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तुझे वो किरदार होना पड़ेगा.

बकाया बहुत हैं मेरे सपने तुमपे,तुम्हें बेहिसाब होना पड़ेगा , रहोगे कब तक यूं दायरों में, अब तुम्हें आसमां होना पड़ेगा !! हर्फ-हर्फ लिखते रहे “क़िस्से”, जिसके हम अपनी सांसों पर , सब समेट लो संग अपने कि, अब तुम्हें किताब होना पड़ेगा !! सुनो, सरेआम शर्मसार न कर दें कहीं वो लोग, “हमारे खत”,…

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नोट की ओट से वोट पर निशाना

राजनीतिक सफरनामा : कुशलेन्द्र श्रीवास्तव . उन्हें पूजन के दौरान ही सपना आ गया ‘‘हे वत्स! ज तू बाहर जाकर कह दे कि नोटों पर मॉ लक्ष्मी और प्रभु गणेश जी की फोटो लर्गा जाए’’ । उन्होने पूरी पूजन की फिर अपने मुख पर मुस्कान को ओढ़ा, गले को खंखारकर खांसी जैसी मिटाई और सारे…

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हर क्षेत्र में विराजमान है, नारी तू ही स्वाभिमान है

आदि काल से ही नारी, शक्ति के रूप में खुद को स्थापित करती रही है। जिसमें माता को आदि शक्ति के रूप में माना जाता है। उन्ही के अलग अलग रूपो का बखान हमें पढने को मिलता है।शिव शक्ति के वगैर अधूरे माने जाते है।उसी तरह हमारे इतिहास और राजा रजवाडो की कहानियों मे भी…

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राष्ट्रीय लूट प्रबन्धन में हम कितने अव्वल !

कोरोना जैसी महामारी में भी हमने जितना लूटते बना हमने लूटें कभी डॉक्टर बनकर तो कभी पुलिस बनकर , कभी व्यापारी बनकर तो कभी सस्ते गल्ले का दुकानदार बनकर । सरकारे ने भी आम जनता को लूटने में कोई कोर कसर नही छोड़ी । विश्व का सबसे बड़ा नोटतांत्रिक देश भारत बन ही गया ,जहां…

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गुरूकुल

श्रीमती कविता मल्होत्रा दोस्तों मित्रता दिवस की रस्म हम यूँ निभा लेते हैं निस्वार्थ प्रेम बनकर निस्वार्थता को मित्र बना लेते हैं अपने घरौंदों की जड़ें दिमाग़ में न बनाकर दिलों में बनाई जाएँ तो हर एक घर ही मंदिर हो जाए !! दिलों को अपनी ख्वाहिशों की सियासत नहीं बल्कि जीवन के परम उद्देश्य…

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“मौसम खुशमिजाज है।”

बसंत यानि उल्लास। प्रेम और प्यार का आभास। ज़िन्दगी के लिए अति आवश्यक तत्व। गतिमान रहने के लिए एक आवश्यक बल। बसंत प्रतिवर्ष आता है। बीते वर्षों की कुछ यादें ताजा कर जाता है। फिर से मिठास भर जाता है। जीवन को महका जाता है। हर तरफ बिखरा हुआ रंग। रंग बिरंगे फूल खिले हुए।…

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विनायक दामोदर सावरकर

(28 मई, 1883 से 26 फरवरी, 1966) प्रारंभिक जीवन                वीर सावरकर का जन्म 28 मई, 1883 में महाराष्ट्र के नासिक जिले के भागुर गाँव में हुआ था। उनकी माता का नाम श्रीमती राधाबाई सावरकर और पिता श्री दामोदर पंत सावरकर था। वीर सावरकर के तीन भाई और एक बहन थी। उनकी प्रारंभिक शिक्षा नासिक…

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..पिता….. (कविता-11)

करता है जिसकी खातिर दिन-रात पिता मेहनत। ढोता सिर पर बोझा, देता है मिटा सेहत। आदर्श ,संस्कार ,व्यवहार सिखाता। सच्चाई की हमेशा ही राह दिखाता। तुम समय के साथ बदल जाओगे कभी, लेकिन कभी पिता की बदलती नहीं फितरत,,,,,,, जन्म से ही पाल पोश, जवान कर दिया। शिक्षा हुनर देकर गुणवान कर दिया। पूछा नहीं…

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खुदा से अर्ज ! – डॉक्टर सुधीर सिंह

हम ने खुदा से अर्ज की;ऐ रब ! सबों पर रहम कर| सब को दिखा वह रास्ता, जो हो मुहब्बत की डगर| हम को फरिश्ता मत बना; बंदा बना कुछ काम का, अवसाद और गम कम करें , हमदर्द बन इंसान का| दुनिया में दुख और दर्द है; एहसास हम इसका करें, न रहें कभी…

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जेएनयू की साख बनी रहने दो!

जेएनयू को जनतांत्रिक शिक्षण संस्कृति के लिए जाना जाता है। जेएनयू की एक पूरी सांस्कृतिक विरासत है। जिसके निर्माण के पीछे एक विचार था देश में एक ऐसे शिक्षण संस्थान की स्थापना का जिसमें बौद्धिक खुलेपन, विकास-विवाद, सहमति-असहमति और स्वतंत्र जीवन शैली की पूरी गुंजाइश हो, जहाँ पैसे की तंगई प्रतिभाओं के आड़े न आएं।…

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