Special Article
राष्ट्रभाषा के बिना राष्ट्र गूंगा है : महात्मा गांधी
महात्मा गांधी ने अदालती कामकाज में भी हिन्दी के इस्तेमाल की पुरजोर पैरवी की थी। वे कहते थे, देश की उन्नति के लिए राष्ट्रीय व्यवहार में हिन्दी को काम में लाना अत्यंत आवश्यक है। क्योंकि अपनों तक अपनी बात हम अपनी भाषा द्वारा ही पहुंचा सकते हैं। अपनों से अपनी भाषा में बात करने में…
बादलों का बनना
लक्ष्मी कानोडिया जब कभी हमें भगवान की जरूरत होती है तब हम ऊपर देखते हैं। परंतु हमें केवल बादल दिखाई देते हैं छोटे बड़े गोल अनियमित गुच्छों की तरह और कभी-कभी पंखों की तरह यह धरती का तापमान बनाए रखने में सहायता करते हैं और पूरे विश्व को जीवनदायिनी बारिश से भिगो देते हैं।…
डी.पी.आई.आई.टी. में राजभाषा पुरस्कार वितरण समारोह समपन्न
लाल बिहारी लाल नई दिल्ली। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के डी.पी.आई.आई.टी. विभाग द्वारा वाणिज्य भवन,नई दिल्ली के सभागार में राजभाषा पुरस्कार वितरण समारोह का आयोजन किया गया। जिसकी अध्यक्षता विभाग के सचिव श्री राजेश कुमार सिंह ने की। इस कार्यक्रम में अपर सचिव एवं राजभाषा प्रभारी श्री राजीव सिंह ठाकुर, विभाग के विभिन्न संयुक्त सचिव,…
सब निपट गए…… !
राजनीतिक सफरनामा सब निपट गए…… ! कुशलेन्द्र श्रीवास्तव चुनाव निपट गए मतलब सब कुछ निपट गया । नियमानुसार चुनाव भी में भी कुछ लोग निपट गए और कुछ लोग निपटते-नपटते रह गए । जो बच गया उसने गहरी सांस ली पर जो निपट गए वे कई दिनों तक तो घर से ही नहीं…
नाटिका : “मिच्छामी दुक्कडम”
पात्र परिचय_: 1_ नव्या एक स्कूल गर्ल।उम्र 17 वर्ष 2_ नीलू कॉलेज गर्ल उम्र 18 वर्ष 3_झलक कॉलेज बॉय उम्र 20 वर्ष 4_ मां उम्र 50 वर्ष 5 _पिता उम्र 54 वर्ष 6 _नाना जी (बूढ़े आदमी साधु यानी भिक्षु वेश में) उम्र 75 वर्ष 7_ नानी जी (बूढ़ी महिला साध्वी वेश में श्वेतांबरी सफेद…
क्यों संदिग्ध है अकादमी पुरस्कारों की वार्षिक गतिविधियां ?
पिछले दशकों में पुरस्कारों की बंदर बांट कथित साहित्यकारों, कलाकारों और अपने लोगों को प्रस्तुत करने के लिए विशेष साहित्यकार, पुरोधा कलाकार, साहित्य ऋषि जैसी कई श्रेणियां बनी है। जिसके तहत विभिन्न अकादमियां एक दूसरे के अध्यक्षों को पुरस्कृत कर रही है और निर्णायकों को भी सम्मान दिलवा रही है। इन पुरस्कारों में पारदर्शिता का…
व्यंग्य – थप्पड़ खाकर उबरे नेता, मानुष, चून…….
पंकज सी बी मिश्रा, राजनीतिक विश्लेषक एवं पत्रकार जौनपुर राजनीति में थप्पड़ खाना कभी कभी जरुरी हो जाता है। ये अलग बात है कि कभी थप्पड़ आप खुद आर्गेनाइज करवाते है और कभी कभी यह विपक्ष आर्गेनाइज करा के देता है या फिर कभी कभी देश के होनहार भगत सिंह टाइप के युवा सधे…
लाल बिहारी लाल पत्रकारिता के लिए सम्मानित
सोनू गुप्ता नई दिल्ली। हमारा मैट्रो हिन्दी दैनिक समाचार पत्र के साहित्य संपादक सह साहित्य टी.वी.के संपादक श्री लाल बिहारी लाल को पत्रकारिता के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान एवं समाजिक सरोकार के लिए जैमिनी अकादमी ,पानीपत द्वारा हिंदी पत्रकारिता दिवस के अवसर युगल किशोर शुक्ल स्मृति सम्मान-2024 से डिजीटल रुप से सम्मानित किया गया है।…
धूप में न निकला करो…… !
कुशलेन्द्र श्रीवास्तव बहुत तेज धूप है, सूरज तप रहा है और धरती जल रही है । गर्मी तो हर साल आती है और मई के महिने में धूप भी बहुत तेज होती है, पर इतनी तेज धूप नहीं रही अभी तक शायद ! ऐसा बोला जा सकता है । धूप तेज है तो एक…
लालच में मुर्गी का पेट चीरना बेमानी है और बेईमानी भी
30 मई, हिन्दी पत्रकारिता दिवस के बहाने 30 मई 2024 को भारतीय हिन्दी पत्रकारिता 198 वर्षों की हो गई। दो सौ साल होने में केवल दो साल शेष हैं, यह एक लंबा समय है। भारतीय पत्रकारिता के इतिहास में अपना अलग महत्व रखने वाला समाचार-पत्र “उदन्त मार्तण्ड” हिन्दी का प्रथम समाचार पत्र, 30 मई 1826…