स्वच्छ वातावरण, जैविक खेती, हृष्ट पुष्ट गायों एवं पशुओं के लिए एक सजग प्रयास “छिलका आन्दोलन” | हर वर्ग, जाती, धर्म, गरीब, अमीर, प्रत्येक संगठन, सामाजिक संस्थाओं और हर जन की भागीदारी का एक प्रयास स्वस्थ, स्वच्छ, सुन्दरतम भारत के लिए|
भारतीय संस्कृति प्राचीनतम और सर्वश्रेष्ठसंस्कृति है | भारतीय धर्म और ज्ञान विज्ञान विश्व में सर्वोच्चतम है | आज हमारे देश के युवा हर क्षेत्र में देश और विदेश में अग्रणीय हैंएवं देश प्रगति की ओर बढ़ रहा है | परन्तु यह एक प्रश्न उठता है की हमारे देश से जो लोग विदेश जाते है वहाँ कि
स्वच्छता का हर कोई वर्णन करेगा | जबकि मूलतः भारतीय संस्कृति में शुद्धता और स्वच्छता सबसे प्रथम मंत्र है | पर आज हम अपनी संस्कृति के मूल सिद्धांत को क्यों भूल गये हैं ? हमारे यहाँ नदियाँ, गाय, वृक्ष सभी पूजित है | धार्मिक भावनायें तो सभी में है, फिर भी नदियों को प्रदूषित होने से बचाने के लिए वट, पीपल जैसे वृक्षों की कमी होना एवं गायें तथा अन्य पशुओं के स्वास्थ्य की कमी जैसी समस्याओं को पूर्णतः दूर करने में सफल नहीं हो पाये हैं |
छिलकों का सही उपयोग हमारे परिवार में बचपन में माता पिता की शिक्षा के कारण चला आ रहा है और हम सबनेइस दिशा में बहुत लोगो को इस दिशा में प्रेरित किया है | पर इस क्षेत्र में देश के प्रत्येक व्यक्ति को सनग्न है |
आपके घर में भोजन प्रत्येक दिन पकता है और जितनी सब्जी आप रोज़ खाते होंगे उससे ज्यादा छिलकानिकलता है | ज्यादातर लोग इन छिलकों को अन्य कचरे के साथ फेक देते हैं और वह कचरे में मिलकर बेकार हो जाता है | क्यों ना छिलकों को अलग रखकर गायों और अन्य पशुओं के भोजन के लिए उचित स्थान पर डालें ? और क्यों ना छिलकों का एकत्रीकरण कर जैविक खेती के लिए प्रयोग में लायें ? क्यों ना युवाओं के लिए इसे एक नया व्यवसाय बनाया जाये ?
हमारी हिन्दू परंपरा में प्रथम रोटी गाय को खिलाई जाती है और आखरी रोटी कुत्ते और कौवे के लिए बनती है | आज इस परंपरा का पूर्णतः विलोप होता जा रहा है | हाँ पुरानी पीढ़ी आज भी इस परंपरा का पालन कर रही है | गायों का वर्णन इसलिए किया कि छोटे शहरों में लोग गायों को खुला छोड़ देते हैं और गाय कचरे में से अपना भोजन ढूँढती हैं और छिलकों के साथ विषैले पदार्थों को खाकर बीमारी का शिकार हो जाती है |
आज भी हमारे देश में अनुपयोगी पदार्थ या कचरे की सुचारू रूप से व्यवस्था नहीं है | आइये हम सब इस दिशा में जागृति लाकर छिलकों को कचरे के साथ ना फेककर छिलका आन्दोलन चलायें | एक कदम भारत को स्वच्छतम, स्वस्थतम, और सौंदर्यतम देश बनाने की दिशा की ओर बढाएं | सीमा धूपर
जबलपुर