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संविधान संशोधन का क्या फायदा जब कानून बनाने वाले अयोग्य और स्वार्थ से भरे हों।।
समावेशी नेतृत्व का अर्थ बड़ा ही व्यापक और संधर्ष करने वाला होता है, जो संयम, धैर्य सहनशीलता के साथ सबको समान भावना के साथ समावेश कर आगे बढ़ने को प्रेरित करे।जो खुद की नहीं अपितु अपने संगठन अपने लोगो के आगे बढाने की सोच रखे वही नेतृत्व कहलाता है। सभी को समान अवसर मिले, सभी…
हिंदी भाषा भूषण की मानद उपाधि मिली.. उर्मिला को
छत्तीसगढ की साहित्यकार उर्मिला देवी उर्मि को हिंदी भाषा की अनुपम सेवा के लिए देश की प्रतिष्ठित संस्था.. साहित्य मंडल नाथद्वारा राजस्थान.. द्वारा हिंदी भाषा भूषण की उपाधि से विभूषित किया गया है ।हिंदी पखवाडे के अवसर पर संस्था द्वारा 14 से 16 सितं. 22 तक .. हिंदी लाओ,देश बचाओ.. शीर्षक से आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी…
संपादक मनमोहन शर्मा ‘शरण
को मिला ‘संपादक रत्न सम्मान’
साहित्य जगत में अपनी अनुपम अनूठी एवं गौरवमयी उपस्थिति दर्ज कराता विश्व विख्यात संस्थान ‘साहित्य मण्डल श्रीनाथद्वारा’ द्वारा 3 दिवसीय आयोजन ‘हिंदी लाओ देश बचाओ’ में देश के विभिन्न क्षेत्रों से पधारे साहित्य प्रेमियों, पत्रकार–संपादक, समाजसेवियों का मिलन हुआ जिसमें उत्कृष्ट साहित्य सृजन हेतु साहित्यकारों को तथा संपादन क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने पर संपादक…
मौन मैं और मेरे शब्द हो जाओ तुम : नमिता नमन
मौन मैं और मेरे शब्द हो जाओ तुम प्रीति का एक प्रारब्ध हो जाओ तुम एक पावन शिला मन अहिल्या सा था तुम मुझे राम जैसी छुअन से मिले मुझको आकार साकार तुमसे मिला जैसे मीरा की भक्ति को मोहन मिले सूक्ष्मतम मैं रहूं श्रेष्ठतम तुम रहो प्राण तक मेरे प्रतिबद्ध हो जाओ तुम…
कितनी कड़वी हैं सच्चाइयाँ
कितनी कड़वी हैं सच्चाइयाँ गिर रहीं नीचे ऊँचाइयाँ कोयलों के बाइक कंठस्वर चढ़ी नीलाम अमराइयाँ बद हुये मौसमों के चलन हुयीं गुमराह पुरवाइयाँ दिन ढले घर में अहसास के स्यापा करती हैं तनहाइयाँ आदमी कद में बकमतर हुआ बढ़ गयीं उसकी परछाइयाँ गिरना तय है जिधर जायेंगे उधर खंदक इधर खाइयाँ होश आयेगा ‘महरूम’ जब…
महोत्सव के बाद अमृत बनाये रखने की चुनौती
रोजगार विहीन विकास किसी भी अर्थव्यवस्था के लिए सुरक्षित दांव नहीं है। बेरोजगारी न केवल हमारे मानव संसाधनों के इष्टतम उपयोग की अनुमति देती है बल्कि सामाजिक कलह और विभाजनकारी राजनीति के लिए प्रजनन स्थल भी बनाती है। शिक्षा, स्किलिंग, युवा उद्यमियों और नवप्रवर्तन कर्ताओं को उपयुक्त रोजगार और सहायता, शिक्षा और रोजगार के लिए…
महात्मा गांधी आजादी के 75 साल बाद भी प्रासंगिक है
लाल बिहारी लाल मुगल साम्राज्य से जब सत्ता अंग्रैजो के हाथ में गई तो पहले अंग्रैजों का व्यापारिक उदेश्य था पर धीरे-धीरे उनका राजनैतिक रुप भी सामने नजर आने लगा। और वे अपने इस कुटिल चाल में कामयाब भी हो गये । धीरे–धीरे उनके क्रिया-कलापों के प्रति जनमानस में असंतोष की भावना पनपने लगी इसी…
हर रग में दौड़ता है खून देशभक्ति का यहां
कुशलेन्द्र श्रीवास्तव 75 वर्ष हो गए हमारी स्वतंत्रता को । हम आजादी का अमृत महोत्सव मना भी रहे हैं । ‘‘जनगण मन अधिनायक’’ की मधुर स्वरलहरियां हमारे तन और मन में जोश भर रहीं हैं । हम नतमस्तक हैं अपने तिरंगे के सामने और हवा में शान से लहराता तिरंगा हमेें हमारे ‘विश्व गुरू’’ हो…
आजादी का अमृत महोत्सव : डॉक्टर राहुल
आओ हम मनाएं आजादी का अमृत महोत्सव! राष्ट्रोत्थान का लेकर नया संकल्प करें नवभारत का नवनिर्माण फहराएं तिरंगा… दिखाएं विश्व को जब मन में हो दृढ़ इच्छा-शक्ति सतत् आगे बढ़ने का अटल विश्वास तब परिस्थितियों की समाधि में चुप नहीं बैठता है मनोभावों का बीज फूट पड़ता है पाषाणों को तोड़कर पीपल के कत्थई कोपल…
स्वस्ति फाउंडेशन ट्रस्ट छत्तरपुर, नई दिल्ली
स्वतंत्रत भारत की 75 वीं वर्षगांठ और आज़ादी के पावन महोत्सव के उपलक्ष्य में आज 15 अगस्त के दिन छतरपुर फेस वन में स्वस्ति फाउंडेशन ट्रस्ट एनजीओ और यूथ क्लब मेंबर्स छतरपुर की ओर से स्वतंत्रता दिवस समारोह कार्यक्रम को भव्य और विराट तरीके से मनाया गया।इस समारोह के मुख्य अतिथि मेजर जनरल श्री रंजीत…