वर्तमान समय में केंद्र सरकार महंगाई , बढ़ते पेट्रो कीमतों और गिरती अर्थव्यवस्था पर जनता की आलोचना झेल रही । केंद्र सरकार ने जिस हिंदुत्व के मुद्दों पर बंगाल चुनाव अभियान शुरू किया था उस वहा की जनता ने नकार दिया क्युकी मध्यम वर्ग सबसे अधिक प्रभावित हुआ और महंगाई के मार से दबा आम इंसान अब हिंदुत्व की तरफ नहीं रोजगार की तरफ देख रहा । बीते वर्षों में जहां एक तरफ सरकार महामारी के आड़ में बैकफुट पर खेल रही थी अब जबकि उत्तर प्रदेश में विधान सभा चुनाव नजदीक है , केंद्र सरकार को फ्रंट फूट पर आना ही होगा । बेरोजगारों ने जिस प्रकार उत्तर प्रदेश के योगी आदित्यनाथ सरकार के नाकों में दम किया हुआ है उससे तो अब ये लगता है कि अगर इनको रोजगार नहीं मिला तो ये उत्तर प्रदेश को पुनः समाजवादी हाथों में सौंप देंगे । ताजा मामला ट्विटर वार पर चल रहे बी एड टीईटी – 2012 नए विज्ञापन के अभ्यर्थियों का है जिनके बढ़ते आक्रोश और आंदोलन ने सरकार को सोचने पर मजबुर कर दिया है । इनके आंदोलन के बीच कल ट्विटर अभियान में बेरोजगारी का मुद्दा गरमाया रहा । पहली बार 2011 में टीईटी पास लाखो अभ्यर्थियों ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है । आपको बता दे की इन अभ्यर्थियों के 2012 में लगभग दो सौ नब्बे करोड़ रुपए उत्तर प्रदेश सरकार के राजकोष में आवेदन के समय का जमा है ,जिसके बाबत कोर्ट के आदेश के बावजूद ना इन्हे नियुक्ति मिली ना पैसे । वर्तमान सरकार के गठन के समय 2019 में जब यह मुद्दा गरमाया था तो सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने अभ्यर्थियों को न्याय का भरोसा दिलाया था और एक कमेटी गठित की थी जिसके प्रमुख वर्तमान शिक्षा मंत्री उत्तर प्रदेश सरकार श्री दिनेश शर्मा जी थे पर कल ट्विटर पर अभ्यर्थियों की मुहिम को तब तगड़ा झटका लगा जब स्वयं दिनेश शर्मा अपनी बात से मुकर गए और अभ्यर्थियों कि माने तो झूठ बोलने लगे । उन्होंने एक ट्वीट का जवाब देते हुए कहा कि वो कभी किसी कमेटी का हिस्सा नहीं रहे ना ऐसा कोई मामला उनके संज्ञान में है । उक्त बयान को सुनकर एक तरफ जहां अभ्यर्थियों में रोष है वहीं दूसरी तरफ अभ्यर्थियों ने योगी जी को पत्र लिखकर उक्त मामले को स्मरण कराया है ।
पूरा मामला जहां बेरोजगारों के आंदोलन को लेकर काफी हाई प्रोफ़ाइल हो चुका है वहीं सुनने में आया है कि भाजपा हाई कमान चुनाव को नजदीक देखते हुए इन अभ्यर्थियों के पक्ष में उतरने की सोच रहा । भाजपा उत्तर प्रदेश के शीर्ष नेतृत्व ने मामले का राजनीतिक लाभ तब भी लिया था जब इनके उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य स्वयं इन अभ्यर्थियों के धरने में शामिल हुए थे और नियुक्ति तक संघर्ष करने की बात किए थे । 2012 बी एड टीईटी न्यू एड मामले में लोचा तब उत्पन्न हुआ था जब चंद याचिकर्ता को कोर्ट ने नियुक्ति का आदेश दे दिया था और पूरे विज्ञापन से कुछ लोग बाकी अभ्यर्थियों से चंदा लेकर याची बन धूर्तता से नौकरी पा गए । अभ्यर्थियों ने ट्विटर मुहिम के जरिए ऐसे याचियों के खातों की जांच कराने और इनकी नियुक्ति निरस्त करने की भी मांग की है। ट्विटर पर टॉप फाइव में ट्रेंड कर रहे इस मुद्दे पर जहां केंद्र सरकार काफी गंभीर दिखाई दे रही वहीं उत्तर प्रदेश के शिक्षा मंत्री का इस प्रकार मुकरना और नकारत्मक होना निश्चित ही इन दो लाख आवेदनकर्ताओं के जहन को झंझोड़ने वाला है । अब जबकि चुनाव नजदीक है और समाजवादी पार्टी इन अभ्यर्थियों को लुभाने के लिए इनका साथ देने का वादा कर रही ,ऐसे में क्या योगी सरकार इन्हे नियुक्ति देकर उत्तर प्रदेश में चल रहे बेरोजगारी पर तीखा प्रहार करेगी या ये अभ्यर्थी यू ही ट्विटर के जरिए सरकार को उसके लिए वादे याद दिलाते दिलाते सरकार का तख्ता पलट करने में एकजुट होते रहेंगे ! आपको बता दे कि सबसे पहले टीईटी परीक्षा वर्ष 2011 में आयोजित की गई थी जिसमें लगभग चार लाख प्रतियोगी छात्रों ने सफलता पाई जिसके बाद लगभग 72800 प्राथमिक शिक्षकों के खाली पदों पर तत्कालीन मायावती सरकार ने उत्तर प्रदेश में विज्ञापन निकाला जो फर्जीवाड़े की भेट चढ़ गई । बाद में उक्त विज्ञापन को कोर्ट में चुनौती दी गई तब कोर्ट के निर्देशानुसार पुनः संशोधित विज्ञापन को समान पदो पर ही नए एड के रूप में 2012 में तत्कालीन अखिलेश यादव सरकार ने पुनः निकाला ,जिसमें एक चरण की काउंसलिंग भी हुई और कुछ लोगो को नियुक्ति भी मिली , फिर पुनः मामला कोर्ट में गया तो कोर्ट ने शेष काउंसलिंग रोकने तथा सरकार से एक उच्च स्तरीय कमेटी बनाकर रिपोर्ट देने को कहा ,जिसे वर्तमान अखिलेश यादव सरकार ने लगातार अनदेखा किया क्युकी तब शिक्षामित्रों के मामले में उलझे अखिलेश यादव के पास विकल्प नहीं था ।2017 में फिर सत्ता पलटी और योगी सरकार ने उक्त 2012 न्यू एड विज्ञापन मामले में राज्य शिक्षा मंत्री दिनेश शर्मा की अध्यक्षता में एक समिति गठित करवाई , जिसने रिपोर्ट बनाई किन्तु उस रिपोर्ट को आज तक ठंडे बस्ते में यह कर रखा कि उन पुराने अभ्यर्थियों के टीईटी की वैलिडिटी समाप्त है इससे उनकी नियुक्ति में अड़ंगा आएगी । अब जबकि टीईटी वैलिडिटी का मुद्दा समाप्त होने जा रहा ऐसे में अब उन 2012 के बेरोजगार अभ्यर्थियों ने सरकार पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है ।
— पंकज कुमार मिश्रा एडिटोरियल कॉलमिस्ट शिक्षक एवं पत्रकार, केराकत जौनपुर ।