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सावधान सावधान वोटर मौन है ! -कुशलेन्द्र श्रीवास्तव

चुनाव चल रहे हैं भले ही केवल दो राज्यों के चनाव हों पर माहौल वैसा ही है, एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप वाला । वैसे ऐसी अंत्याक्षरी न हो तो मजा भी नहीं आता, हमें भी आदत सी बन गई है । चुनाव घोषित होने के पहले ‘‘तू चल मैं आया’’ वाले आवागमन को देखने की और फिर चुनाव में एक दूसरे के बारे में बहुत सारी नई7नई जानकारियां पा लेने की । ऐसी-ऐसी जानकारियां सामने निकल कर आ जाती हैं कि आश्चर्य होता है । हरियाणा में ‘‘तू चल मैं आया’’ का खेल चला, एक आया, फिर दूसरा आया फिर लोग आते गए और कारवां बनता चला गया । जिस पार्टी से निकलकर नेता जिस पार्टी में जाते हैं तो आम लोग भी सट्टेबाजों जैसा अनुमान लगा लेते हैं कि उस राज्य में क्या होने वाला है । हरियाणा में भाजपा से कूद-कूद कर नेता कांग्रेस की गाड़ी में अपना स्थान खोज रहे हैं मतलब वहां कांग्रेस की अच्छी स्थिति होगी ऐसा अनुमान लगाया जा सकता है । वैसे तो गत वर्ष मध्यप्रदेश में भी ऐसा ही खेल हुआ था, भाजपा की गाड़ी से कद-कूद कर नेता कांग्रेस की गाड़ी में अपनी सीट ढूंढ़ रहे थे और अनुमान लगाया जा रहा था कि वहां कांग्रेस की सरकार बनेगी पर रिजल्ट एक दम उल्टे ही आए । भाजपा उम्मीद और गणित से अधिक सीटें लेकर काबिज हो गई । ठीक वैसी ही स्थिति हरियाणा में लग रही है । फिलहाल तो कांग्रेस अपने उबाल मारते आत्मविश्वास के साथ चुनाव प्रचार में लगी है और भाजपा से नेता भी उनकी पार्टी में ऐसे ही आ रहे हैं मानो कांग्रेस सत्ता में आ ही रही है, पर रिजल्ट देखो क्या आता है ? कांग्रेस में संभावित सत्ता को पाने के लिए मुख्यमंत्री बनने वालों की लाइन लग चुकी है । हर कोई अपने को मुख्यमंत्री पद का सबसे बेहतर दावेदार मान रहा है । अभी तो चुनाव जीते ही नहीं हैं, तब तीन दावेदारों ने अपनी दावेदारी घोषित कर दी है, जिनमें से दो दावेदार तो विधानसभा का चुनाव लड़ ही नहीं रहे हैं । उन्हें कुर्सी नजदीक दिख रही है तो वे अपना कुरता पायजामा पहनकर पहले ही तैयार होकर खड़े हो चुके हैं । रणदीपसिंह सुरजेवाला और महिला कु. सैलजा सांसद अपने आपको मुख्यमंत्री के लिए बेहतर ढंग से पेश कर चुकी हैं । कांग्रेस में सिरफुटव्वैल नई बात नहीं है । वहां नेता ज्यादा हैं और कार्यकर्ता कम जो नेता है वह अपने आपको मुख्यमंत्री से कम नहीं समझता । हिमाचल प्रदेश में भी ऐसा ही हुआ था । वहां मुख्यमंत्री चयन करने में समय लगा था फिर हाईकमान ने कड़ा जी करके मुख्य दावेदारों को   छोड़कर सुक्ख्ू को मुख्यमंत्री बना दिया । सिरफुटव्वैल फिर भी जारी रही और उन्हें न केवल राज्यसभा की एक सीट से हाथ धोना पड़ा बल्कि लोकसभा में भ नुकसान उठाना पड़ा । कई लोग तो स्वाभाविक मुख्यमंत्री होते हैं हिमाचल प्रदेश में प्रतिभा सिंह स्ववाभाविक मुख्यमंत्री के रूप् में अपने आपको प्रोजेक्ट करती रही हैं और अभी करती ही हैं, हरियाणा में भी भूपन्द्रसिंह हुड्डा स्वाभाविक मुख्यमत्री प्रोजेक्ट किए हुए हैं अब इसमें कुमारी सैलजा और रणदीप सिंह सुरजेवाला ने भी अपने आपको प्रोजेक्ट कर दिया है । कुमारी सैलजा तो कोप भवन में भी रहीं आई, फिर उन्हें मनाया थपाया गया तो वे एक रैली में शामिल हो गई । वैसे भी कांग्रेस अभी इस स्थिति में नही है कि वह अपन लोकसभा सीट कम करे । कुमारी सैलजा लोकसभा सदस्य है ऐसे में उनके नाम पर सहमति बन पाना तो कठिन है । भूपून्द्र सिंह हुड्डा मुख्यमंत्री पद की दावेदारी कभी नहीं छोड़ेगें क्योंकि वे इसके चलते ही राष्ट्रीय राजनीति में नहीं आए उन्होने अपने पुत्र को इसके लिए आगे बढ़ा दिया जो लगातार सांसद हैं और अब राष्ट्रय स्तर के नेता भी बन चुके हैं । राजस्थान के तात्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राज्य का मोह नहीं छोड़ा इसके लिए उन्होने कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने का मौका छोड़ दिया । आज वे पछता रहे होगें क्योंकि वे अब न तो मुख्यमंत्री रहे और न ही राष्ट्रीय अध्यक्ष बनकर सक्रिय राजनीति में दिखाई दे पा रहे हैं । भूपेन्द्र सिंह हुड़डा  ने अपना सारा जीवन हरियाणा के चक्रव्यूह में ळी व्यतीत कर दिया है वे वहां मुख्यमंत्री भी रहे और अब वे स्वाभाविक मुख्यमंत्री माने जा रहे हैं । ऐसे में बाकी मुख्यमंत्री पद के दावेदारों के   सामने कोपभवन के अलावा और कोई विकल्प है भी नहीं । हरियाणा में चुनाव चल रहे हैं, प्रधानमंत्री से लेकर राहुल गांधी तक उतने सक्रिय दिखाई नहीं दे रहे हैं पर फिर भी उनकी उपस्थिति वहां है । जेल से रिहा होकर और दिल्ली के मुख्यमंत्री पद से त्यागपत्र देकर अरविन्द केजरीवाल हरियाणा के चुनाव में सक्रिय हो चुके हैं । फिलहाल उनके पास और कोई काम है भी नहीं । एक समय था कि हरियाणा में कांग्रेस और आप पार्टी का गठबंधन लगभग तय ही हो चुका था पर बात नहीं बनी अब आप पार्टी ने अपने सारे उम्मीदवार खड़े कर दिए हैं और अरविन्द केजरीवाल सहित आप पार्टी के बड़े नेता चुनाव प्रचार मे लग गए हैं इससे नुकसान कांग्रेस को ही होने वाला है क्योंकि जो वोटें बंटेगीं इसका फायदा भाजपा को मिलेगा । आपज्यादा सीटें नहीं ला पायेगी पर कांग्रेस की ज्यादा सीटें लाने से रोकने में मदद जरूर करेगी । भाजपा ने पिछले विधानसभा चुनाव में भी ऐसे ही फायदा उठाया था । इनके अलावा जेजीपी सहित कुछ और पार्टियां भी मैदान में हैं । संभवतः इसके चलते ही भाजपा परेशान नहीं है । चुनाव तो जम्मू कश्मीर में भी चल रहे हैं । भाजपा और कांग्रेस के बड़े नेता जम्मू-कश्मीर के चुनाव पर ज्यादा फोकस किए हुए हैं ।राहुल गांधी सहित कांग्रेस अध्यक्ष लगातार वहां चुनावी सभाएं कर रहे हैं, वही गृहमंत्री अमितशाह, प्रधानमंत्री मोदीजी सहित भाजपा के अन्य बड़े नेता भी इन चुनावों में सक्रिय हैं । ऐसा महसूस किया जा सकता है कि इन राष्ट्रीय दलों के लिए हरियाणा से अधिक जम्मू-कश्मीर के चुनावों में ध्यान है । अभी तो और राज्यों के चुनाव होने हैं वे इन चुनावों के सिमट जाने के बाद ही होंगें । तिरूपति बाला जी मंदिर के प्रसादम का मामला भी तूल पकड़ चुका है । आन्ध्रपदेश के बर्वमान मुख्यमंत्री चन्द्रबाबू नायडू ने इसे खुद ही उठाया । जाहिर है कि वे जानते थे कि यह मामला बहुत गंभीर है इसलिए उन्होने ही इसे उठाया । मामाला वास्तव में गंभीर है । श्रृद्धालुओं के साथ छलावा हमारी संस्कृति का अंग कभी नहीं रहा । यदि वाकई ऐसा हुआ है तो इस पर कठोर कार्यवाही की मांग की ही जा रही है । अब इसकी जांच के लिए एसआईटी गठित कर दी गई है तो सच का पता तो इस जांच की रिपोर्ट के आ जाने के बाद ही सामने आयेगा पर प्रथम दृष्टया यह सच लग ही रहा है । इस मामले को तूल तो पकड़ना ही था सो उसने चारों ओर हलचल मचा ही दी है । वैसे भी यह मंदिर देश विदेश के हिन्दुओं के लिए धार्मिक आस्था का केन्द्र है, हजारों श्रृद्धालु प्रतिदिन यहां आते हैं और स्वाभाविक है कि वे मंदिर में प्रसाद तो ग्रहण करेगें ही और साथ भी लेकर जायेगें ताकि अपने परिचितों को भी बांट सकें । अब जब प्रसाद में मिलावट की बात सामने आई तो इसने गंभीर रूप् ले लिया । मामला फिलहाल शांत नहीं होगा कितना लम्बा चलेगा यह देखना होगा । अभी तो वहां राजनीति भी प्रारंभ हो चुकी है । आन्ध्रपदेश के उपमुख्यमंत्री वहां शुद्धिकरण तप कर रहे हैं,मंदिर परिसर को राजनीतिक दल शुद्ध कर रहे हैं और भी बहुत कुछ हो रहा है । पश्चिम बंगाल के आन्दोलनकारी डाक्टर काम पर लौट आए हैं, वैसे भी यहां लगभग महिने भर आन्देलन चला और वहां की सत्ता को पाने के लिए ललायित भाजपा ने इसे बहुत भुजाया भी । कांग्रेस अपने गठबंधन की मजबूरी के चलते उतना उग्र रूप् नहीं दिखा पाई, हालांकि अधीररंजन ने मामले को बहुत तूल तो दिया कुछ धरना प्रदर्शन भी किया पर इसमें भाजपा ही आगे दिखाई देती रही । अब वहां एक और मामले को तूल दिया जा रहा है । बिहार के दो बेरोजगार पश्चिम बंगाल की किसी नौकरी के लिए इंटरव्यू देने गए थे जिन्हें तथाकथित व्यक्ति द्वारा धमकाया गया जिसका वीडीओ वायरल हो गया तो भाजपा ने इस मुद्दे को अपने हाथों में ले लिया । भाजपा के बड़े-बड़े नेता अपना वक्तव्य देते दिखाई देने लगे बिहार की अस्मिता से जोड़कर मामले को नया रूप् देने का प्रयास जारी है ।  मतलब साफ है कि यह मामला लम्बा खींचा जायेगा । ममता बनर्जी को घेरने के प्रयास में कोई न कोई मामला तूल पकड़ता रहेगा । श्राद्ध पक्ष चल रहे हैं तो गयाजी और प्रयागराज में भारी भीड़ है । ऐसा माना जाता है कि इन पन्द्रह दिनों मे ही अपने पितरों की संतुष्टि के लिए पिंडदान किये जाते हैं । हिन्दुआेंं की अपनी प्राचीन परंपरा है जिनका निर्वहन आज भी जारी है । गयाजी में लाखों  की संख्या में लोग पहुंचते हें । हांलाकि वहां व्यस्वस्था तो की जाती है पर हर बार व्यवस्था अव्यवस्था में परिवर्तित हो जाती है । भीड़ ही इतनी होती है । वहां की फाल्ुगनी नदी में पानी कम रहता है और पिंड करने वालों की संख्या अधिक होती है । वहां के पंडाओं की लूटखसोट को रोकने के कोई सार्थक प्रयास नहीं हो पाते । आमव्यक्ति इन पंडों से भी परेशान होता है । बिहार सरकार को कोई सार्थक पहल करनी चाहिए । प्रयागराज में भी अव्यस्था का माहौल है । वहां आगामी कुंभ मेले की तैयारियों के चलते जगह-जगह काम चल रहे हैं तो आने जाने में परेशानी हो रही है । श्रद्धालु तो गयाजी के बाद वहां भी लाखों की संख्या में पहुंच रहे हैं, पर यहां अब पंडों का इतना खौफ नहीं है । संभवतः प्रदेश सरकार की कड़ी चेतावनी ने असर किया है । वैसे भी गंगा नदी बाढ़ के घेरे में चल रही है । वहां नाव का परिचालन हो रहा है । भीड़ के बावजूद व्यस्वस्था गया जी से तो बहेतर है । प्रयागराज में कुभं का आयोजन 2025 में होना है, यह एक बड़ा आयोजन होता है तो उसके हिसाब से व्यवस्थायें भी बहुत लगती हैं करोड़ों लोग इस दौरान यहां आयेगें तो उसकी

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