गाँव शहर में एकदम से प्रभु राम छाए हुए हैं । अधिकांश लोगों के मोबाइल में कॉलिंग ट्यून और कॉलर ट्यून दोनों रामजी के भजनों का लगा हुआ है। हर दो मिनट में कहीं बज जाता है, राम आएंगे आएंगे राम आएंगे। जहां भी चार लोग मिलते, अयोध्या जी की बात छिड़ जाती । दो फ़रवरी से वाराणसी की सनातनी संस्था ब्रह्मराष्ट्र एकम अयोध्या से श्रीलंका तक रामपग यात्रा ले जा रहीं जिसमें यात्रा के माध्यम से यह बताने का प्रयास किया जा रहा कि कैसे राम ने मर्यादित रहकर संघर्ष झेला। राम ने अपने चौदह वर्षो में कौन से दुर्गम पथ पर संचलन किया और किनका उद्धार किया। आजकल वर्तमान से शुरू हो कर कहानी मस्जिद गिराने के इतिहास में चली जाती है और रामकथा स्टार्ट, हर कोई मोरारी बापू और लाल कृष अडवानी बना हुआ है, और रामकथा चल रही है। ये ज्ञानी ध्यानी लोग नहीं हैं, सामान्य गृहस्थ हैं। जो पहले कहीं पढ़ लिया है, सुन लिया है, वही कहने लगते हैं। इन्हें यह नहीं पता कि यह बात तुलसी बाबा वाले रमायण से है। सम्भव है कि कथा का वह स्वरूप किसी शास्त्र में न हो, पर कथा चल रही है और लोग श्रद्धा से सुन रहे हैं। लोक में कथाएं हजार रूपों में चलती बहती हैं। किसी को कोई आपत्ति नहीं, क्योंकि वे ज्ञान के घमंड में अंधे हुए लोग नहीं हैं, वे लोग श्रद्धा से भरे हुए लोग हैं। राम जी का नाम जिस तरह से भी लिया जाय, वह पुण्य का ही काम है। पिछले कुछ समय से राम पग यात्रा जैसे धार्मिक कामों के लिए लड़के ढूंढे नहीं मिलते थे पर अब उत्साह और उत्सव का माहौल है। यह गाँव के संस्कार और मेरा गाँव, आपका गाँव, सबका गाँव यही अयोध्या है और यही संस्कृति , यही देश है राम जी का देश। राम जी की चिरई रामजी का खेत, खा ले चिरई भर भर पेट। मैं सोचता हूँ, जब सचमुच चौदह वर्ष के वनवास के बाद प्रभु वापस लौट रहे होंगे तो लगभग ऐसा ही माहौल रहा होगा जहां अयोध्यावासी भी ऐसे ही उछल कूद कर उत्सव की योजना बनाते रहे होंगे। कुछ भी तो नहीं बदला देश में। कुछ भी नहीं बदलेगा देश में। राम जी का देश है न! जो कुछ बदला भी है, वह भी एक दिन लौट आएगा।
राम आ गए ! यह भाव हृदय में धारण कीजिए फिर देखिए जितना भी विरोध है सब खामोश पड़ जायेगा। अंतिम पंक्ति में बैठा व्यक्ति भले 22 जनवरी को अयोध्या के श्रीराम महोत्सव यज्ञ में आहुति ना डाल पाया हो किन्तु उसके मन के पवित्र भाव भगवान के श्री चरणों तक पहुँचने के हो तो वह श्रीराम पग यात्रा में प्रतिभाग करें। राम आ गए कहने वाले वहीं कुछ लोग ऐसे भी होंगे जो विशेष निमंत्रण पर 22 ज़नवरी को राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा में उपस्थित रहें पर हृदय से वहां अनुपस्थित रह गए वो इस मंगल यात्रा में शामिल हो अपने आपको सौभाग्यशाली कर ले। यदि कभी भी आपके मुख से श्रीराम नाम निकला तो वह सीधे प्रभु के कान तक पहुंचेगा। राम उसके है जो पिता की एक आज्ञा पर 14 साल वन में काटने को तैयार हो जाए, राम उसके घर आएंगे जो पाषाण होकर भी राम नाम का जप करें। राम उसके लिए तत्पर है जो भाई के लिए सारी संपत्ति त्यागने को तैयार हो, राम उसके घर आएंगे जो महिला के सम्मान के लिए पूरी हुकूमत से लड़ने के लिए तैयार हो। राम उसके घर आएंगे जो परहित के लिए जिये, राम उसके घर आयेंगे जो असमानता, असत्य, अन्याय , अत्याचार, असहिष्णुता और शोषण के खिलाफ खड़ा हो , राम उसके घर आएंगे जो शबरी की तरह निश्छल और केवट की तरह भक्ति रखता हो l जिस दिन आप यह त्याग करने के लिए तैयार हो जाएं तो घर पर रखी मूर्ति देख लेना, साक्षात श्रीराम दिख जाएंगे। ‘परहित सरिस धर्म नहीं भाई, परपीड़न सम नहीं अधमाई ‘ से राम इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने मर्यादा को अपने शोध का विषय बनाया।रामकथा से सम्बन्ध रखने वाली किसी भी सामग्री को आपने पढ़ा हो यदि तो उनमे निहित काण्ड-क्रम से ली गयी हैं अत: यह कांडो के अनुसार अध्यायों में विभक्त है। प्रभु तुलसीदास ने सोचा मैं राम नाम ले हाथ जोड़कर विनती कर लूंगा सब शांत हो जाएगा जग राममय हो जायेगा, लेकिन सब धरा का धरा रह गया क्योंकि समाज केवल धन लोलुप बनता चला गया । आस्था और विश्वास से समस्याएं हल नहीं की जा सकती हैं। राम एक इतिहास पुरुष हैं और हम सबके प्रेरक। वे सर्वव्यापी हैं इसलिए उन्हें दोनों हाथ जोड़कर प्रणाम करना चाहिए।जीवन जीने के जो बहुमूल्य तरीके राम चरित से मिले हैं उनका आदर , आस्था ,पूजा पाठ ही पर्याप्त नहीं बल्कि उन्हें जीवन में उतारें तभी हम इस दुनिया को सियराम मय देख सकेंगे।
– पंकज कुमार मिश्रा, मिडिया विश्लेषक एवं पत्रकार, जौनपुर यूपी