वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को कहा कि इंटरनेट की बढ़ती पहुंच और बढ़ती आय के कारण भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था 2030 तक 800 अरब डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है। IIT बॉम्बे एलुमनी एसोसिएशन को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि भारत में 6,300 से अधिक फिनटेक हैं, जिनमें से 28% निवेश तकनीक में, 27% भुगतान में, 16% उधार में और 9% बैंकिंग बुनियादी ढांचे में हैं, जबकि 20% से अधिक अन्य क्षेत्रों में हैं।
सीतारमण ने कहा कि भारत के फिनटेक उद्योग का संयुक्त मूल्यांकन अगले तीन साल में बढ़कर 150 बिलियन डॉलर हो जाएगा। वित्त मंत्री ने कहा कि अधिकांश स्टार्टअप यूनिकॉर्न फिनटेक सेक्टर से हैं और फंडिंग की आसान उपलब्धता ने उन्हें बढ़ने में मदद की है। उन्होंने कहा कि हम भारतीय फिनटेक स्टार्टअप्स द्वारा जुटाए जा रहे फंड में काफी बढ़ोतरी देख रहे हैं।
सीतारमण ने कहा कि सरकार ने ई-केवाईसी और ई-आधार जैसी तकनीक के साथ शेयर बाजारों तक सुगम और आसान पहुंच के मामले में खुदरा निवेशकों को बाजार में आने में मदद की है। उन्होंने कहा कि खुदरा डीमैट खातों की कुल संख्या लगभग दोगुनी हो गई है, जो मार्च 2016 तक लगभग 45 मिलियन से 31 मार्च 2021 तक 88.2 मिलियन हो गई है। एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि इंटरनेट की पहुंच में 10 फीसदी की बढ़ोतरी से प्रति व्यक्ति जीडीपी में 3.9 फीसदी की वृद्धि हुई है।
उन्होंने कहा कि हाल के बजट में 75 डिजिटल बैंकिंग इकाइयों (डीबीयू) की स्थापना की घोषणा की गई है। वे एक जगह से काम कर सकते हैं और कितने भी संख्या में जिलों की सेवा कर सकते हैं। अभी हम 75 जिलों को कवर करने का भी लक्ष्य बना रहे हैं और मुझे लगता है कि डीपीयू ग्राहकों के लिए वन स्टॉप डिजिटल बैंकिंग खाता या डिजिटल बैंकिंग प्रदान करके बैंकिंग सेवाओं की बेहतर पहुंच, सामर्थ्य, सुविधा और अपने वित्त पर अधिक नियंत्रण को बढ़ावा देगा।