कुशलेन्द्र श्रीवास्तव
भारत में चुनाव और क्र्रिकेट का बुखार चढा है । बहुप्रतीक्षित विश्वकप क्रिकेट प्रतियोगिता का आयोजन भारत में हो रहा है । वैसे भी भारत में क्र्रिकेट सबसे लोकप्रिय खेल है ही तो जब विश्वकप हो रहा हो तो फिर आम आदमी को तो इस खेल से जुड़ना ही है सो जुड़ चुका है । हर एक भारतवासियों के लिए क्रिकेट का मतबल भारत जीते और पाकिस्तान हारे । तो यह दोनों काम इस बार इस खेल में हो रहे हैं । भारत पूरी मजबूती के साथ जीत रहा है और पाकिस्तान बुरी तरह हार रहा है । वैसे तो यह सच है कि पाकिस्तान की क्रिकेट टीम विश्व की सबसे अच्छी टीमों में से एक मानी जाती है और वे भारत के अलावा हर एक देश को हरा देने की क्षमता भी रखते हैं पर जैसे ही उनका मुकाबला भारत की टीम के साथ होता है वैसे ही उनकी क्षमता खत्म हो जाती है । इतनी कम हो जाती है कि वे भारत से तो हार ही जाते हैं साथ ही अफगानिस्तान जैसी क्रिकेट टीम से भी हार जाते हैं । हमारे यहां तो कहावत ही है कि आप जब दूसरे का बुरा करने का सोखेगे तो सबसे पहले आप ही नुकसान में जाओगे । खेल तो खेल भावाना के साथ ही खेला जाना चाहिए । पर पाकिस्तान के खिलाड़ी और उस देश के रहवासी इतने अच्छे ख्याल रखते ही कहां हैं । वे अच्छा नहीं सोचते तो उनके साथ अच्छा नहीं होता । भारत तो अपने हर एक मैच केवल खेल भावना के साथ खेलता है यह सोचते हुए कि परिणाम कुछ भी हो सकता है । वे जीत जाते हैं । इस बार तो भारतीय खिलाड़ियों के इतने हौसेले बुलद हैं कि वे हर एक मैच को सहजता के साथ जीत रहे हैं । पाकिस्तान को भी उन्होने इतने ही सरलता के साथ हरा भी दिया । वहीं बहुत मजबूत लग रही न्यूजीलैंड की टीम को भी पराजित कर दिया । ऐसा लग रहा है कि भारत इस बार अपनी इस जीत को गतिशील रखते हएु विश्व चैपियन की ट्राफी को ले ही लेगा । भारत इस ट्राफी का सबसे प्रबल दावेदार बन चुका है । भारत में आइपीएल मैचों ने शहर-शहर छिपी प्रतिभाओं को उभरने में मदद की है । आज भारत के पास इतने खिलाड़ी हैं कि वह तीन-चार विजेता टीम खड़ी कर सकता है । एशियन गेम में भारत की एक अलग ठीम ने ट्राफी जीती भी । भारत में प्रतिभायें मौजूद हैं जब भी उनको प्रोत्साहन मिलता है वे उभर कर आ जाती हैं । हाल ही में सम्पन्न हुए एशियन गेमों में भी भारत के खिलाड़ियों ने अच्छा प्रदर्शन किया और सैंकड़ा भर से अधिक मेडल अपने नाम किए । केवल खेल ही नहीं अन्य क्षेत्रों में भी भारत के युवा बेहतर प्रदर्शन कर भारत का नाम गौरवांवित कर रहे हैं । भारत में क्रिेकेट के मैच के अलावा पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों का भी बिगूल फुंक चुका है । पांच महत्वपूर्ण राज्यों में राजनीतिक दलों ने अपनी-अपनी ताल ठांेक दी है । मुख्यतः तो कांग्रेस और भाजपा के बीच ही मुकाबला है । चुनाव के पूर्व तो नेताओं की अंतरात्मा जाग कर इस दल से उस दल की यात्रा करने लगती है उसका क्रम भी प्रारंभ हो चुका है । पांच साल तक अपने ही तन की असीम गहराईयों में बंद रहने वाली अंतरात्मा हर बार चुनाव के दौरान जागती है और फिर वह अपने वार्तमान दल को भला बुरा कहते हुए दूसरे दल की तारीफों के कसीदे पढ़ते हुए यात्रायें करने लगते हैं । लोकतंत्र में अब दलबदल सहज, सरल और आसान प्रक्रिया बन चुकी है । नेता को चुनाव लड़ने के लिए टिकिट चाहिए और टिकिट एक ही होती है जो उसे नहीं मिलती तो वे टिकिट की प्रत्याशा में दूसरे दल का दरवाजा खटखटाते हैं वहां भी नहीं मिले तो असीम उत्साह में आकर निर्दलयी चुनाव लड़ने लगते हैं और ज्यादातर बार वे अपनी जमापूंजी को चुनाव में गवां कर हार कर घर बैठ जाते हैं फिर वे कहीं के नहीं रहते । अभी चुनाव वाले राज्यों में दलबदल का क्रम चल रहा है फिर बड़ी-बड़ी रैलियों के माध्यम से एक दूसरे का भला बुरा कहने का क्रम चलेगा । परिणाम आयेगंे तो किसी एक सिर पर ताज होगा और दूसरा पराजित हो जायेगा । पर वह पराजित होने के बाद भी हारा हुआ महसूस नहीं करेगा वह उनकी तलाश करेगा जो उनके साथ मिल सकते हैं । ये मिले हुओं को साथ लेकर वो फिर से हारा हुआ ताज अपने सिर पर सजा लेगें । विश्वसनीयता किसी में नहीं हैं आमजनता महसूस करती है कि उन्होने जिस दल के प्रत्याशी को वोट देकर अपना प्रतिनिधि चुना है वह पांस साल तक उसी दल में रहेगा भी कि नहीं । दल भी उन पर सतत निगरानी रखता है कि कहीं वह बहक न जाए । इसे लोकतंत्र की खूबसूरती कहो तो कहो पर यह अच्छे संकेतों वाली राजनीति तो नहीं हैं । राजनीतिक दल इतना मंथन नहीं करते वे अच्छे बुरे की परिभाषा से ऊपर उठ चुके होते हैं । पूर्व आएएस अधिकारी डाॅ वरदमूर्ति मिश्रा की नवगठित पार्टी भी मैदान में हैं । वरद मूर्ति ने अपने नौकरी पूरी ईमानदारी, कर्मठता और सक्रियता के साथ की है ऐसा अमूमन देखने को नहीं मिलता । उनकी ईमानदारी की छवि वे जहां-जहां पोस्टेड रहे वहां के लोगों द्वारा प्रमािणत की जाती रही है । इसी इमानदारी को आधार बनाकर वे राजनीति में कूदे हैं । अच्छे बुद्धिजीवी टाइप के प्रत्याशियों को उन्होने कुछ सीटों पर अपना उम्मीदवार भी बनाया है । वे हर जगह एक ही बात कर रहे हैं कि साफ छवि वाले उनके प्रत्याशीयों को जिताओ । वर्तमान राजनीति में ईमानदार प्रत्याशी की अपनी परिभाषा है, उनके प्रत्याशी इस परिभाषा की श्रेणी में नहीं आते वे वाकई इमानदार है न कि ईमानदार होने का प्रहसन कर रहे हैं । ऐसे प्रत्याशियों को यदि वोट मिलती है तो यह लोकतंत्र के सुनहरे दिनों की वापिसी का संकेत हो सकती है । वैसे तो हर राजनीतिक दल और हर एक नेता अपने आपको ईमानदार की परिभाषा में सम्मलित किए हुए है । उनकी अपनी परिभाषा है । आप पार्टी भी ऐसे ही नारों के साथ सामने आई थी और आज वह भले ही राजनीति की शिकार हुई हो पर अपने सबसे बुरे दिनों से होकर गुजर रही है । पांच राज्यों में आप पार्टी को चुनाव लड़ना था वे लड़ भी रहे हैं पर इस पूरे परिदृश्य में आप पार्टी के प्रमुख अरविन्द केजरीवाल गुम हो चुके हैं उनके दो मुख्य सिपहसलार मनीष सिसोदिया और संजय सिंह सलाखों के पीछे पहुंचा दिए गए हैं, अब वे अकेल पड़ चुके हैं और खुद के अरेस्ट हो जाने की संभावनाओं से ग्रसित भी हैं बदले की राजनीति वर्तमान राजनीति का उसूल है । उनके गुम हो जाने वाद पंजाब के मुख्यमंत्री भगवत मान कमान संभाल रहे हैं केवल इतनी अपेक्षा के साथ कि उन्हें इतने प्रतिशत वोट तो मिल ही जायें की उन्हें जो राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिला है वह बरकरार रहा आये । वर्तमान अच्छा होना चाहिए वो कैसे भी हो । इस वर्तमान को अच्छा बनाने के चक्कर में ही युद्ध छिड़ जाते हैं । यूक्रेन और रूस का युद्ध तो चल ही रहा है अब इजरायल और फिलिस्तीन का युद्ध भी प्रारंभ हो चुका है । हमास के आतंकवादियों ने इजरायल में कत्ले आम किया तो इजरायल की सरकार मूक कैसे बनी रह सकती है । वेसे भी इजरायल के प्रधानमंत्री अपने अन्दरोनी विरोध के चलते निशाने पर तो थे ही तो अब उन्हें इस युद्ध से जीवनदान मिल गया । उन्होने पूरी ताकत से हमास का विरोध करना प्रारंभ कर दिया । हमास फिलिस्तीनी जमीन पर पनप रहा है तो फिलिस्तीन अपने आप निशाने पर आ गया । तोपें गरज रहीं हैं और मिसाइलें हवा में तैर रही हैं । युद्ध और युद्ध के हथियार आधुनिक हो चुके हैं । तलवार लेकर युद्ध नियमों से होने वाले युद्ध की परंपरा खत्म हो चुकी है अब मिसाइलें तैर कर कहीं भी मार करती हैं और देखते ही देखते वे लोग भी इसकी जद में आ जाते हैं जिनका इस सबसे कोई मतलब नहीं होता । इजरायल और हमास के युद्ध में भी यही हो रहा है । एक सैंकड़ा आतंकवादी तब मरते हैं जब दो हजार निर्दोष मर जाते हैं । अस्पताल तक निशाने पर आ चुकी है । आम लोगों की लाशें चारों ओर बिखरी दिखाइ दे रही हैं जो दुखद है । यूक्रेन से लेकर फिल्सितीन में भी यही हो रहा है । बच्चे, बूढ़े और महिलायें इसका शिकार हो रहीं हैं । उनके बिलखने की आवाजें सभी को विचलित कर रही हैं और बच्चों के शवों को दिखाने वाले दृश्य धुंध पैदा कर रहे हैं । आतंकवाद कांे कोई भी बर्दाशत नहीं कर सकता यह सच है और एक आतंकवादी जितने बरेहमी से कत्लेआम करता है उसे भी माफ नहीं किया जा सकता तो इसका अंत तो होना ही चाहिए । भारत ने भी आतंकवाद का दर्द भोगा है और भोग भी रहा है इसलिए ही तो वह इजरायल के साथ खड़ा है । पाकिस्तान की सरहदों से भारत की सरहद में घुसकर निर्दोषों को मारने वाले आतंकवादियों को भारत ने नेस्तनाबूत किया है और अभी भी कर रहा है पर इजरायल ने तो उस भूमि को नेस्तानूबत करने का संकल्प ले लिया है जिस पर ये आतंकवादी पनप रहे हैं । सब को मिटा दूंगा का इजरायल का संकल्प अपने लक्ष्य की ओर बढ़ रहा है । युद्ध तो अभी चलेगा मतलब विश्व पटल पर दो युद्ध घोषित रूप् से चल रहे हैं यूक्रेन का और अब इजरायल को । कहीं यह विश्व युद्ध का रूप न ले ले इसको लेकर चिन्तन भी चल रहा है । इससे अलग हट कर एक सुखद खबार भी है कि भारत की पावन भूमि अयोध्या में रामलला के सिंहासानरूढ़ होने की तैयारी अंतिम चरणों में पहुंच चुकी है । हर एक भारतवासी की यह कल्पना भी थी जो अब साकार रूप लेने वाली है । अयोध्या में भव्य मंदिर का निर्माण अंतिम चरणों में है । यह भी एक रिकार्ड है कि इतने कम समय में इतना भव्य मंदिर का मिर्नाण भारत के इंजीनियरों ने कर दिया है । केवल अयोध्या में ही नहीं सारे देश में उत्सव होगा और इस उत्सव में हर एक भारतवासी सम्मलित होगा ।