ग्लोबल वार्मिंग वर्तमान समय की प्रमुख वैश्विक पर्यावरणीय समस्या है। यह एक ऐसा विषय है कि इस पर जितना सर्वेक्षण और पुनर्वालोकन करें, कम ही होगा। आज ग्लोबल वार्मिंग अंतरराष्ट्रीय स्तर पर राजनीतिज्ञों, पर्यावरणविदों, सामाजिक कार्यकर्ताओं एवं वैज्ञानिकों की चिंता का विषय बना हुआ है। ग्लोबल वार्मिंग से पृथ्वी ही नहीं बल्कि पूरे ब्रह्मांड की स्थिति और गति में परिवर्तन होने लगा है। इनके कारण भारत के प्राकृतिक वातावरण में अत्यधिक मानवीय परिवर्तन हो रहा है। पृथ्वी के बढ़ते तापमान के कारण जीव-जंतुओं की आदतों में भी बदलाव आ रहा है। इसका असर पूरे जैविक चक्र पर पड़ रहा है। पक्षियों के अंडे सेने और पशुओं के गर्भ धारण करने का प्राकृतिक समय पीछे खिसकता जा रहा है। कई प्रजातियां विलुप्त होने के कगार पर है। संवैधानिक रूप से प्रतिबंध के बावजूद जंगली जीव की संख्या कम हो रही है।
गत सौ वर्ष में मनुष्य की जनसंख्या में भारी बढ़ोत्तरी हुई है। इसके कारण अन्न, जल, घर, बिजली, सड़क, वाहन और अन्य वस्तुओं की माँग में भी वृद्धि हुई है। परिणामस्वरूप हमारे प्राकृतिक संसाधनों पर काफी दबाव पड़ रहा है। परिणाम स्वरूप वायु, जल तथा भूमि प्रदूषण बढ़ता जा रहा है। जनसंख्या दबाव के कारण आज गांव का पानी भी पीने योग्य नहीं रहा। जहां रहने के लिए जंगल साफ किए गए हैं, वहीं नदियों तथा सरोवरों के तटों पर लोगों ने आवासीय परिसर बना लिए हैं। जनसंख्या वृद्धि ने कृषि क्षेत्र पर भी दबाव बढ़ाया है।
वृक्ष जल के सबसे बड़े संरक्षक हैं। बड़ी मात्रा में उसकी कटाई से जल के स्तर पर भी असर पड़ा है। सभी बड़े-छोटे शहरों के पास नदियां सर्वाधिक प्रदूषित है। कचरा से इतना भर गया है कि मौनसून की पहली बरसात में ही लाल निशान के उपर पानी बहने लगती है। वायु प्रदूषण, कचरे का प्रबंधन, बढ़ रही पानी की कमी, गिरते भूजल लेबल, जल प्रदूषण, संरक्षण और वनों की गुणवत्ता, जैव विविधता के नुकसान, और भूमि का क्षरण प्रमुख पर्यावरणीय मुद्दों भारत की प्रमुख समस्या है।
सम्पूर्ण ब्रह्मांड में पृथ्वी एक ऐसा ज्ञात ग्रह है जिस पर जीवन पाया जाता है। जीवन को बचाये रखने के लिये पृथ्वी की प्राकृतिक संपत्ति को बनाये रखना बहुत जरुरी है। इस पृथ्वी पर सबसे बुद्धिमान कृति इंसान है। धरती पर स्वाश्वत जीवन के खतरा को कुछ छोटे उपायों को अपनाकर कम किया जा सकता है, जैसे पेड़-पौधे लगाना, वनों की कटाई को रोकना, वायु प्रदूषण को रोकने के लिये वाहनों के इस्तेमाल को कम करना, बिजली के गैर-जरुरी इस्तेमाल को घटाने के द्वारा ऊर्जा संरक्षण को बढ़ाना। यही छोटे कदम बड़े कदम बन सकते हैं। यदि इसे पूरे विश्वभर के द्वारा एक साथ अनुसरण किया जाये।
डॉ नन्दकिशोर साह