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रसोईघर की मुहावरेदानी : डॉक्टर सरोजिनी प्रीतम
रसोईघर की पिटारी खोलकर देखिए तो लगता है, सारे मुहावरे भी यहीं पेट पालते रहे और फिर खिड़की के तांक-झांक करते हुए लोगों की जबान पर पहुंचे और सिर पर चढ़कर बोलने लगे। फिर उन्हें राख से मांज-मांज कर चमकाया गया और कहीं उस पर कलई की गयी और कहीं मुलम्मा चढ़ाया गया। कटोरदान…
मजदूरों के हितों की रक्षा जरुरी है – लाल बिहारी लाल
मजदूर दिवस पर विशेष (1 मई)जब इस धरती का निर्माण हुआ तो इसमें पहले मजदूर के रुप में त्रिदेवों –ब्रम्हा, विष्णु एवं महेश ने काम किया। फिर अलग अलग रुप से काम को श्रेणियों में बांट दिया गया। निर्माण का काम ब्रम्हा जी,कार्यपालिका का काम विष्णु जी और फिर न्यायपालिका का काम भगवान महादेव को बनाया गया। इन सब…
धरा रुपी मां को बचाने के लिए लाल को आगे आना ही होगा- लाल बिहारी लाल
देश दुनिया में पर्यावरण का तेजी से क्षति होते देख अमेरिकी सीनेटर जेराल्ट नेल्सन ने 7 सितंबर 1969 को घोषणा की कि 1970 के बसंत में पर्यावरण पर राष्ट्रब्यापी जन साधारण प्रदर्शन किया जायेगा। उनकी मुहिम रंग लायी और इसमें 20 लाख से अधिक लोगो ने भाग लिया। और उनके समर्थन में जानेमाने फिल्म और…
Dialogues on Kashmir Shaiva Darshan
PART 1 They were three friends and despite having many differences in their opinions had immense faith in one another and remained glued to eachother .They could chat and discuss anything and everything under the sun and their conversations continued for hours and sometimes the wholenight .It was difficult for a fourth one to enter…
शबरी के प्रभु और केवट के राम ….!
राम मर्यादा पुरुषोत्तम है क्योंकि उन्होंने मर्यादा की सीमा कभी नही लांघी और वह वही जाते है जहां मर्यादा होती है । अमर्यादित स्थानों पर राम की उपस्थिति असंभव है । कुछ लोग जय श्री राम का नारा तो लगाते है किंतु उसके बाद सारे अनैतिक कार्य करते है । वह ये अनैतिक कार्य यह…
माटी में मिल गई माफियागिरी
कुशलेन्द्र श्रीवास्तव ‘‘जैसी करनी, वैसी भरनी’ यह कहावत तो सदियों से लोकमानस में गूंजती आ रही है और अनेक बार इसे चरितार्थ होते हुए भी देखा है । उत्तरप्रदेश का कथित डान अब इसे चरितार्थ कर रहा है । बबूल बोओगे तो कांटे ही पाओगे सो अीतक अहमद अब कांटों का ताज पहनकर चीत्कार कर…
नौ दिन कन्या पूजकर, सब जाते है भूल
नौ दिन कन्या पूजकर, सब जाते है भूल देवी के नवरात्र तब, लगते सभी फिजूल क्या हमारा समाज देवी की लिंग-संवेदनशील समझ के लिए तैयार है? नवरात्रों में भारत में कन्याओं को देवी तुल्य मानकर पूजा जाता है। पर कुछ लोग नवरात्रि के बाद यह सब भूल जाते हैं। बहुत जगह कन्याओं का शोषण होता…
बिनु हरि कृपा मिलही नही संता..!
भज गोविंदं भज गोविंदं गोविंदं भज मूढ़मते ! सिद्ध वाक्य है, ये और अगर आपके जीवन में सर्व सुख है , संपदा हैं धन है , हर प्रकार के भोग विलास की सुख सुविधाओ का साधन है , लेकिन अध्यात्म और आत्म चिंतन नहीं है , तो आप निरीह , व्याकुल और दरिद्र हैं ।…
हमारी पुरातन संस्कृति का सार है हिंदू नववर्ष
हिन्दू नववर्ष यानी विक्रम संवत 2080 का 22 मार्च बुधवार से शुरू हो रहा है, हिन्दू पंचाग के अनुसार चैत्र महीने की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से नववर्ष की शुरूआत होती है, इस तिथि को नवसंवत्सर भी कहा जाता है।महाराष्ट्र और कोंकण में इसे गुड़ी पड़वा के नाम से जाना जाता हैं जिसे बहुत…
‘बेरोजगारी के दौर में युवा शक्ति कौशल और शिक्षा’
युवाओं को सशक्त बनाने की कुंजी, कौशल विकास के साथ है, जब एक युवा के पास आवश्यक कौशल होता है तो वह उसका उपयोग अपनी आजीविका व दूसरों की सहायता करने के लिए कर सकता है। वह आर्थिक रूप से राष्ट्र का भी समर्थन करता है। कौशल विकास न केवल आजीविका का साधन है बल्कि…