मनमोहन शर्मा ‘शरण’ (प्रधान संपादक)
वर्ष 2020 पूरी दुनिया को रास नहीं आ रहा । स्वास्थ्य, आर्थिक, प्राकृतिक आपदाओं के साथ–साथ जब हमारे बीच में से होनहार व्यक्तित्व तथा युवाओं का आदर्श कहे जाने वाले प्रतिभावान नायक सुशान्त सिंह राजपूत का मुंबई में अपने निवास पर ही आत्महत्या कर लेने की खबर का आना, एक सप्ताह पूर्व उनकी कभी मैनेजर रहीं महिला का आत्महत्या करना और आज दिनांक 15 जून को भी ऐसी ही खबर सुनने–पढ़ने को मिली जिसमें पता चला कि (द्वारका–दिल्ली निवासी) 56 वर्षीय IRS अधिकारी शिवराज सिंह ने कोरोना के भय के चलते आत्महत्या कर ली । यह सब क्या संकेत दे रहे हैं ? अर्थात् मानसिक तौर पर भी भारत में लोग अस्वस्थ हो रहे हैं । अध्यात्मवेत्ताओं का, ऋषि–मुनि, महात्माओं, बड़े–बड़े वैदाचार्यों (आयुर्वेद चिकित्सकों) की उपस्थिति यहां है । मनोविशेषज्ञों की भरमार यहाँ है । फिर ऐसी मानसिक रूग्णता — कैसे–क्यों, किसलिए ? मैंने आदरणीय प्रधानमंत्री जी को भी लिखा है, उन्होंने 28 जून को ‘मन की बात’ करनी है देशवासियों के संग । आज मैंने भी अपने मन की बात उनसे कर दी । ‘‘SAY NO TO SUICIDE’’ विषय पर हमें बहुत बड़े स्तर पर काम करना होगा क्षेत्रीय–स्तर पर , राज्य एवं पूरे भारतवर्ष में इसकी अलख जगानी होगी । संस्थागत स्तर पर–सरकारी तन्त्र् के साथ मिलकर काम करना होगा तभी युवाओं में अथवा प्रत्येक नागरिक के मानसिक दबाव को कम करने के सरलतम उपाय के साथ वर्कशॉप आयोजित करनी होगी ।
जब हम युवाओं की ओर दृष्टि करते हैं तो पाते हैं कि प्रतिभा–हुनर–प्रतिबद्धता बहुत है जिसके चलते विश्व में भारतीय अपना लोहा मनवा रहे हैं । माता–पिता के आशीर्वाद एवं प्रभु कृपा से प्राप्त जीवन के उद्देश्य को हमें समझना होगा । हम आए हैं यहाँ किसलिए और जाना है कहाँ पर । हमारी वास्तविक कमाई क्या है जिसे गीता में बखूबी समझाया गया है । ‘‘कर्म किये जा फल की इच्छा मत कर रे इंसान––––––’’
क्या सफलता भी अपने आप में बहुत बड़ा दबाव है । दुनिया संर्घषरत है कुछ पाने को, कुछ बन जाने को और जब पा गए मुकाम, ख्याति और ऐश्वर्य–संपदा, वहां भी इतना मानसिक दबाव व पीड़ा कि जीवन लीला को ही समाप्त कर लें । जाने वाला तो चला गया उनको मेरा नमन! परमपिता से प्रार्थना है कि उनकी आत्मा को शान्ति प्रदान करें । किन्तु हमारे मन–मस्तिष्क में हजारों अनसुलझे प्रश्न छोड़ गए जिनपर हमें मिलकर काम करना होगा ताकि हमारी भविष्य की धरोहर यूँ व्यर्थ में न अपने को नष्ट करती रहे । इस प्रकार तो देश में मंत्री-गृहमंत्री––रक्षामंत्री तथा अन्य के साथ प्रधानमंत्री जी पर कितना दबाव होता है जिन्हें अपना नहीं पूरे देश की भलाई के विषय में सोचना होता है और जनता के हित में निर्णय लिए जाते हैं । आज एक ओर पूरे विश्व में कोरोना महामारी का कोहराम मचा है । भारत में प्रारंभ में रफ्तार धीमी थी किन्तु अब घोड़े सी चाल हो चुकी है और संख्या जल्द ही दोगुना हो जाती हैं । एक से शुरू हुए आज कोरोना से संक्रमित लगभग साढ़े तीन लाख मरीज हो चुके हैं । इनको उचित देखभाल की व्यवस्था और अधिक न बढ़े इसकी योजना बनाना इस पर मंथन करने के उपरांत योजनाबद्ध तरीके से लागू कराते हैं ।
सारी दुनिया के सार्इंटिस्ट वैक्सीन बनाने में जुटे हैं । भारत में भी अनेक स्तर पर कार्य चल रहा है । किन्तु आज एक अच्छी खबर आयुर्वेद की ओर से आई । बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण ने घोषणा की और बताया कि उनके संस्थान ने मरीजों पर सफलतापूर्वक ट्रायल किया है जिसमें पाया कि 4 से 5 दिन में मरीज कोरोना बीमारी को मात दे रहे हैं ।
एक बात और अन्य देशों की तुलना में भारत में कुल मरीजों में से ठीक होने वालों का अनुपात काफी अच्छा है । लगभग आधे से अधिक मरीज ठीक हो चुके हैं ।
मानसिक–शारीरिक परेशानी के बाद चाइना के अन्दर खलबली मची है, वहां से निकल रही कम्पनियां भारत की ओर देख रही हैं और मोदी जी का ‘आत्मनिर्भर भारत’ कोडवर्ड उसने समझ लिया और आर्थिक दृष्टि से अपनी सत्ता को हिलता हुआ महसूस करने लगा है और उसी के चलते छोटे देशों को प्रलोभन देकर भारत को उलझाने का दुष्प्रयत्न कर रहा है । हालांकि उसमें वह सफल नहीं हो पाएगा ।
नेपाल का फर्जी नक्शा (बिना आधार के) संसद में पास करा लेना इसी ओर संकेत कर रहा है । और पाक के नापाक इरादे उसे ही ले डूबेंगे यह हम तो जानते ही हैं किन्तु पाक के सरपरस्तों को भी समझ आ जाए तो उनके लिए बेहतर होगा ।