससे देशवासियों में थोड़ा भय कम अवश्य होगा ।
अब बात पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव की करें तो चुनाव होना और दलबदल का रोना होता ही आया है । किन्तु पिछले एक दशक में तो मानो पाला बदलना अवसरवादिता का फैशन सा बन गया है । इस पर मुझे यही कहना है –जागो वोटर जागो––––! नेता पार्टी बदलते ही अपने को सक्षम क्यों समझने लगता है और किसी न किसी बहाने से जब सत्ता में थे, तब कोई मदद या विशेष काम न कर पाने की बात कहने लगता है । यहाँ मतदाता को भली प्रकार सत्यता को अपनी कसौटी पर जांचकर ही आगे विचार करना है । आपका भविष्य आपके ही हाथों में है ।