राजनीतिक सफरनामा
चलो कपिल सिब्बल भी चल दिए दूसरे घर की ओर उन्हें राज्यसभा मेें जो जाना था । कुर्सी चाहिए जहां मिल जाए । नेता तो रमता जोगी बहता पानी जैसा होता है । आज यहां कल कहां उसे खुद ही नहीं मालूम होता । कुर्सी चाहिए, वे बगैर कुर्सी के नहीं रह सकते । बुरे सपने आते होगें कुर्सी के बिना बल्कि नींद ही नहीं आती होगी । जो भी नेता यहां से वहां जा रहा है ज्यादातर की बीमारी यही है उन्हें कुर्सी क बिना नींद नहीं आती । कांग्रेस से तो जाना लगा हुआ है, रोज ही किसी न किसी के जाने की खबर आ जाती है जिस दिन ऐसी खबर न आए तो सूना-सूना लगता है । कांग्रेस के शेष बचे नेता भी किसी को जाने को गंभीरता से नहीं लेते वे तो मान ही चुके हैं कि किसी न किसी को तो जाना ही है, जिस दिन कोई नहीं जाएगा वे खुद चले जायेगें । कपिल सिब्बल तो बहुत पहले से ही अपने जाने की भूमि तैयार कर रहे थे । वे चले गए पर वे गए समाजवादी पार्टी में । बहुत कम नेता हैं जो अपनी पार्टी छोड़कर भाजपा में नहीं जा रहे हैं, बाकी तो वे भाजपा का द्वार ही खटखटाते हैं । संभवतः उन्हें भाजपा में जाने के बाद भी राज्यसभा में जाने का अवसर नहीं मिल पाता । भाजपा मं तो वैसे भी प्रतीक्षा सूची लम्बी है पर समाजवादी पार्टी में अभी वेटिंग नहीं है सो गए और राज्यसभा के लिए नामांकन भी भर दिया । अब वे छैः साल के लिए निश्चंत हो गए । उनकी अभिलाषा इससे ज्यादा कुछ होगी भी नहीं । अखिलेश यादव भी अब राजनीति के बेहतर खिलाड़ी बन गए हैं । इसी के कारण ही तो उन्होने लोकसभा सीट से स्तीफा देकर विधानसभा में विपक्ष में बैठना स्वीकार किया । वे विधानसभा में अपनी उपस्थिति दर्ज कराते भी दिखाई देने लगे । वे समझ गए कि उनका भविष्य और वर्तमान केवल उनका ही प्रदेश है तो प्रदेश में ही सक्रिय रहो । वे सक्रिय दिखाई देने लगे । हो सकता है कि उनकी यह सक्रियता से उन्हें फायदा मिले । वैसे तो उत्तरप्रदेश में योगीजी ने अपनी इतनी कड़क छवि बनाई है कि उनके एक छोटे से आदेश के पालन के लिए आम जनता खुद लाइन में खड़ी हो जाती है । उन्होने कह दिया कि अपात्र व्यक्ति अपने बीपीएल राशनकार्ड अधिकारियों के सामने समर्पित कर दें तो इसके लए आम जनता लाइन में लग कर खड़ी हो गई ‘‘जी पहले मेरा राशनकार्ड वापिस ले लो’’ । यह अद्भुत दृश्य केवल उत्त्र प्रदेश में ही दिखाई देना संभव हुआ वरना तो आम जनता की नेता के सामने एक ही शिकायत प्रमुख होती है कि ‘‘अधिकारी हमारा बीपील कार्ड नहीं बना रहे हैं’’ । नेता का सोर्स लग जाता तो अपात्र के भी कार्ड बन जाते । भारत की कुल आबादी में जितने गरीब दर्ज नहीं है उससे ज्यादा गरीबी वाले कार्ड बन चुके हैं । कार में घूमने वाले परिवारों के भी बीपीएल के कार्ड हैं और वे सस्ता राशन ले रहे हैं । सब जानते हैं कि गड़बड़ कहां है पर कोई बोल नहीं पाता पर योगी जी ने बोल दिया तो लोगों ने लाइन लगाकर अपने कार्ड वापिस कर दिए । वे जानते हैं कि योगी जी गलती पर कितनी बड़ी सजा देने से हिचकते नहीं है । ऐसे ही तो उन्होने मंदिरों और मस्जिदों से तेज आवाज करने वाले लाउडस्पीकर उतरवा दिए । यह भी आश्चर्यजनक काम था । वरना तो आम आदमी इस शोरगुल को अपनी किस्मत मान बैठा था । ‘‘भय बिनु होय न प्रीति’’ । शासन तो इतना ही कड़क होना चाहिए अब आम व्यक्ति मानने लगा है । योगी जी की नकल कोई और करने का सोच भी नहीं सकता । मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री ने उनका ‘‘बुलडोजर’’ अस्त्र उपयोग किया । कुछ जगह इसके सुखद परिणाम भी सामने आए पर इससे ज्यादा वे कुछ नहीं कर सके । वैसे भी हर राज्य की तासीर अलग-अलग होती है । सभी जगह बीमारी का एक ही इलाज किया जाना संभव नहीं है । मध्यप्रदेश में तो वैसे भी पंचायतों के और नगरीय निकायों के चुनाव होना है । माननीय उच्च् न्यायालय ने साफ निर्देश दे दिया है कि दो महिने में कराओ । प्रदेश सरकार को समयसीमा में चुनाव कराने पड़ेगें इसकी कोई संभावना नहीं दिखाई दे रही थी इसलिए वह तैयार नहीं थी । अब आनन-फानन में चुनाव की तैयारी प्रारंभ करनी पड़ी । प्रदेश सरकार की सबसे बड़ी उलझन है कि नगरनिगम महापौर और नगरपालिका अध्यक्षों का चुनाव कैसे करायें । वैसे तो इसके पूर्व तक ये चुनाव सीधे मतदाताओं के माध्यम से होते थे पर कुछ दिनों की कमलनाथ सरकार ने इसे बदल दिया था और तय किया था कि ये चुनाव चुने हुए पार्षद करेगें आखिर पार्षदों के लिए भी कुछ काम हो । शिवराज जी सत्ता मंे आ तो उन्हें कमलनाथ जी के निर्णयों को बदलना ही था सो बदल दिया । पर बाद में इसी में असमंजस आ गया । नगरपालिका और नगरनिगमों के चुनाव पार्टी के सिम्बल पर होते हैं ऐसे में यदि भाजपा को कम स्ािानो पर सफलता मिली तो ‘‘शिवराज जी फेल हो गए’’ का दुष्प्रचार होने लगेगा और हाईकामन उन्हें बदलने की संभावना पर विचार करने लगेगा । संभवतः इसके चलते ही असमंजस बरबार रहा आया फिर बीच का रास्ता निकाला गया और घोषणा कर दी गई कि नगरपालिकाओं के अध्यक्ष पार्षद चुनेगें और नगरनिगमों के मेयरों का चुनाव मतदाता से होगा । मध्यप्रदेश में होने वाले इन चुनावों का असर 2023 में प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनावों पर भी पड़ सकता है ऐसा माना जा रहा है । पंजाब में उठाया गया ऐतिहासिक कदम चर्चाओं में रहा । मुख्यमंत्री भगवत सिंह मान ने अपने ही नवनवेले मंत्री को भ्रष्टाचार के आरोप में न केवल बर्खास्त किया वरन उन्हें जेल भी भिजवा दिया । ऐसा अनोखा करानामा कर उन्होने अपनी पार्टी को मजबूती के साथ आम जनता के सामने पेश किया । वैसे तो आश्चर्य इस बात का भी होना शुरू हो गया है कि आप पार्टी बड़े ही ठोकबजाकर अपने प्रतिनिधि का चयन करती है फिर कैसे ऐसे नेता का चयन हो गया ? ऐसा तो होना ही नहीं चाहिए था पर हो गया । सत्ता की कुर्सी में बैठे लोग ऐसे ही मलाई खाते हैं अधिकारी अपने आपको दांव पर लगाकर उन्हें मलाई पेश करते रहते हैं यह अलग बात है कि वे इस मलाई में अपना हिस्सा भी शालि कर लेते हैं और क्यों न करें आखिर मेहनत तो वे ही करते हैं । पंजाब सरकार को अपनी मिसाल पेश करना थी ताकि आने वाले अन्य चुनावों में वे जोर-शोर से बता सकें कि ‘‘देखो हम कितने ईमादार हैं’’ । वैसे तो जनता ने उनकी इस ईमानदारी के गुणगान करने शुरू कर भी दिए हैं पर बाकी प्रदेशों की सरकार के लिए मुसीबत बन गई है । आम आदमी पार्टी की टोपी के कारण लगभग हर राजनीतिक दलों ने टोपियां पहनना शुरू कर दिया और अरविन्द केजरीवाल ने पहलीबार मुख्यमंत्री बनने के बाद जिस तरह से लालबत्ती की गाड़ी में घूमने से परहेज किया उसके चलते केन्द्र सरकार ने सारे नेताआंें की लालबत्ती ही उतरवा दी । पर अब जब अपने ही मंत्री को भ्रष्टाचार के आरोप में जेल भेज दिया तब…? । यह तो दिक्क्त का काम है । कई प्रदेश सरकारों के ज्यादातर मंत्री ऐसे आरोपों के घेरे में हैं । ऐसे में तो मुख्यमंत्रियों को अपने आधे से ज्यादा मंत्रियों को बर्खास्त करना पड़ेगा फिर वे क्या करेगें ?बहुत सारी समस्यायें हैं यही तो कारण है कि मुख्ष्मंत्री मान के इस कदम से परेशान हैं । छवि बनाना इतना आसान होता कहां है । प्रधानमंत्री मोदी जी ने जिस तरह से जापान यात्रा में अपने आपको सिरमौर बनाकर प्रस्तुत किया उससे देश की छवि पूरे विश्व में ‘‘विश्वगुरू’’ जैसी ही दिखाई दी । मोदी जी विश्व के प्रमुख नेताओं में तो अपने आपको पहले ही शुमार कर चुके हैं और उनका हर कदम इसे मजबूती देता दिखाई दे रहा है । विश्व पटल पंर भारत अपनी गरिमा के साथ स्थान बनाए हुए है और इसका पूरा श्रेय प्रधानमंत्री मोदीजी को ही जाता है । रूस-यूक्रेन युद्ध और चीन-ताइवान क बीच बढ़ते मतभेद इन परिस्थितियों में भारत का विश्वगुरू के रूप् में उभर कर आना हर भारतवासी के लिए गर्व का विषय है ।