राम यानि वो चरित्र जिसने जीवन जीने की कला सिखाई। अपना सम्पूर्ण जीवन इस तरह व्यतीत किया कि मिसाल बन गए। हर युग में, हर परिस्थिति में उनके द्वारा उठाए गए हर कदम का लोग गुणगान करते हैं। यूं ही नही उन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम कहा जाता है। उनके व्यक्तित्व का आकर्षण, कोमल वाणी का सम्मोहन और जीवन प्रबंधन अतुलनीय है। उस पर कोई प्रश्न चिन्ह अंकित नहीं किया जा सकता है। उनकी उपस्थिति काल और घटनाक्रम की सीमा से परे है। एक आदर्श चरित्र जिसके किसी भी निर्णय को गलत नही ठहराया जा सकता है। एक ऐसा चरित्र जो सम्पूर्ण है। ऐसा मानव को अपने जीवन काल में नैतिकता के मापदंड खड़े करता है। इस चरित्र को निभाने के लिए गहन साधना की आवश्यकता है। अप्रतिम, अतुलनीय और अनमोल।वन गमन का प्रसंग हो या सीताहरण का। राम रावण युद्ध हो अथवा लव कुश के साथ संग्राम। सभी घटनाओं में वो प्रेरित करते हैं। युगों से प्रेरणा देते आ रहे हैं। कलयुग में कोरोना की त्रासदी से गुज़र रहे जनमानस ने अब भी राम को अपने भीतर जीवित रखा है। उनके प्रशंसकों की संख्या बढ़ती ही जा रही है। ठीक उसी गति से जैसे संक्रमण बढ़ रहा है। सबको आशा है कि श्रीराम अवश्य ही कोई राह सुझाएंगे। कोई रास्ता बताएंगे। यह राम में आस्था ही है जिसने विषम परिस्थितियों में भी मनोबल बचा रखा है। कोरोना का रूप धरकर आए राक्षस को समूल नष्ट करने राम किसी भी क्षण आ जायेंगे। उसके जितने भी सिर हों सबको काट डालेंगे और मानव को इस बर्बादी से बचा लेंगे। हर तरफ आतंक का साया है। अगले पल क्या हो जाए कोई नहीं जानता है। असुरक्षा एवम् असहिष्णुता हवा में घुल गई है। एक अति सूक्ष्म, अदृश्य प्राणी ने मानव को ललकारा है। संपूर्ण प्रगति धूमिल होती नज़र आ रही है। दुख इस बात का है कि इस स्थिति के बदलने के हालात नज़र नहीं आ रहे हैं। जीवन रुक गया है। फिर से श्री राम याद आ रहे हैं। उनके दिव्य अस्त्र याद आ रहे हैं। एक ऐसा तीर उनके धनुष से चल जाए कि कोरोना रूपी राक्षस की आने वाली नस्लें भी नष्ट हो जाएं और फिर से जीवन सामान्य हो जाए। वायुमंडल, जल और पृथ्वी शुद्ध हो जाएं। इस ब्रह्मांड से सभी दुख भस्म हो जाएं। सभी सोच रहे हैं कि कैसे तुम्हे बुलाएं कौशल्या नंदन ? कौन सा उपाय करें कि तुम एक बार फिर से धरती पर अवतरित हो जाओ। अपने दिव्य नेत्रों से प्रकृति की इस विनाश लीला को देख लो। अपनी मुस्कान से सर्वत्र फैले दुख को हर लो। हम सब भारत वासी करबद्ध तुम्हारी मनुहार करते हैं। हे राम अब आ जाओ। यदि जीवन दिया है तो जीने का रास्ता भी बताओ। ” बच्चे बूढ़े और जवान,बोल रहे हैं एक जबान।अब देर नहीं हे नाथ करोबस आ जाओ श्री राम”
— अर्चना त्यागी