31 अक्टूबर, 2022
“पुस्तकें और प्रकृति मनुष्य के दो आवश्यक सहचर हैं। पुस्तकें मनुष्य को शिक्षित करते हुए उसके आचरण का भी निर्माण करती हैं। आज के डिजिटल युग में भी छपी हुई पुस्तकों का महत्त्व है। ये पीढ़ी-दर-पीढ़ी ज्ञान का संचार करती हैं।” ये बातें कहीं लेखक-समीक्षक डाॅ. अशोक कुमार ज्योति ने।
ग्रामीण क्षेत्रों में पुस्तकों के पठन-पाठन की दृष्टि से वाराणसी जनपद के खेवली ग्राम निवासी मुंशी राजाराम लाल श्रीवास्तव ने श्री शंकर वाचनालय की स्थापना सन् 1950 में की थी। उसके नवीकृत भवन के साथ नवनिर्मित शिवशंकर लाल मार्ग का उद्घाटन खेवली के ग्रामप्रधान अखिलेश भारद्वाज की अध्यक्षता में मुख्य अतिथि बीएचयू के हिंदी विभाग के प्राध्यापक डाॅ. अशोक कुमार ज्योति के कर-कमलों द्वारा संपन्न हुआ। इस अवसर पर वरिष्ठतम नागरिक, अवकाश-प्राप्त प्राचार्य श्री राजनाथ सिंह का सन्निधान रहा और विशिष्ट अतिथि थे कंपोजिट विद्यालय के मुख्य अध्यापक श्री वीरेंद्र कुमार मिश्र।
कार्यक्रम में डाॅ. राहुल द्वारा लिखित पुस्तक ‘कर्मवीर काशी के’ का लोकार्पण भी किया गया। इसमें सन् 1912 में जनमे और सन् 1976 में स्वर्गवासी हुए मुंशी राजाराम लाल श्रीवास्तव के जीवन और कार्य के बारे में प्रेरक जानकारियाँ हैं। वे अद्भुत साहसी, स्वाभिमानी और समाज के लिए समर्पित कार्यकर्ता थे। वे गांधी जी के विचारों से बहुत प्रभावित थे। उनके द्वारा स्थापित पुस्तकालय में ’50 के दशक में ग्यारह हजार पुस्तकें थीं। प्रसिद्ध कवि धूमिल इस पुस्तकालय में अध्ययन किया करते थे।
कार्यक्रम के प्रारंभ में पंडित सुरेंद्र तिवारी एवं अशोक कुमार तिवारी ने स्वस्तिवाचन किया। इस अवसर पर बड़ी संख्या में ग्रामीण उपस्थित थे, जिनमें तारा सिंह, धीरेंद्र कुमार सिंह, अनिल कुमार श्रीवास्तव, संजय श्रीवास्तव, मुरारी मोहन श्रीवास्तव, सुदाम सिंह, मधु श्रीवास्तव, राजमणि सिंह इत्यादि मुख्य थे। समारोह के अंत में डाॅ. राहुल ने सभी आगंतुकों के प्रति अपना आभार व्यक्त किया।