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ग़ज़ल : अभी तेरी कहानी में मेरा किरदार जिंदा है

भले में मर गया हूँ पर मेरा मेआर जिंदा है अभी तेरी कहानी में मेरा किरदार जिंदा है गिराओ खूब नफरत से भरे शोले मेरे घर पर हर इक शय की हिफाज़त को मेरा सरकार जिंदा है अभी भी श्याम जिंदा है अभी भी राम जिंदा है ज़मीं पे मेरे मालिक का हर इक अवतार…

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जीडीपी गिरी धड़ाम से, मत बैठो आराम से

सितम्बर माह का प्रारम्भ अनेक उत्साह एवं चिंतन के साथ हुआ है । उत्साह है, गणेश उत्सव का जो पूरे देश में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है । एक वादे के साथ, हे गणपति विघ्नहर्ता, मंगलकर्ता, अगले बरस तू फिर आना । उत्साह है, गाँधी जयंती निकट है । इस बार 150वीं जयंती होगी…

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घटती जी.डी.पी. वाला अर्थशास्त्र

पिछले दिनों भारत की जी. डी. पी. दर 5.8 से घटकर 5 पर आ गयी फिर क्या था कई अर्थशास्त्रीयों के माथे पर शिकन सी आ गयी जबकि विपक्ष इसे मुद्दा बनाकर मोदी सरकार को घेरने मे जुट गया पर असलियत तो समझना होगा । भारत फिलहाल वैसी जटिल स्थिति में नहीं फँसा है जैसा…

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धारा 370 का हटना : आई खुशी की लहर, पर खतरा भी बरकरार

-राजकुमार अरोड़ा’गाइड’ धारा 370 को हटाना नेहरू की ऐतिहासिक भूल को सुधारना है। अस्थायी धारा केवल वोट बैंक की राजनीति के कारण इतने लंबे समय तक चलती रही। यूँ तो राजीव गाँधी को400 से भी ज्यादा सीटें मिलीं थीं पर वो क्या ऐसा करने की हिम्मत जुटा पाये, शाहबानो केस में ही संसद में बहुमत…

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बिना बुलाए क्रोध नहीं आता है

बिना बुलाए क्रोध नहीं आता है,निमंत्रण देने पर ही वहआता है.स्वागत की पूरी तैयारी देखकर,मन केआँगन में प्रवेश करता है.अंदर घुसते ही तांडव-नृत्य कर, अपनी हाजिरी दर्ज करवाता है.शिव-तांडव  का सबको पता है,विध्वंस  करने  ही वह आता है.क्रोध कभी तांडव  करे ही नहीं,इस हेतु संयम से काम लीजिए.क्रोध के उठते तीव्र  उफान को,प्रेम के फुहारा से…

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“जन्मे कृष्ण कन्हाई “

जन्मे कृष्ण कन्हाई आज मैया मन ही मन हर्षाय रहीं । बगियन में फूले कुसुम विविध, कोयलिया भी है गाय रही । वसुदेव देवकी व्याकुल है, भय कंस का उन्हे डराय रही। लै छाज में कान्हा को चले , गोकुल को राह है जाय रही। सुर नर मुनि मन में पुलकित, प्रभुदर्शन की बेला आय…

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ठंडा प्रतिशोध (कहानी)

–डॉ. मनोज मोक्षेंद्र मुसहर टोला में अपना बसेरा बनाने से पहले धनीराम मिसिर को हालात ने गिरगिट की तरह रंग बदलना सिखा दिया था। बम्हरौली गांव के काइएं ब्राह्मणों को चकमा देकर वे सपरिवार जान बचाकर भाग तो निकले थे; पर, पूरी तरह ठन-ठन गोपाल थे। कुर्ते की ज़ेब में और बटुए में एक दमड़ी…

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दो पल

         मिले दो पल जीवन की आपाधापी में से…और दो मैंने चुरा लिए।        सघन गर्मी में तपते हुए प्यासे को जैसे मेघों की हल्की सी रिमझिम फ़ुहारों ने भिगो कर मन को हर्ष और संतोष प्रदान कर दिया हो…कुछ ऐसा रहा आज का प्यारा सा, दुलारा सा, मनमोहक संगीत सुनाता सा अलबेला दिन।        …

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धोबीघाट

एक अँधेरी गुफामें खिंची जा रही है वह—घिरनी की तरह घूमती हुई।घोर अँधेरा—आँखें फाड़ फाड़कर देखने की कोशिश कर रही है वह-,पर कुछ दीखता नहीं –काला –गहरा अँधेरा बस।घूमता हुआ शरीर जैसे तिनके तिनके हो बिखर जाएगा—कितना लम्बा अँधेरा है—एक किरण ही रोशनी की दिख जाए गर! और –और  –अचानक जैसे रोशनी का विस्फोट है…

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नेता बने अभिनेता

संगीता अग्रवाल (आगरा, उत्तर प्रदेश) नेता बने अभिनेता वोटों के दिन जब हैं आए नेता भी अभिनेता बन जाए झूठे-झूठे सपने दिखाए टूटी हुई सड़कें बनबाएं बिजली पानी वो दिलबाएं झूठे सबको भाषण सुनवाएं बच्चों के स्कूल खुलबाएं सबको लैपटॉप फ्री बँटबाएं अस्पतालों को खुलवाएं बिन पैसे उपचार करवाएं सबको नए रोजगार दिलाएं जनता पर…

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