सर्वप्रथम आप सभी को हर्षोल्लास के पावन पर्व होली की अनन्त शुभकामनाएं । बात हम होली और जो ‘हो + ली’ (कोराना महामारी) उसकी भी करेंगे ।
जो बात हो़ली, जिससे पूरा विश्व अचम्भे में, सकते में आ गया था । 2021 आते–आते हम खुशी मनाने लगे कि चलिए अब तो बहुत सारी वैक्सीन भी आने लगी हैं । किन्तु यह बार–बार समझाया जा रहा है कि वैक्सीन लेने पर भी सावधानी उतनी ही जरूरी है जिसका पालन हम करते आए हैं । हमें कड़ाई से पालन करना होगा विशेषकर बात होली की, जो रंगों का त्यौहार है जिसमें एक दूसरे को रंग लगाना गले मिलना आदि आदि । कई जगहों पर तो पूरा भिगो देना रंग–कीचड़–ग्रीस ,जो हाथ लगा उससे दूसरे को मल देना आदि दृश्य देखने–सुनने को मिल जाते थे । मेरा विनम्रतापूर्वक निवेदन है, हम हैं तो होली और भी आएंगी हमें अच्छे से रंग–गुलाल–अबीर लगाकर गले मिलना, हाथ मिलाना आदि भी होगा किन्तु आज की आवाज है और वक्त की मांग है कि केसर का, गुलाल का तिलक लगाकर हम दूरी बनाकर अपने भाव प्रकट कर सकते हैं ।
चार राज्यों एवं एक केंद्र शासित प्रदेश (तमिलनाडु, केरल, असम, पश्चिम बंगाल तथा पुडुचेरी) में चुनाव सिर पर हैं । हर बार की तरह पार्टियाँ एक दूसरे की कमियां गिनाती है और अपने को श्रेष्ठ बताती है । दल बदलने की रस्साकसी भी देखने को मिलती है । अपने को बेहतर बनाने के स्थान पर दूसरे को कमजोर करने का प्रयास कर जो खुशी प्राप्त होती है वह क्षणिक है । लेकिन मेरा मानना है कि अपने को योग्य बनाएं अथवा श्रेष्ठ साबित करते हैं तो निर्णय स्वत: ही हो जाता है । किन्तु एक ने दूसरे की पार्टी से किसी को शामिल किया तो दूसरे ने भी वही नीति अपनाई । किन्तु मेरे भाई! होना तो वह है जो जनता चाहेगी । जो आपके हर कृत्य–कुकृत्य की साक्षी होती है और उसे तनिक भी देर नहीं लगती सत्य–असत्य को पहचानने में ।
महंगाई चरम पर है, किसानों की समस्या का हल होने पर नहीं आ रहा है अपितु उन्होंने आर–पार की लड़ाई लड़ने पर उतारू होना पड़ रहा है और नतीजतन जिन प्रदेशों में चुनाव हैं वहां किसानों को अपनी बात मनवाने के लिए वहां कूच करना पड़ रहा है ।